सौरमंडल में सबसे धीमी गति से चलने वाले ग्रह शनि लगभग ढाई साल के समय में एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं। ज्योतिष शास्त्र में शनि महाराज का बेहद अहम स्थान माना जाता है। सनातन धर्म ग्रंथों के अनुसार, शनिदेव कलयुग के कर्मफल दाता है। यह जातकों को उनके कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं।
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कर्म प्रधान ग्रह शनि महाराज अगर आपकी जन्म कुंडली में मज़बूत स्थिति में मौजूद होते हैं तो आपको कई सारे लाभ प्राप्त होते हैं। ऐसे में जातकों को जीवन के हर एक क्षेत्र में सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं। वहीं अगर शनि कुंडली में कमज़ोर दशा में हैं तो जातक को कई सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। जून के महीने में शनि ग्रह वक्री होने जा रहे हैं और यह समय 4 राशि के जातकों के लिए मुश्किल भरा साबित हो सकता है।
शनि कुंभ राशि में वक्री: समय और तिथि
शनि अभी कुंभ राशि में मौजूद हैं और 17 जून 2023 की रात 10 बजकर 48 मिनट पर शनि कुंभ राशि में वक्री हो जाएंगे।
शनि की वक्री चाल बढ़ाएगी इन राशियों की दिक्कत!
मेष
इस अवधि में मेष राशि के जातकों को सामान्य से ज्यादा मेहनत करने की जरूरत होगी। इसके अलावा आपको अपनी सेहत को लेकर भी सतर्क रहना होगा क्योंकि काम का अधिक दबाव होने से आपको शारीरिक और मानसिक परेशानी होने के संकेत हैं।
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कर्क
शनि आपकी कुंडली के आठवें भाव में वक्री होने जा रहे हैं। इस अवधि में कर्क राशि के जातकों को स्वास्थ्य संबंधी समस्या परेशान कर सकती है। इसके अलावा जातकों को करियर के क्षेत्र में भी मेहनत करनी पड़ सकती है हालांकि हो सकता है कि आपकी मेहनत अधिक रंग लाते हुए न दिखे। इसके अलावा जातकों को सलाह दी जाती है कि वाहन चलाते समय अधिक सावधानी बरतें।
तुला
तुला राशि के जातकों के लिए शनि की वक्री चाल पेशेवर जीवन में चुनौतियां ला सकती हैं। अगर आप नौकरी बदलने के विचार में हैं तो इस योजना को आगे के लिए टाल दें। इसके अलावा तुला राशि के जातकों को अपनी माता जी के स्वास्थ्य का विशेष ख्याल रखने की सलाह दी जाती है।
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कुंभ
शनि कुंभ राशि में ही वक्री अवस्था में जाने वाले हैं। ऐसे में आपके ऊपर मानसिक दबाव बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं इसलिए जातकों को सलाह दी जाती है कि किसी भी क्षेत्र में जल्दबाजी से फैसला लेने से बचें क्योंकि यह आपके लिए परेशानी पैदा कर सकता है। इसके अलावा कुंभ राशि के जातकों के वैवाहिक जीवन में भी तनाव होने के आसार हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर.शनि का शुभ स्थान जन्म कुंडली के तीसरे, छठे और ग्यारहवें भाव में होता है।
उत्तर. शनि काल व्यक्ति के जीवन में एक या दो बार आता है, ज्यादा से ज्यादा दो बार आता है ।
उत्तर. शनि के मित्र ग्रह शुक्र, राहु और केतु होते हैं।
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