13 मार्च को शनिश्चरी अमावस्या पर करें शनि के अशुभ प्रभावों का निदान

फाल्गुन माह में आने वाली अमावस्या को फाल्गुन अमावस्या कहा जाता है। इसके अलावा इसे दर्श अमावस्या भी कहा जाता है। क्योंकि इस वर्ष की अमावस्या शनिवार के दिन पड़ रही है ऐसे में इसे शनैश्चरी अमावस्या भी कहा जा सकता है। शनैश्चरी अमावस्या 13 मार्च के दिन पड़ रही है। शनैश्चरी अमावस्या के दिन शनि दोष से पीड़ित व्यक्तियों को अलग-अलग उपाय करने की सलाह दी जाती है क्योंकि ऐसा करने से शनि दोष के प्रभाव को कम या दूर किया जा सकता है।

तो आइए एक विशेष आर्टिकल में जानते हैं शनैश्चरी अमावस्या का महत्व, कुंडली में शनि का प्रभाव, शनि दोष और इनके निवारण के उपाय जिन्हें आप समय शनैश्चरी अमावस्या के दिन करके अपने जीवन को सरल और सुगम बना सकते हैं।

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शनैश्चरी अमावस्या का महत्व 

सबसे पहले जानते हैं शनिश्चरी अमावस्या का महत्व क्या होता है? हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसे में जब अमावस्या तिथि शनिवार के दिन पड़े तो इस शनैश्चरी अमावस्या कहा जाता है और उसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है क्योंकि, इस दिन चंद्रमा के साथ-साथ शनि की प्रसन्नता भी हासिल कर अपने जीवन में प्राप्त की जा सकती है। शनैश्चरी अमावस्या के दिन लोग शनिदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए विधि पूर्वक पूजा अर्चना करते हैं जिससे प्रसन्न होने पर शनिदेव उनके जीवन के सभी कष्ट दूर करके खुशहाल जीवन का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

कुंडली में शनि देव और जीवन में उनका प्रभाव

अब जानते हैं व्यक्ति की कुंडली में शनि देव क्या महत्व रखते हैं और उनका हमारे आपके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है? वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह को एक क्रूर ग्रह माना गया है। जिनके बारे में कहा जाता है कि, यदि वह किसी की कुंडली में शुभ स्थान में मौजूद हो तो ऐसा आदमी रंक से राजा बन सकता है वहीं, जिन व्यक्तियों की कुंडली में शनि ग्रह अशुभ स्थिति में हो उन्हें जीवन में कई तरह की परेशानियां और यातनाएं सहनी पड़ती हैं। पीड़ित शनि के प्रभाव से व्यक्ति को शनि के साढ़ेसाती, ढैया, शनि की दशा, शनि की महादशा, इत्यादि से भी जूझना पड़ता है। जिनके अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए उपाय करने की आवश्यकता पड़ती है।

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शनि साढ़ेसाती 

कहा जाता है जब किसी व्यक्ति की कुंडली के पहले, दूसरे, बारहवें और जन्म के चंद्र के ऊपर से होकर शनि गुज़रता है तो उसे शनि की साढ़ेसाती कहा जाता है। शनि की साढ़े साती की अवधि को तीन भागों में बांटा गया है और दूसरा चरण व्यक्ति के सबसे ज्यादा कठिन समय होता है।

शनि की साढ़ेसाती की तरह शनि की ढैया, शनि की अंतर्दशा और शनि की महादशा भी होती है। यह दोष जिन भी व्यक्तियों के जीवन में लगता है उनका जीवन बेहद ही कष्टमय हो जाता है। ऐसे में इनके निवारण के उपाय करना बेहद आवश्यक होता है। तो आइए अब जानते हैं शनैश्चरी अमावस्या के दिन किन उपाय को अपनाकर आप सभी दोषों से मुक्ति पा सकते हैं। 

शनैश्चरी अमावस्या उपाय 

  • शनैश्चरी अमावस्या के दिन स्नान करने के बाद पीपल के वृक्ष की पूजा करें। ऐसा करने से शनिदेव आप पर प्रसन्न होंगे और उनके दुष्प्रभाव आपके जीवन से कम या खत्म होंगे। 
  • प्रत्येक शनिवार शमी के पेड़ की पूजा करें। विशेष तौर पर शनैश्चरी अमावस्या के दिन शमी के वृक्ष पेड़ पर दीपक अवश्य जलाएं। इस उपाय को करने से शनि की ढैया और साढ़ेसाती से पीड़ित व्यक्तियों को राहत मिलती है। 
  • शनि दोष दूर करने के लिए आप शनिश्चरी अमावस्या के दिन हनुमान जी की पूजा अवश्य करें। कहा जाता है जिन लोगों से हनुमान भगवान प्रसन्न होते हैं शनिदेव उनका कुछ भी अमंगल नहीं करते हैं। 
  • इस दिन पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक अवश्य जलाएं। 
  • शनि अमावस्या के दिन हनुमान मंदिर जाएं और हनुमान जी को लाल लंगोट और लाल रंग का सिंदूर अवश्य अर्पित करें। 
  • शनैश्चरी अमावस्या के दिन अपनी यथाशक्ति के अनुसार दान करें। इस दिन काले कुत्ते या काली गाय को ताजी रोटी खिलाएं। 

हम आशा करते हैं कि हमारा यह लेख आपके लिए बेहद सहायक साबित हुआ होगा। ऐस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

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