जानें शनि की साढ़ेसाती कैसे बदल सकती है आपका जीवन और महत्वपूर्ण उपाय

शनि की साढ़े-साती से हर कोई डरता है, लेकिन जितना जायज़ यह डर है उतना ही सच यह भी है कि, शनि की साढ़ेसाती हर एक व्यक्ति के जीवन में एक ना एक बार अवश्य आती है। इसके अलावा यहाँ ये भी जानना ज़रूरी है कि, शनि की साढ़े साती व्यक्ति के जीवन का एक महत्वपूर्ण चरण होती है।

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अब सवाल उठता है कि, यह जाना कैसे जाये कि शनि की साढ़ेसाती हमारे जीवन पर चल रही है या नहीं? तो बता दें कि, इसका आकलन कुंडली में चंद्र राशि से किया जाता है। साढ़े साती शनि ग्रह से संबंधित  है और इसलिए इसे शनि की साढ़े साती भी कहा जाता है।  आज अपने इस लेख में हम शनि की साढ़ेसाती से जुड़ी हर जरूरी जानकारी के बारे में चर्चा करेंगे। 

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शनि की साढ़े साती

वैदिक ज्योतिष में शनि को न्याय कर्ता ग्रह माना जाता है। यह एक राशि में लगभग ढाई साल तक भ्रमण करता है और उसके बाद राशि परिवर्तन करता है। यह जब चंद्र राशि से द्वादश भाव में होता है तो साढ़ेसाती की शुरुआत होती है। द्वादश भाव में यह ढाई साल भ्रमण करने के बाद चन्द्र राशि में प्रवेश करता है और वहां भी ढाई साल रहता है। इसके बाद यह चंद्र राशि से द्वितीय भाव में गोचर कर जाता है और वहां भी ढाई साल की अवधि तक भ्रमण करता है। ज्योतिष के अनुसार द्वादश से द्वितीय भाव तक शनि के इस साढ़े सात साल के काल को ही साढ़े साती कहा जाता है। हर राशि में शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव भी अलग तरह से पड़ता है। 

ज्योतिष के अनुसार द्वादश भाव को आपके पैरों का भाव भी कहा जाता है, शनि की साढ़े साती भी द्वादश भाव से शुरू होती है। इसके बाद यह आपके मस्तिष्क पर भी प्रभाव डालती है जिसका पता लग्न अथवा प्रथम भाव से चलता है और अंत में यह आपके कुटुंब, धन के द्वितीय भाव में प्रवेश करता है और इस पर भी प्रभाव डालता है।

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साढ़े साती का अर्थ क्या है

ऐसा माना जाता है कि शनि कर्मों के अनुसार व्यक्ति को फल देते हैं। जब इनकी साढ़ेसाती शुरू होती है तो व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान रहता है। कई तरह के बुरे अनुभव इस दौरान व्यक्ति को हो सकते हैं। अपने द्वितीय चरण में शनि देव व्यक्ति के सामने शारीरिक और आर्थिक रूप से चुनौतियां प्रस्तुत करते हैं और अंतिम चरण में वह व्यक्ति के नुकसान की भरपाई करते हैं। कुल मिलाकर देखा जाए तो शनि की साढ़े साती के दौरान व्यक्ति जीवन के सत्य को जानता है और जीवन को सरल बनाने के लिए किसी ठोस निष्कर्ष पर आता है। साढ़े साती के आरंभ में व्यक्ति के जीवन में कुछ असामान्य घटनाएं हो सकती हैं जिससे इसका पता चल जाता है। 

कितने प्रकार की होती है साढ़ेसाती

साढ़े साती मुख्य रूप से तीन प्रकार की बताई गई है। उत्तर भारतीय ज्योतिषविद् चंद्र लग्न से साढ़ेसाती की गणना करते हैं। चंद्र लग्न से ढाई साल पहले इसकी शुरुआत होती है और चंद्र लग्न के द्वितीय भाव में शनि के ढाई साल तक यह रहती है। इसके साथ ही कई ज्योतिष लग्न से भी साढ़े साती का आकलन करते हैं और कुछ ज्योतिषविद् सूर्य लग्न से भी इसकी गणना करते हैं। 

