शनिश्चरि अमावस्या पर 14 वर्षों बाद बन रहा है शुभ संयोग-शनि दोष से चाहिए छुटकारा तो अवश्य करें ये उपाय!

भाद्रपद मास की अमावस्या को शनिश्चरी अमावस्या के रूप में मनाया जाएगा। दरअसल जब भी अमावस्या शनिवार के दिन पड़ती है तो इसे शनिश्चरि अमावस्या (Shanishchari Amavasya 2022) कहते हैं। इस वर्ष अमावस्या पर 14 वर्षों बाद एक अति दुर्लभ योग भी बन रहा है। ऐसे में हमारे विद्वान ज्योतिषियों के अनुसार यदि इस दिन कुछ विशेष उपाय किए जाएं तो इससे शनि दोष से पीड़ित लोगों के जीवन में राहत आने लगती है।

अमावस्या से जुड़ी मान्यता की बात करें तो इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना, और अपने पितरों के लिए तर्पण करना बेहद ही शुभ माना जाता है। कहते हैं ऐसा करने से व्यक्ति को अपने पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। तो आइए जानते हैं इस वर्ष शनि अमावस्या किस दिन पड़ रही है? इस दिन शनि के प्रकोप से बचने के लिए क्या कुछ उपाय किए जा सकते हैं? शनि अमावस्या की सही पूजन विधि क्या है और अन्य महत्वपूर्ण बातें।

शनि अमावस्या पर अपने जीवन में कैसे पाएँ शनिदेव का आशीर्वाद? दुनियाभर के विद्वान ज्योतिषियों से करें फ़ोन पर बात और जानें जवाब 

वर्ष 2022 में कब है शनि अमावस्या?

27 अगस्त, 2022 (शनिवार)

भाद्रपद अमावस्या मुहूर्त नई दिल्ली के लिए

अगस्त 26, 2022 को 12:26:09 से अमावस्या आरम्भ

अगस्त 27, 2022 को 13:48:43 पर अमावस्या समाप्त

अपने शहर के अनुसार शनि अमावस्या का शुभ मुहूर्त जानने के लिए यहाँ क्लिक करें। 

शनिश्चरि अमावस्या पर 14 वर्षों बाद बन रहा है दुर्लभ संयोग

शनिदेव का आशीर्वाद अपने जीवन में प्राप्त करने और कुंडली में शनि से मौजूद दोषों का निवारण करने के लिए शनि अमावस्या का बेहद ही महत्व बताया गया है। ऐसे में स्वाभाविक है कि 27 अगस्त, 2022 का यह दिन अपने आप में बेहद ही खास है लेकिन इस दिन को और भी खास बनाने के लिए इस दिन कई दुर्लभ योग बन रहे हैं जिनमें से एक योग तो 14 वर्षों बाद बन रहा है।

इनमें से एक योग है शिवयोग जो 27 अगस्त को सुबह 2 बजकर 11 मिनट से शुरू होकर 28 अगस्त सुबह 2 बजकर 07 मिनट तक रहने वाला है।

इसके अलावा इस दिन सिद्ध योग भी बन रहा है जो 28 अगस्त को 2 बजकर 07 मिनट से प्रारंभ होगा। 

साथ ही इस दिन पद्मा योग भी बन रहा है।

ज्योतिष के जानकारों के अनुसार भादो के महीने में शनि अमावस्या का पड़ना बेहद ही दुर्लभ माना जा रहा है। जानकारी के लिए बता दें कि, इससे पहले ऐसा संयोग वर्ष 2008 में बना था और अब 14 वर्षों बाद यह योग इस वर्ष बन रहा है। ऐसे में इस दुर्लभ संयोग में भगवान शनि की पूजा करने से व्यक्ति को विशेष फल की प्राप्ति अवश्य होगी। 

साथ ही हम आपको यह भी बता दें कि, इसके बाद यह मौका सीधे वर्ष 2025 में मिलेगा जब भाद्रपद के महीने में अमावस्या का यह पावन संयोग बनेगा।

बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा

शनि अमावस्या की सही पूजन विधि

  • इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। 
  • मुमकिन हो तो किसी पवित्र नदी में इस दिन स्नान करें। हालांकि अगर ऐसा मुमकिन नहीं है तो आप घर पर ही अपने स्नान के पानी में कुछ बूंदें गंगाजल की डाल लें और उसे स्नान कर लें। 
  • इसके बाद घर के मंदिर में दीपक जलाएँ।
  • सूर्यदेव को अर्घ्य दें। 
  • बहुत से लोग इस दिन उपवास भी करते हैं। 
  • इसके बाद शनि मंदिर जाकर शनिदेव को तेल अर्पित करें। 
  • अपने पितृ दोष से संबंधित कार्य करें, उनके निमित्त तर्पण करें और उनके नाम से दान करें। 
  • इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करने का विधान भी बताया गया है।

शनि अमावस्या महत्व

शनिदेव की प्रसन्नता हासिल करने के साथ-साथ शनि अमावस्या को पितरों के श्राद्ध और तर्पण के लिए बेहद शुभ माना जाता है। इसके अलावा विशेष तौर पर जिन जातकों की कुंडली में पितृ दोष होता है उनके लिए यह दिन बेहद ही फलदाई माना गया है। मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि शनिश्चरि अमावस्या के दिन कुछ विशेष उपाय करने से शनि दोष से राहत पाई जा सकती है। साथ ही इससे शनिदेव भी प्रसन्न होते हैं। क्या कुछ हैं वो उपाय जाने के लिए यह ब्लॉग अंत तक अवश्य पढ़ें।

करियर की हो रही है टेंशन! अभी ऑर्डर करें कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट

अधिक जानकारी: भाद्रपद अमावस्या को कुशाग्री अमावस्या भी कहते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इस दिन कुश इकट्ठा करने की परंपरा होती है। सनातन धर्म की पूजा में उसका इस्तेमाल किया जाता है। कहते हैं कुश के आसन पर बैठकर यदि पूजा की जाए तो उससे विशेष फल की प्राप्ति होती है। ऐसे में लोग इस दिन कुश को इकट्ठा करते हैं और फिर पितृ तर्पण और श्राद्ध में कुश की अंगूठी पहनी जाती है।

शनिश्चरि अमावस्या पर ग्रहों का अनोखा संयोग

शनि अमावस्या इसलिए भी खास रहने वाली है क्योंकि इस दौरान चार ग्रह अपनी ही राशि में रहने वाले हैं। अर्थात इस दिन सूर्य सिंह राशि में, बुध कन्या राशि में, गुरु मीन राशि में, और शनि मकर राशि में रहने वाले हैं। ऐसे में यह चार ग्रह अपनी ही राशि में मौजूद हैं जिसे बेहद ही सुखद संयोग माना जा रहा है। 

ऐसे में हमारे विद्वान ज्योतिषियों की मानें तो इस शुभ अवसर योग में शनि देव की विधिवत पूजा करने, दान पुण्य करने, और पितरों के निमित्त तर्पण करने से व्यक्ति को कई गुना पुण्य फल की प्राप्ति हो सकती है।

कुंडली में राजयोग कबसे? राजयोग रिपोर्ट से जानें जवाब

यह शनि अमावस्या इन 5 राशियों के लिए है बेहद खास

यूं तो शनि अमावस्या के दिन हर कोई शनिदेव की पूजा कर उनकी प्रसन्नता हासिल कर सकता है लेकिन विशेष तौर पर यह शनि अमावस्या 5 राशियों के लिए बेहद खास रहने वाली है। जिनमें से धनु राशि, मकर राशि, और कुंभ राशि यह 3 राशियां हैं जिन पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है और मिथुन राशि और तुला राशि पर शनि की ढैया का प्रभाव चल रहा है। 

ऐसे में इन 5 राशि के जातकों को विशेष तौर पर इस शनिश्चरि अमावस्या का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाने की सलाह दी जा रही है।

अब घर बैठे विशेषज्ञ पुरोहित  से कराएं इच्छानुसार ऑनलाइन पूजा और पाएं उत्तम परिणाम!

