नवरात्रि का दूसरा दिन, पढ़ें मां ब्रह्मचारिणी की महिमा और उपासना का महत्व !

2019 में 30 सितंबर, सोमवार को नवरात्रि का दूसरा व्रत रखा जाएगा। नवरात्रि के दूसरे दिन मॉं ब्रह्मचारिणी की पूजा-आराधना किये जाने का विधान है। हिन्दू मान्यताओं अनुसार मां दुर्गा के इस स्वरूप को माता पार्वती का अविवाहित रूप माना जाता है। जिस कारण ही उनका ये नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा। जो दो संस्कृत शब्दों से मिलकर बना है ब्रह्म+चारिणी। जिसमें से ब्रह्म का अर्थ है तपस्या जबकि चारिणी का अर्थ होता है आचरण करने वाली अर्थात तप करने वाली। माना जाता है कि मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा करने से जातक को जीवन में सिद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है। साथ ही जो भी व्यक्ति सच्चे श्रद्धा-भाव से इनकी पूजा व उपासना करता है, मां के आशीर्वाद से उनके अंदर तप, त्याग, संयम और सदाचार जैसे गुणों की वृद्धि और बुराइयों का अंत होता है। 

मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी रूप का विवरण 

  • माना जाता है कि मॉं दुर्गा का ब्रह्मचारिणी स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय होता है। 
  • मां पार्वती के इस अविवाहित स्वरूप में कठोर तप के कारण मुख पर अद्भुत तेज होता है। 
  • अपने इस रूप में मां श्वेत वस्त्र में सुशोभित होती हैं। 
  • मां के दाहिने हाथ में जप माला और बायें हाथ में कमण्डल सुशोभित होते हैं।  

पढ़ें: मॉं ब्रह्मचारिणी की महिमा व पौराणिक कथा

नवरात्रि के दूसरे दिन की पूजा विधि

नवरात्रि के दूसरे दिन देवी शक्ति मॉं ब्रह्मचारिणी की पूजा-आराधना इस प्रकार करें…

  • सर्वप्रथम मॉं ब्रह्मचारिणी की पूजा से पहले कलश देवता अर्थात भगवान गणेश का विधिवत तरीके से पूजन करें।
  • भगवान गणेश को फूल, अक्षत, रोली, चंदन, अर्पित कर उन्हें दूध, दही, शर्करा, घृत, व मधु से स्नान कराए व देवी को अर्पित किये जाने वाले प्रसाद को पहले भगवान गणेश को भी भोग लगाएँ। 
  • प्रसाद के पश्चात आचमन और फिर पान, सुपारी भेंट करें। 
  • फिर कलेश देवता का पूजन करने के बाद नवग्रह, दशदिक्पाल, नगर देवता, ग्राम देवता, की पूजा भी करें।
  • इन सबकी पूजा-अर्चना किये जाने के पश्चात ही मां ब्रह्मचारिणी की विधिवत तरीके से पूजा करें। 
  • मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते समय अपने हाथों में सबसे पहले एक फूल लेकर प्रार्थना करते हुए इस मंत्र का उच्चारण करें: 

“दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू. देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।”

  • मन्त्र के जप के बाद देवी को पंचामृत स्नान करायें और उन्हें फूल, अक्षत, कुमकुम, सिन्दुर, अर्पित करें। 
  • इस दौरान ध्यान रखें कि देवी को अरूहूल का फूल (लाल रंग का एक विशेष फूल) व कमल काफी पसंद है। ऐसे में मां को इसी फूल की माला पहनायें। 
  • प्रसाद और आचमन के पश्चात मां को पान सुपारी भेंट करें। 
  • फिर घी व कपूर के साथ देवी की आरती करें। 
  • इसके बाद अंत में मां से भूल-चूक के लिए क्षमा प्रार्थना करें। 

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।

देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥

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एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को नवरात्रि 2019 की शुभकामनाएं! हम आशा करते हैं कि मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से आपके जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहे।

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