शनि देव होंगे कुंभ राशि में उदित; जानें देश-दुनिया पर इसका प्रभाव!

शनि का कुंभ राशि में उदय: इस विशेष ब्लॉग में हम शनि देव के कुंभ राशि में उदय होने के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। एस्ट्रोसेज के इस ब्लॉग के माध्यम से शनि के कुंभ राशि में उदय होने की तिथि, समय और भारत समेत दुनिया पर पड़ने वाले इसके प्रभाव के बारे में भी जानेंगे। शनि देव 6 मार्च 2023 को कुंभ राशि में उदय होने जा रहे हैं, तो आइए अब इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

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विज्ञान की दृष्टि में शनि का महत्व

शनि देव के बारे में हम सभी लोग बचपन से ही सुनते आए हैं। सौरमंडल के सभी 9 ग्रह हमारे जीवन में एक अहम किरदार निभाते हैं और हमारे जीवन के अलग-अलग क्षेत्रों में इनका प्रभाव देखा जा सकता है। हालांकि, इस ब्लॉग में हम ख़ास तौर पर शनि देव और इनके प्रभाव के बारे में ही चर्चा करेंगे। शनि देव सौरमंडल में छठे स्थान पर आते हैं और शनि, बृहस्पति के बाद दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है।

शनि का कुंभ राशि में उदय आपके लिए कैसा रहेगा? विद्वान ज्योतिषियों से फोन पर बात करके जानें जवाब

यदि हम वैज्ञानिक तौर पर शनि के बारे में बात करें, तो यह पूरा ग्रह गैस का बना हुआ है। इस ग्रह पर मुख्य रूप से हाइड्रोजन और हीलियम पाई जाती है। शनि पूरे सौरमंडल का सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा, कि अगर शनि को पानी की सतह पर रखा जाए तो वह तैरने लगेगा। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि यह सिर्फ गैस से बना हुआ है। आइए अब ज्योतिष शास्त्र में शनि के महत्व को समझते हैं।

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ज्योतिष शास्त्र में शनि देव का महत्व

शनिदेव को कर्म प्रभावी ग्रह माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, यह जातकों को कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं। अगर आपके कर्म अच्छे हैं, तो आपको शनि महाराज का आशीर्वाद हमेशा मिलता रहेगा, लेकिन अगर आपके कर्मों में कोई खोट है, तो शनिदेव आपको दंड भी देंगे। मकर और कुंभ राशि पर शनि देव का स्वामित्व है, साथ ही 27 नक्षत्रों में से अनुराधा, पुष्य और उत्तर भाद्रपद पर भी उन्हीं का शासन है। शनि महाराज नैतिक दायित्वों और जिम्मेदारियों पर शासन करते हैं। पूरे सौरमंडल में शनि सबसे धीमी गति से चलने वाले ग्रह हैं। यह एक राशि से दूसरी राशि में जाने के लिए लगभग ढाई साल का समय लेते हैं।

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शनि का कुंभ राशि में उदय: तिथि और समय

शनि का कुंभ राशि में उदय  6 मार्च 2023 की रात 11 बजकर 36 मिनट पर होगा। शनि महाराज के उदय होने से जातकों पर दोबारा इनके प्रभाव पड़ने शुरू हो जाएंगे। हालांकि, शनि देव के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव, इस बात पर निर्भर करते हैं कि जातकों की कुंडली में शनि किस भाव में मौजूद हैं। आइए अब विश्व पर शनि के उदय के प्रभाव के बारे में जानते हैं।

शनि का कुंभ राशि में उदय: विश्वव्यापी प्रभाव

  • शनि महाराज के कुंभ राशि में उदय होने से न्याय प्रक्रिया में कई सारे सकारात्मक बदलाव आने की संभावना है। शनि देव न्याय के प्रतिनिधि हैं और उनके उदय से भारत की न्यायपालिका और मज़बूत होगी।
  • भारत सरकार तेल की बढ़ती कीमतों को काबू करने के लिए नई नीतियां लागू कर सकती है, हालांकि फिर भी अस्थिरता बने रहने की आशंका है।
  • भारत, दक्षिण-पूर्वी देशों को बिज़नेस करने के लिए आमंत्रित कर सकता है।
  • सरकार और लोगों में बढ़ते प्रदूषण को लेकर जागरूकता बढ़ सकती है और इसके लिए कुछ कड़े कदम भी उठाए जा सकते हैं।
  • कुछ देशों में सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लग सकता है। सोशल मीडिया के इस्तेमाल से समाज में नफरत फैलाने वाली गतिविधियों की रोकथाम के लिए नए कानून भी बनाए जा सकते हैं।
  •  रोज़गार और बिज़नेस को बढ़ावा देने के लिए भारत पश्चिमी देशों से अपनी मित्रता को और मज़बूत कर सकता है।  
  • शनि महाराज के उदय होने से लेदर, स्टील, पेट्रोलियम और खनन के उद्योग काफी तेज़ी से आगे बढ़ेंगे।
  • पूरी दुनिया भर में लोगों का झुकाव अध्यात्म की ओर बढ़ेगा, साथ ही लोगों के अंदर धर्म के प्रति आस्था में वृद्धि होगी।
  • विश्व भर में बढ़ते वायु प्रदूषण को देख कर लोगों में जागरूकता बढ़ेगी। इसके लिए सरकार भी इलेक्ट्रिक गाड़ियों के इस्तेमाल को बढ़ाने के लिए नई स्कीम लागू कर सकती हैं। 
  • शनि देव के उदय से ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री भी काफी तेज़ी से तरक्की कर सकती है।

शनि का कुंभ राशि में उदय: सरल उपाय

शनि देव के प्रतिकूल प्रभावों से बचने के लिए आप नीचे दिए गए आसान उपाय कर सकते हैं। यह एस्ट्रोसेज के विद्वान ज्योतिषियों द्वारा बताए गए हैं:

  • प्रतिदिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करें क्योंकि महादेव को शनि देव के आराध्य माना जाता है।
  • हर शनिवार को 108 बार शनिदेव के बीज मंत्र “ऊँ शं शनैश्चराय नमः” का जाप करें।
  • जरूरतमंद लोगों की मदद करें और दिव्यांगों को भोजन, कपड़े एवं अन्य आवश्यक वस्तुओं का दान करें।
  • शनिवार के दिन शनि मंदिर में तिल के तेल का दीपक जलाएं।

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