नवरात्रि दिन 6: नहीं हो रहा है विवाह तो इन मंत्रों के साथ ऐसे करें माँ कात्यायनी की पूजा- अद्भुत है माँ की महिमा!

देवी के छठे स्वरूप अर्थात माँ कात्यायनी की पूजा स्वयं प्रभु श्री राम और कृष्ण ने भी की थी। माँ के इसी स्वरूप की पूजा नवरात्रि के छठे दिन की जाती है। पुराणों के अनुसार बताया जाता है कि, ऋषि कात्यायन भी माँ के भक्त हुआ करते थे। हालांकि उनकी कोई संतान नहीं थी। ऐसे में उन्होंने माँ की तपस्या की और उनसे वरदान मांगा कि आप ही मुझे पुत्री के रूप में प्राप्त हों।

बताया जाता है यह वही समय था जब महिषासुर का अत्याचार भी बढ़ने लगा था। तब देवताओं के क्रोध से एक तेज प्रकट हुआ जो कन्या के रूप में बदला। इसी कन्या ने  ऋषि कात्यायन की पुत्री के रूप में उनके घर में जन्म लिया और ऋषि कात्यायन की पुत्री होने की वजह से माँ का नाम कात्यायनी पड़ा। सिर्फ इतना ही नहीं माँ की अद्भुत महिमा और भी है। इन सभी बातों को विस्तार में जानने के लिए यह ब्लॉग अंत तक अवश्य पढ़ें।

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तो आइए अब आगे बढ़ते हैं और अपने इस विशेष ब्लॉग के माध्यम से जानते हैं नवरात्रि के छठे दिन किए जाने वाले धार्मिक अनुष्ठान, कर्मकांड, और महा उपायों की संपूर्ण जानकारी। साथ ही जानते हैं नवरात्रि के छठे दिन की सही पूजन विधि और महत्व क्या है।

माँ कात्यायनी की पूजा का महत्व

पहले बात करें माँ के स्वरूप कि तो माँ का शरीर सोने की तरह सुनहरा और चमकदार होता है। माँ कात्यायनी की चार भुजाएँ हैं और यह सिंह पर सवारी करती हैं। माँ ने अपने एक हाथ में तलवार ली हुई है, दूसरे में कमल का फूल, और अन्य दोनों हाथ वरद मुद्रा और अभय मुद्रा में होता है।

बात करें माँ की पूजा से मिलने वाले लाभ की तो, कहा जाता है कि जो कोई भी भक्त विधि विधान से माँ कात्यायनी की पूजा-अर्चना करता है ऐसे भक्तों के सभी काम सरलता, सुगमता, और सफलता से पूरे होते हैं, जीवन से कष्टों का नाश होता है। 

साथ ही माँ की आराधना से कोई भी व्यक्ति अपनी सभी इंद्रियों को अपने वश में भी कर सकता है। इसके अलावा जिन लोगों के विवाह में अड़चन आ रही हो उन्हें भी माँ कात्यायनी की पूजा करने की सलाह दी जाती है क्योंकि माँ की पूजा करने से जल्द ही विवाह के योग भी बनने लगते हैं। माँ कात्यायनी को ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी भी कहा जाता है।

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माँ कात्यायनी की सही पूजन विधि

  • इस दिन की पूजा में नारियल, कलश, गंगाजल, कलावा, रोली, चावल, चुन्नी, शहद, अगरबत्ती, धूप, दीप, शुद्ध घी आदि को अवश्य शामिल करें। 
  • इसके बाद अपने हाथ में सुगंधित पुष्प लेकर देवी को प्रणाम करें और देवी के मंत्रों का ध्यान करें। 
  • इस दिन की पूजा में माँ को श्रृंगार की वस्तुएं भी अर्पित करें। 
  • कहा जाता है माँ कात्यायनी को शहद बेहद ही प्रिय होता है। ऐसे में इस दिन की पूजा के शहद अवश्य शामिल करें। 
  • ध्यान रखें कि माँ कात्यायनी के साथ-साथ भगवान शिव की पूजा का विधान होता है। 

विशेष जानकारी: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि, माँ कात्यायनी की पूजा यदि शाम के समय गोधूलि बेला में की जाए तो अधिक फलदाई रहती है।

