नवरात्रि दूसरा दिन: माँ ब्रह्माचारिणी की असीम कृपा पाने के लिए राशि अनुसार करें ये उपाय!

पावन नवरात्रि चल रहे हैं और इस कड़ी में नवरात्रि का दूसरा दिन माँ ब्रह्मचारिणी को समर्पित माना गया है। माँ ब्रह्मचारिणी को देवी पार्वती का अविवाहित अवतार माना जाता है और देवी का नाम दो शब्दों को जोड़कर बना है ‘ब्रह्मा’ अर्थात जो तपस्या के प्रतीक माने गए हैं और ‘चारणी’ जो व्यवहार को दर्शाता है।

ऐसे में माँ ब्रह्मचारिणी के पावन नाम का अर्थ होता है जो तपस्या के साथ नेतृत्व करता है। देवी ब्रह्मचारिणी के स्वरूप का वर्णन करें तो देवी को नंगे पांव में दर्शाया गया है। माँ के एक हाथ में जप माला है और दूसरे हाथ में उन्होंने कमंडल लिया हुआ है। माँ ब्रह्मचारिणी ज्ञान और विद्या का अवतार मानी जाती हैं और वह रुद्राक्ष की पूजा करती हैं।

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अपने इस विशेष ब्लॉग में जानते हैं नवरात्रि के दूसरे दिन किए जाने वाले धार्मिक अनुष्ठान, कर्मकांड, और उपायों की संपूर्ण जानकारी और साथ ही जानते हैं नवरात्रि के दूसरे दिन की सही पूजन विधि और महत्व क्या है।

माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व

माँ ब्रह्मचारिणी के नाम का अर्थ होता है दिव्य चेतना। ऐसे में मान्यता है कि जो कोई भी नवरात्रि के दूसरे दिन विधि विधान से माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा, तपस्या, ध्यान, करता है उसके जीवन में सफलता और भावनात्मक शक्ति बढ़ने लगती है। इसके साथ ही ऐसे लोग जीवन में बिना असंतुष्ट हुए निरंतर आगे बढ़ते हैं और हर तरह की समस्या और शत्रु पर विजय प्राप्त करते हैं। देवी को प्रेम, निष्ठा, ज्ञान, और बुद्धि की देवी भी माना गया है।

माँ ब्रह्मचारिणी पूजन विधि

  • इस दिन सुबह जल्दी उठकर पूजा करें और पूजा भगवान गणेश से प्रारंभ करें। 
  • इसके बाद पूजा में चंदन और रोली देवी को अर्पित करें। 
  • मुमकिन हो तो पूजा में कमल का फूल अवश्य शामिल करें क्योंकि देवी ब्रह्मचारिणी को कमल बेहद ही प्रिय होता है। 
  • पूजा में मिश्री, चंदन, रोली, अक्षत, भोग भी शामिल करें। 
  • माँ ब्रह्मचारिणी के मंत्रों का जाप करें। 
  • दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और अंत में कपूर और घी के दीपक से माँ की आरती उतारें।

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देवी ब्रह्मचारिणी पूजा मंत्र:

“दधाना करपद्माभ्यं, अक्षमालाकमाली। देवी प्रसूदतु माई, ब्रह्मचार्यानुत्तमा ..”

“दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमंडलु। देवी प्रसीदतु माई, ब्रह्मचारिण्यानुत्तमा।।”

अर्थात: जिन देवी ने अपने एक हाथ में अक्षमाला और दूसरे हाथ में कमंडल धारण किया हुआ है वह इस मंत्र के जप से प्रसन्न हों।

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माँ ब्रह्मचारिणी से संबंधित कथा

माँ ब्रह्मचारिणी पर्वतराज हिमालय के घर में जन्मी थीं। इसके बाद उन्होंने नारद जी से उपदेश लेकर भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की। कठोर तपस्या की वजह से उन्हें ब्रह्मचारिणी कहा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार देवी ने पहले 1000 वर्षों तक केवल फल फूल खाकर बताएं, फिर 100 वर्षों तक केवल जमीन पर रहकर शाक पर निर्वाह किया, इसके बाद उन्होंने खुले आकाश के नीचे वर्षा, धूप, की परवाह किए बिना अपना तप जारी रखा। 

3000 वर्षों तक उन्होंने टूटे बिल्वपत्र खाए और भगवान शिव की पूजा करती रहीं। अंत में उन्होंने बिल्वपत्र भी खाना छोड़ दिया और फिर निर्जल और निराहार रहकर तपस्या की। देवी की कठोर तपस्या से उनका शरीर एकदम क्षीण हो गया था। जब उन्होंने पत्ते भी खाने बंद कर दिए तो देवी का नाम अपर्णा रखा गया। 

देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर ऋषि, मुनि और सिद्ध गणों ने उन्हें प्रणाम किया और उन्हें कहा कि आपकी इस कठोर तपस्या का फल आपको अवश्य मिलेगा और महादेव आपको पति के रूप में अवश्य प्राप्त होंगे।

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नवरात्रि के दूसरे दिन राशि अनुसार अवश्य करें ये उपाय

  • मेष राशि के जातक पूजा में सफेद फूल शामिल करें। 
  • वृषभ राशि के लोग देवी के सामने घी का दीपक जलाएं। 
  • मिथुन राशि के जातक माँ को सुगंध अर्पित करें। 
  • कर्क राशि के साधक पूजा में शुद्ध जल अर्पित करें। 
  • सिंह राशि के भक्तगण पूजा में हल्दी शामिल करें। 
  • कन्या राशि के लोग माँ को बताशे अवश्य अर्पित करें। 
  • तुला राशि के जातक माँ को सफेद रंग की मिठाई अर्पित करें। 
  • वृश्चिक राशि के भक्त पूजा में शुद्ध जल अवश्य अर्पित करें 
  • धनु राशि बीवी को पीले रंग के फूल अर्पित करें। 
  • मकर राशि के जातक पूजा में घी का दीपक जलाएं। 
  • कुंभ राशि के लोग देवी के समक्ष सुगंध अवश्य जलाएँ। 
  • मीन राशि के जातक पीले रंग के फूल देवी को अवश्य अर्पित करें।

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नवरात्रि दूसरे दिन का महा उपाय

  • जीवन में सभी मनोकामना प्राप्ति, सुख समृद्धि, के लिए नवरात्रि के दूसरे दिन माता के मंत्रों के साथ चंद्रमा मंत्र का भी जाप करें। 
  • इसके साथ ही माँ को चांदी की कोई वस्तु समर्पित करें। 
  • इसके अलावा विद्या के क्षेत्र से जुड़े जातक इस दिन माँ ब्रह्मचारिणी के साथ-साथ माँ सरस्वती की पूजा अवश्य करें। ऐसा करने से आपको शिक्षा में अपार सफलता प्राप्त होगी।

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