नवरात्रि दिन 4: संतान प्राप्ति के लिए इस दिन अवश्य करें माँ कुष्मांडा की पूजा-नोट कर लें सही विधि और मंत्र !

नवरात्रि की धूम पूरे देश में देखने को मिल रही है। इस कड़ी में अगला दिन नवरात्रि का चौथा दिन कहलाता है जिस दिन माँ कूष्माँडा की पूजा की जाती है। कहते हैं माँ के इस स्वरूप की पूजा कर ली तो व्यक्ति के जीवन में कष्ट नहीं आता है। माता के मुख पर हल्की मुस्कान है और कुष्माँडा देवी ने अपने उदर से ही ब्रह्मांड को उत्पन्न किया है।

माँ के स्वरूप की बात करें तो कुष्माँडा देवी को अष्टभुजा भी कहा जाता है क्योंकि इनकी आठ भुजाएं होती हैं। इन्होंने अपने हाथों में धनुष, बाण, कमल का फूल, कमंडल, जप की माला, चक्र, गदा, और अमृत का कलश लिया हुआ है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि माँ कुष्माँडा की विधिवत पूजा करने से जातक के जीवन में यश, बल, और उत्तम स्वास्थ्य की वृद्धि होती है।

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तो आइए अब आगे बढ़ते हैं और अपने इस विशेष ब्लॉग के माध्यम से जानते हैं नवरात्रि के चौथे दिन किए जाने वाले धार्मिक अनुष्ठान, कर्मकांड, और महा उपायों की संपूर्ण जानकारी। साथ ही जानते हैं नवरात्रि के चौथे दिन की सही पूजन विधि और महत्व क्या है।

माँ कुष्माँडा की पूजा का महत्व

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार बताया जाता है कि, अपने चेहरे पर मंद मुस्कुराहट लिए रहने वाली कूष्माँडा देवी ने ही अपने उदर से इस ब्रह्मांड को जन्म दिया था। यही वजह है कि इन्हें कूष्माँडा देवी के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा माँ को तेज की देवी भी कहा जाता है। कहते हैं धरती पर मौजूद सभी प्राणियों के अंदर जो तेज होता है वह कुष्माँडा देवी की ही देन है।

इसके अलावा माँ के इस स्वरूप के बारे में यह भी कहा जाता है कि माता का यह स्वरूप देवी पार्वती के अविवाहित स्वरूप के बाद से लेकर संतान कार्तिकेय की प्राप्ति के बीच का स्वरूप है। इसी रूप में उन्होंने संपूर्ण सृष्टि को जन्म दिया था। ऐसे में जो कोई भी व्यक्ति लंबे समय से संतान प्राप्ति की कामना कर रहा हो और उसमें सफल ना हो पा रहा हो उन्हें कुष्माँडा देवी के पूजा अवश्य करनी चाहिए।

माँ दुर्गा के कुष्माँडा स्वरूप के बारे में कहा जाता है कि, शक्ति स्वरूपा माँ कुष्माँडा बेहद ही दयालु हैं,  यदि कोई पावन, निर्मल मन से और सच्चे ढंग से माँ की भक्ति करता है तो माँ उससे प्रसन्न हो जाती हैं और अपने भक्तों को रोग, दुख, और किसी भी तरह के कष्ट से छुटकारा अवश्य दिलाती हैं। ऐसे में यदि आपके जीवन में भी कोई दुखद निरंतर बना हुआ है तो आपको नवरात्रि के चौथे दिन विशेष रूप से माँ  कुष्माँडा की पूजा करने की सलाह दी जाती है।

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माँ पूजन विधि

  • नवरात्रि के हर एक दिन की तरह इस दिन भी सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और माँ कुष्माँडा की पूजा का संकल्प लें। 
  • इसके बाद पूजा प्रारंभ करें। 
  • पूजा प्रारंभ करने के दौरान सबसे पहले कलश में विराजित देवी देवताओं की पूजा करें। इसके बाद माँ कुष्माँडा की पूजा करें। 
  • माँ  को उनके प्रिय भोग दही और हलवे का भोग अवश्य लगाएं। 
  • इसके अलावा धूप, दीप, नैवेद्य, सुगंधित पुष्प, फल, भोग आदि का प्रसाद माँ को चढ़ाएं। 
  • इसके बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। 
  • अंत में माँ की आरती करें, उनसे अपनी समस्त मनोकामना कहें और सभी लोगों को प्रसाद वितरित करें। 
  • इसके अलावा देवी कूष्माँडा को कुम्हड़े (कद्दू) की बलि बेहद प्रिय होती है। ऐसे में नवरात्रि के चौथे दिन मुमकिन हो तो एक कुम्हड़े की बलि अवश्य दें।

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माँ कुष्मांडा के मंत्र –

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ  कूष्‍माँडा रूपेण संस्थिता

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम

माँ कुष्मांडा से संबंधित कथा 

पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि, जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था और चारों तरफ अंधकार ही अंधकार छाया हुआ था उस समय माँ  कुष्माँडा ने ही अपनी मंद हंसी से इस सृष्टि की उत्पत्ति की थी। देवी कुष्माँडा के पास इतनी शक्तियां हैं कि वह सूरज के घेरे में भी रह सकती हैं और सूरज की असहाय गर्मी को भी सहन कर सकती हैं। यही वजह है कि अष्टभुजा वाली माँ कुष्माँडा की पूजा करने से व्यक्ति को जीवन में सभी प्रकार की शक्ति और ऊर्जा प्राप्त होती है। 

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माँ कुष्माँडा सिंह पर सवारी करती हैं और उनके मस्तक पर रत्न जड़ित मुकुट सुशोभित है। इनका स्वरूप बेहद ही उज्जवल है और माता ने अपने आठ हाथों में कमंडल, माला, धनुष, बाण, कमल, चक्र, गदा, इत्यादि धारण किया हुआ है।

नवरात्रि के दिन अवश्य करें ये उपाय 

  • मेष राशि के जातक इस दिन नवरात्रि पूजा के बाद माँ  काली का ध्यान अवश्य करें। 
  • वृषभ राशि के जातक इस दिन की पूजा लाल रंग के वस्त्र और लाल रंग के आसन पर बैठकर करें। 
  • मिथुन राशि के जातक रात के समय एक लोटे में जल भर लें और इसे अपने सिरहाने रख कर सोएं। इस लोटे के ऊपर थोड़ा सा सेंधा नमक रख लें और दीपक जलाएं। अगले दिन सुबह उठकर लोटे के जल को किसी पेड़ में डाल दें। 
  • कर्क राशि के जातक नवरात्रि के चौथे दिन की पूजा करने के बाद देवी काली को प्रणाम करके उनका आशीर्वाद अवश्य लें। 
  • सिंह राशि के जातक इस दिन कंडे जलाकर लॉन्ग कपूर की आहुति देकर माँ  की आरती उतारें। 
  • कन्या राशि के जातक चौथे दिन की पूजा करने के बाद देवी काली के नर्वाण मंत्र का 108 बार जाप करें। 
  • तुला राशि के जातक माँ कुष्माँडा के साथ-साथ देवी काली के सामने गुग्गल धूप अवश्य दिखाएं। 
  • वृश्चिक राशि के जातक चौथे दिन की पूजा के बाद देवी काली के मंत्र का जप करें। 
  • धनु राशि के जातक एक नींबू लेकर उस पर लाल या फिर काले रंग से क्लिं लिख दें और इसे अपने सिर के ऊपर से 6 बार सीधे उवारकर और एक बार उल्टे उवारकर इस निंबू के दो हिस्से करके अपने घर के बाहर किसी निर्जन स्थान पर फेंक दें।
  • मकर राशि के जातक इस दिन की पूजा के बाद देवी काली को प्रणाम करें और उनके मंत्रों का 108 बार जाप करें। 
  • कुंभ राशि के जातक इस दिन मिट्टी के दीए में दो कपूर की टिकिया जलाकर देवी के सामने जलाएं। 
  • मीन राशि के जातक माँ के सामने सरसों के तेल का दीपक अवश्य जलाएं।

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नवरात्रि चौथे दिन का महा उपाय

बात करें नवरात्रि के चौथे दिन किए जाने वाले महा उपाय की तो, यदि आपके जीवन में लगातार धन संबंधी परेशानियां बनी हुई हैं तो नवरात्रि के चौथे दिन एक नारियल ले लें और एक लाल, एक पीले, एक नीले, और एक सफेद रंग का फूल ले लें। फिर इन सभी चीजों को साफ ढंग से नवरात्रि की पूजा वाली जगह पर रख दें। 

नवरात्रि के आखिरी दिन यह सभी फूल नदी में बहा दें और नारियल को लाल साफ कपड़े में लपेटकर अपनी तिजोरी या पैसे रखने वाली जगह पर रख लें। आप खुद देखेंगे बहुत जल्द आपके जीवन में धन संबंधी परेशानियों का अंत होने लगेगा।

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