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माँ कात्यायनी के मंत्र –

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

कंचनाभा वराभयं पद्मधरां मुकटोज्जवलां।

स्मेरमुखीं शिवपत्नी कात्यायनी नमोस्तुते॥

माँ कात्यायनी से संबंधित कथा 

माँ कात्यायनी से संबंधित पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि, ऋषि कात्यायन की कोई संतान नहीं थी। तब उन्होंने माँ भगवती से प्रार्थना की और उनको अपनी पुत्री के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या शुरू की। ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर माँ भगवती ने उन्हें दर्शन दिए और उनकी मनोकामना पूर्ति का आश्वासन भी दिया। 

इसके कुछ समय बाद ही तीनों लोकों पर महिषासुर नामक दैत्य का अत्याचार बढ़ने लगा। तब ब्रह्मा, विष्णु, और शिव के तेज से माँ कात्यायनी का ऋषि कात्यायन के घर पर जन्म हुआ। ऋषि कात्यायन की पुत्री होने की वजह से ही माँ का नाम कात्यायनी पड़ा। 

कहा जाता है माता के जन्म के बाद ऋषि कात्यायन ने सप्तमी, अष्टमी, और नवमी 3 दिनों तक माँ कात्यायनी की विधिवत पूजा की और दशमी के दिन माँ कात्यायनी ने महिषासुर नामक दैत्य का वध किया और तीनों लोकों को उसके अत्याचार से बचाया। 

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नवरात्रि के छठे दिन अवश्य करें ये उपाय 

  • मेष राशि के जातक गोधूलि बेला में पीले फूलों के साथ पीले वस्त्र धारण करके माँ की पूजा करें। 
  • वृषभ राशि के जातक माँ कात्यायनी की पूजा में उनके मंत्रों का 108 बार जप करें। 
  • मिथुन राशि के जातक माँ को सुगंधित द्रव्य अर्पित करें और नीले वस्त्र धारण करके इस दिन की पूजा करें। 
  • कर्क राशि के जातक इस दिन पीले वस्त्र पहनकर माँ को पीले फूल और पीले नैवेद्य अर्पित करें और माँ के मंत्रों का जप करें। 
  • सिंह राशि के जातक इस दिन की पूजा में मंत्र जाप और लाल गुड़हल के फूल पूजा में अवश्य शामिल करें । 
  • कन्या राशि के जातक इस दिन रंगीन रेशमी वस्त्र पहनकर कपूर माता के चरणों में अर्पित करें। 
  • तुला राशि के जातक इस दिन की पूजा के बाद हरे वस्त्र, हरी सब्जी, मूंग की दाल, हल्दी की गांठ माँ को अर्पित करें। 
  • वृश्चिक राशि के जातक इस दिन सुबह स्नान करने के बाद माँ को पीले फूल अर्पित करें और चांदी चावल से भरा पात्र माँके समक्ष चढ़ाएं। 
  • धनु राशि के जातक माँ के मंत्रों का जाप करें और गुण और गेहूं तांबा और शहद माँ को अर्पित करें। 
  • मकर राशि के जातक माँ को शहद चांदी, या मिट्टी के पात्र में अर्पित करें। 
  • कुंभ राशि के जातक लाल रंग के वस्त्र, तांबा, मसूर की दाल, मीठी रोटी माँ को अर्पित करें। 
  • मीन राशि के जातक केला, पीले वस्त्र, नमक, मिठाई इत्यादि लेकर माँ की पूजा करें।

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नवरात्रि छठे दिन का महा उपाय

नवरात्रि के छठे दिन दो महा उपाय किए जा सकते हैं। पहला तो विवाह में आ रही अड़चन को दूर करने के लिए, इसके लिए नवरात्रि के छठे दिन माँ की विधिवत पूजा अर्चना करने के बाद 108 बार माता के मंत्रों का जाप करें। कहा जाता है कि गोपियों ने भी भगवान श्री कृष्ण से विवाह करने के लिए माँ कात्यायनी की आराधना की थी। इस उपाय को करने से विवाह में बार-बार आ रही रुकावट दूर होती है या फिर अगर कुंडली में विवाह के योग नहीं बन रहे हैं तो वह भी बनने लगते हैं।

इसके अलावा क्योंकि कहा जाता है कि माँ कात्यायनी का सीधा संबंध बृहस्पति ग्रह से भी होता है ऐसे में इस दिन की पूजा करने से कुंडली में मौजूद बृहस्पति ग्रह को मजबूत किया जा सकता है और साथ ही उसके दुष्प्रभाव को दूर या कम भी किया जा सकता है।

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