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शनि की साढ़े साती के प्रभाव 

आम लोग शनि की साढ़े साती को दुखदायी मानते हैं। लेकिन ज्योतिष के अनुसार शनि की साढ़े साती व्यक्ति को अच्छे सबक सिखाने वाली होती है। आपके कर्मों के अनुसार ही साढ़े साती का आपको फल प्राप्त होता है।  यदि आपके कर्म अच्छे हैं और साढ़े साती शुरू होने के पहले तक आप परेशान थे तो साढ़े साती के दौरान शनि देव आपको शुभ फल देते हैं। जो लोग अपने कर्मों को कुलसित करते हैं उनको इस दौरान शनि का प्रकोप भोगना पड़ता है। हालांकि प्रताड़ित करते हुए भी शनि देव व्यक्ति को सही राह पर आने का संदेश देते हैं। शनि की साढ़े साती का सबसे बुरा प्रभाव छठे, आठवें और बारहवें भाव में माना जाता है। मकर, कुंभ, धनु और मीन लग्न में साढ़ेसाती का प्रभाव उतना बुरा नहीं होता जितना अन्य लग्नों में।     

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शनि की साढ़े साती के बुरे प्रभावों से बचने के उपाय 

आपके जीवन में साढ़ेसाती का आरंभ कब हो रहा है यह आप अपनी कुंडली को देखकर पता कर सकते हैं। इसके लिए आप किसी ज्योतिष से भी सलाह ले सकते हैं। साढ़े साती के दौरान शनि ग्रह के बुरे प्रभावों से बचने के लिए आप निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं। 

  • शनि को भगवान शिव का भक्त माना जाता है इसलिए साढ़े साती के दौरान भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। भगवान शिव के मंत्र ‘ॐ नम: शिवाय ‘ का जाप या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से साढ़े साती के दौरान आपको शुभ फल मिल सकते हैं। इसके साथ ही सोमवार के व्रत और शिवलिंग पर बेलपत्र या दूध अर्पित करना भी शुभ माना गया है। 
  • हनुमान जी की पूजा करने से भी साढ़े साती के प्रभाव में कमी आती है। 
  • साढ़े साती के दौरान छाया दान करना भी उपयोगी उपाय है। 
  • शनि से संबंधित वस्तुओं का दान करके भी साढ़ेसाती का असर कम होता है। इस दौरान सरसों का तेल, काला सुरमा, काले तिल, उड़द की दाल आदि दान कर सकते हैं। 
  • साढ़ेसाती के दौरान शनि स्तोत्र का नियमित पाठ करना चाहिए।  
  • शनि देव को प्रसन्न करने के लिए कभी झूठ न बोलें, अन्याय न करें और अपनी माता-पिता और गुरुजनों का सम्मान करें। 

साढ़े साती बदल सकती है आपका जीवन 

शनि की साढ़े साती व्यक्ति के जीवन को कई तरह से बदल सकती है। जैसा कि बताया गया है शनि कर्मफल दाता ग्रह है। साढ़ेसाती के दौरान यह आपके कर्मों पर नजर रखता है यदि आप अच्छे कर्म करते हैं तो यह आपके जीवन को सकारात्मक रुख दे सकता है वहीं बुरे कर्मों के कारण यह आपको कई चुनौतियां पेश कर सकता है। कुल मिलाकर कहा जाए तो शनि की साढ़े साती शनि का वह काल है जो व्यक्ति को जीवन में सीख प्रदान करता है। इस दौरान यदि व्यक्ति यदि खुद को निखारने में कामयाब रहा तो उसका जीवन सरल हो सकता है। 

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निष्कर्ष

जिस तरह शनि और शनि की साढ़ेसाती को लेकर गलत धारणाएं बनाई गई हैं वह सही नहीं हैं। साढ़े साती का काल व्यक्ति के व्यक्तित्व को निखारने वाला होता है। इस दौरान व्यक्ति के जीवन में चुनौतियां अवश्य आती हैं लेकिन कुछ उपाय करने इनसे बचा जा सकता है।  

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