शनि अमावस्या के उपाय

  • जिन लोगों पर शनि की साढ़ेसाती या ढैया का प्रकोप चल रहा है उनके लिए यह दिन बेहद ही खास रहने वाला है। ऐसे में आप इस दिन शनि रक्षा स्त्रोत का विधिवत पाठ करें। 
  • इसके अलावा आप इस दिन दशरथ कृत शनि स्त्रोत का पाठ भी कर सकते हैं। 
  • शनि अमावस्या के दिन शनि मंदिर जाएं और शनिदेव की पूजा करें। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि पूजा के दौरान कभी भी शनिदेव की आंखों में आंखें डाल कर नहीं देखना है। 
  • इसके अलावा शनिदेव को सरसों का तेल अर्पित करें और काला तिल, धूप, दीप भी अर्पित करें। 
  • शनि अमावस्या के दिन शनि मंदिर में जाकर शनि चालीसा का पाठ करें। इससे भी आपको शनि की ढैया और साढ़ेसाती से राहत मिलती है। 
  • शनि अमावस्या के दिन शनि देव की पूजा करने के बाद गरीबों को शनिदेव से संबंधित चीजों का दान करना भी बेहद शुभ माना गया है। 
  • इसके साथ ही इस दिन कौवों को भोजन अवश्य कराएं। ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं साथ ही शनि से संबंधित दोष और कष्ट में भी राहत मिलती है। 
  • शनिचरी अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ में जल अर्पित करें और इसके सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं। इस बेहद ही छोटे उपाय को करने से आपको शनिदेव और पितरों दोनों की प्रसन्नता हासिल होगी।

शनि अमावस्या के दिन भूल से भी ना करें यह गलतियां वरना शनिदेव हो सकते हैं नाराज

  • शनि अमावस्या के दिन मंदिर जाना बेहद ही शुभ माना गया है लेकिन इस बात का विशेष ध्यान रखें कि मंदिर से वापस लौटते समय अपनी पीठ शनि देव को ना दिखाएं। 
  • शनिदेव की पूजा के दौरान उनसे नजरे ना मिलाएँ क्योंकि उनकी दृष्टि वक्री मानी जाती है। ऐसे में हमेशा अपनी आंख को नीचे कर के ही शनिदेव की पूजा करें। 
  • इस दिन नाखून, बाल, दाढ़ी, भूल से भी ना काटे। 
  • शनि अमावस्या के दिन किसी भी गरीब जरूरतमंद को परेशान ना करें और यथाशक्ति अनुसार उनकी सेवा अवश्य करें। 
  • यूं तो कभी भी गलत काम नहीं करना चाहिए लेकिन विशेष तौर पर शनि अमावस्या के दिन किसी भी तरह का गलत काम करने से बचें।

सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर

इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

Dharma

बजरंग बाण: पाठ करने के नियम, महत्वपूर्ण तथ्य और लाभ

बजरंग बाण की हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है। हनुमान जी को एक ऐसे देवता के रूप में ...

51 शक्तिपीठ जो माँ सती के शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों के हैं प्रतीक

भारतीय उप महाद्वीप में माँ सती के 51 शक्तिपीठ हैं। ये शक्तिपीठ माँ के भिन्न-भिन्न अंगों और उनके ...

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotram) से पाएँ दुर्गा जी की कृपा

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक ऐसा दुर्लभ उपाय है जिसके पाठ के द्वारा कोई भी व्यक्ति पराम्बा देवी भगवती ...

12 ज्योतिर्लिंग: शिव को समर्पित हिन्दू आस्था के प्रमुख धार्मिक केन्द्र

12 ज्योतिर्लिंग, हिन्दू आस्था के बड़े केन्द्र हैं, जो समूचे भारत में फैले हुए हैं। जहाँ उत्तर में ...

दुर्गा देवी की स्तुति से मिटते हैं सारे कष्ट और मिलता है माँ भगवती का आशीर्वाद

दुर्गा स्तुति, माँ दुर्गा की आराधना के लिए की जाती है। हिन्दू धर्म में दुर्गा जी की पूजा ...

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा.