घर में या घर के मंदिर में नहीं रखी जाती है शनिदेव की मूर्ति, इसके पीछे की वजह जानते हैं आप?

आखिर हम अपने घरों में या घरों के मंदिर में शनि देवता की मूर्ति, तस्वीर और प्रतिमा को क्यों नहीं रखते हैं। अगर आपके मन में भी कभी इस तरह का सवाल उठा हो तो आप एकदम सही जगह आये हैं क्योंकि आज हम इसी सवाल का जवाब जानने की कोशिश करने वाले हैं। सिर्फ शनिदेव की ही नहीं बल्कि हिंदू धर्म में अन्य कई देवी-देवताओं की मूर्तियां या तस्वीर घर में रखना वर्जित माना गया है। हालांकि यहां हम मुख्य रूप से शनिदेव की मूर्ति के बारे में बात करने वाले हैं।

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….इसलिए घर के मंदिर में नहीं रखी जाती है शनिदेव की मूर्ति 

इस संदर्भ में प्रचलित सबसे महत्वपूर्ण मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि, क्योंकि शनि देव को श्राप मिला हुआ था कि वह जिसे भी देखेंगे उस व्यक्ति का अनर्थ हो जाएगा और यही वजह है कि शनिदेव की दृष्टि सीधे तौर पर हमारे जीवन पर ना पड़े इसलिए शनिदेव की तस्वीर, फोटो या मूर्ति को घर या घर के पूजा घर में रखना सही नहीं होता है।

आपको शनिदेव की पूजा आदि करना है तो पूरे सम्मान और श्रद्धा के साथ शनि मंदिर जाएं या किसी भी मंदिर में जहां शनि देव की मूर्ति या तस्वीर रखी है वहां जाकर शनिदेव की पूजा करें लेकिन इस दौरान भी इस बात का विशेष ध्यान रखें कि, पूजा करते समय भी कभी भी शनिदेव की आंखों में आंखें डाल कर या उनसे नजरे ना मिलाएं। बल्कि पूजा के दौरान अपनी नजरें उनके पैर की तरफ ही रखें। इसके अलावा शनिदेव की पूजा में इस मंत्र का स्पष्ट उच्चारण पूर्वक जाप भी अवश्य करें। ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में शनिदेव की कृपा बनी रहती है।

मंत्र: “ॐ शन्नो देवी रभिष्टय आपो भवन्तु पीपतये शनयो रविस्र वन्तुनः”

जानकारी के लिए बता दें कि, शनिदेव के साथ-साथ घर के मंदिर में राहु केतु की मूर्ति, नटराज की मूर्ति और भैरव की मूर्ति भी रखना वर्जित माना जाता है।

  • राहु केतु की तस्वीर या मूर्ति के पीछे की मान्यता: राहु केतु को हिंदू धर्म में छाया ग्रह माना गया है। बताया जाता है समुद्र मंथन के दौरान जब दैत्य स्वर्भानु ने छल से अमृत पान (अमृत ग्रहण) कर लिया था जिसके बाद भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से दैत्य स्वर्भानु का धड़ उसके सिर से अलग कर दिया था। राहु को उसका सिर माना जाता है और केतु को उसका धड़। हालाँकि राहु भगवान विष्णु के भक्त थे ऐसे में उन्हें देवताओं की श्रेणी में गिना जाता है लेकिन बावजूद इसके घर में या पूजा घर में राहु केतु की मूर्ति या प्रतिमा रखना शुभ नहीं माना जाता है।
  • नटराज की तस्वीर के पीछे की मान्यता: भगवान शिव के रौद्र रूप नटराज माना जाता है। क्योंकि यह भगवान का रौद्र रूप है ऐसे में इनके पीछे की मान्यता है कि, नटराज की मूर्ति घर में रखने से व्यक्ति के जीवन में क्रोध और अशांति बढ़ती है इसलिए नटराज को घर के मंदिर में नहीं रखा जाता है।
  • भैरव की तस्वीर के पीछे की मान्यता: भैरव भगवान शिव का ही अवतार थे। हालांकि यह तंत्र के देवता माने जाते हैं और यही वजह है कि, इसके चलते भैरव देवता की मूर्ति घरों में नहीं रखी जाती है। आम तौर पर देखा जाए तो भैरव देवता की मूर्ति को खुले स्थान में ही रखने की परंपरा है।

 आशा करते हैं इस लेख में दी गई जानकारी आपको पसंद आयी होगी।
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