Shani 2023: शनि साढ़े साती-ढैया का साया? नीला रंग दिलाएगा राहत!

Shani Sade Sati- Shani Dhaiyya 2023: रंग हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रखते हैं। कुछ रंग हमें आकर्षित करते हैं तो, कुछ हमें क्रोधित करते हैं और कुछ रंग हमें शांत करते हैं। ज्योतिष में भी इसका विशेष महत्व है। हर ग्रह का अपना अलग रंग है और एक भाव है। अलग-अलग ग्रहों से संबंधित होने की वजह से सभी रंगों का हमारे जीवन पर प्रभाव पड़ता है। कुंडली में ग्रह दोष को दूर करने के लिए उन ग्रह से संबंधित रंगों की वस्तुओं का प्रयोग करने की सलाह दी जाती है। इसी क्रम में एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में शनि के नीले रंग के बारे में चर्चा करेंगे और जानेंगे कि नीले रंग से कैसे साढ़ेसाती और ढैय्या से बचा जा सकता है लेकिन इससे पहले जान लेते हैं कि शनि का ज्योतिष में महत्व।

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ज्योतिष में शनिदेव का महत्व

वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह का विशेष महत्व है। शनि ग्रह को आयु, दुख, बीमारी, शोक, दारिद्रय, मृत्यु, पीड़ा, विज्ञान, तकनीकी, लोहा, खनिज तेल, कर्मचारी, सेवक, जेल आदि का कारक माना जाता है। यह मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं। तुला राशि शनि की उच्च राशि है, वहीं मेष राशि इनकी नीच राशि मानी जाती है। शनि एक राशि में करीब ढाई साल तक रहते हैं। इसे शनि ढैय्या कहते हैं। 9 ग्रहों में शनि ग्रह सबसे धीमी गति से चलने वाले ग्रह हैं। शनि की दशा साढ़े सात वर्ष की होती है जिसे शनि की साढ़े साती कहा जाता है।

शनि का नीले रंग से संबंध

शनि देव का वर्ण काला माना गया है और कहीं-कहीं इन्हें नीले रंग से भी दर्शाया जाता है। नीला रंग अध्यात्म और भाग्य से संबंध रखता है। इसका भी सोच समझ कर ही उपयोग करना चाहिए। नीले रंग का सही समय पर और सही तरीके से उपयोग करेंगे तो यह जीवन में अपार सफलता देगा। आप तरक्की की राह पर बढ़ते ही चले जाएंगे और जीवन में सुख समृद्धि एवं वैभव से परिपूर्ण होंगे।

पत्नी के श्राप की वजह से शनिदेव की दृष्टि मानी जाती है अशुभ

शास्त्रों के अनुसार शनि देव भगवान शिव और श्रीकृष्ण के परम भक्त हैं। शनिदेव का विवाह चित्ररथ की पुत्री मांदा से हुआ। शनिदेव की पत्नी सती, साध्वी और परम तेजस्विनी थी लेकिन शनिदेव भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में इतना लीन रहते थे। तभी उनकी पत्नी मांदा ने पुत्र प्राप्ति की इच्छा से उनके समक्ष पहुंची परंतु ध्यान में मग्न शनि ने उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया और अपनी स्तुति में लीन रहे। पत्नी मांदा बहुत देर तक प्रतीक्षा करती रहीं लेकिन शनिदेव ने कोई उत्तर नहीं दिया। तब मांदा ने क्रोधित होकर शनिदेव को श्राप दिया कि वो जिस पर भी दृष्टि डालेंगे उसका विनाश हो जाएगा। जब शनिदेव को अनुभव हुआ कि उनसे बहुत बड़ी गलती हो गयी है। तब तक बहुत देर हो चुकी थी। तभी से शनिदेव जिस इंसान पर नज़र डालते हैं उसके बुरे दिन शुरू हो जाते हैं।

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ज्योतिष में नीले रंग का महत्व

नीला रंग जल, वृद्धि, शांति आरोग्य आराम और प्रसन्नता का प्रतीक है। यह अनंत आकाश और विशाल सागरों का रंग है। गर्म क्षेत्रों में नीला रंग अच्छा माना जाता है लेकिन रसोई घर में कभी नीला रंग नहीं करवाना चाहिए। नीला रंग तनी हुई नसों को शांत करता है। यह रंग धर्म, शांति, धैर्य का रंग है। प्रार्थना या ध्यान कक्ष के लिए भी यह रंग शुभ माना जाता है। गहरा नीला आसमानी रंग आध्यात्मिक शक्तियों की प्राप्ति में सहायक बनते हैं। धार्मिक दृष्टि से भी इस रंग का काफी महत्व है। वहीं फेंगशुई में नीले रंग को प्रगति और सकारात्मक परिवर्तन का रंग बताया गया है।

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शनि के दुष्प्रभाव से बचने के लिए ऐसे करें नीले रंग का इस्तेमाल

शनि के दुष्प्रभावों से बचने के लिए नीले रंग का काफी महत्व है। यदि आप भी शनि की साढ़े साती या ढैय्या से परेशान हैं तो नीले रंग का अधिक से अधिक प्रयोग आपको फायदा दिला सकता है। आइए जानते हैं कैसे करें नीले रंग से शनि के दुष्प्रभाव को दूर।

  • शनि की महादशा, साढ़ेसाती या ढैया से छुटकारा पाने के लिए आपको हमेशा नीले रंग का रूमाल साथ रखना चाहिए।
  • शास्त्रों के अनुसार भगवान शनि को नीले रंग के फूल अति प्रिय है इसलिए शनिवार के दिन अपराजिता का फूल जरूर शनिदेव को चढ़ाएं। 
  • इसके अलावा शिक्षा और कार्य के स्थान पर नीले रंग के हल्के शेड का प्रयोग करें।
  • अगर कुंडली में शनि की साढ़े साती, ढैय्या, महादशा चल रही हो तो नीलम रत्न धारण करना शुभ साबित होगा लेकिन इसके लिए पहले ज्योतिष की सलाह जरूर ले लें।
  • शनि के दुष्प्रभावों से बचने के लिए काले व नीले रंग के जूते, कपड़ा, नीले रंग के फूल आदि का दान करना चाहिए।

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