ज्योतिष में शनि ग्रह को कर्म फल दाता ग्रह कहा जाता है अर्थात यह व्यक्ति को उनके कर्मों के अनुसार फल देने के लिए जाने जाते हैं। हालांकि कई लोग शनि का नाम सुनते ही डर भी जाते हैं। जो कि केवल एक गलत धारणा है और लोगों को सही जानकारी न होने के चलते यह दिक्कत होती है। अपने इस ब्लॉग में आज हम जानेंगे 4 नवंबर को होने वाले शनि के कुंभ राशि में मार्गी परिवर्तन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां।
साथ ही जानेंगे इसका सभी 12 राशियों पर क्या कुछ प्रभाव पड़ेगा। इसके अलावा शनि ग्रह से संबंधित कुछ बेहद ही महत्वपूर्ण बातों की जानकारी और उनके इर्द-गिर्द बने भ्रम को दूर करने की भी कोशिश हम इस ब्लॉग के माध्यम से करेंगे। तो चलिए सबसे पहले जान लेते हैं शनि कुंभ राशि में मार्गी कब होने जा रहा है।
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शनि कुंभ राशि में मार्गी
शनि का यह महत्वपूर्ण गति परिवर्तन 4 नवंबर 2023 को होने जा रहा है जब शनि 8 बजकर 26 मिनट पर कुंभ राशि में मार्गी हो जाएंगे। शनि के मार्गी होने का सभी 12 राशियों के जातकों के जीवन पर अवश्य ही प्रभाव देखने को मिलेगा। जहां कुछ जातकों को इससे लाभ होगा तो वहीं कुछ को परेशानियां भी उठानी पड़ सकती हैं।
चलिए आगे बढ़ते हैं और सबसे पहले जान लेते हैं ज्योतिष में शनि ग्रह का महत्व, इनसे जुड़े कुछ भ्रम, और साथ ही जानेंगे कुंभ राशि में शनि मार्गी का राशि अनुसार प्रभाव और इससे संबंधित उपाय।
वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह
वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह को एक बेहद ही महत्वपूर्ण ग्रह का दर्जा दिया गया है। शनि ग्रह को आयु, दुख, पीड़ा, विज्ञान, तकनीकी, लोहा, सेवक, कर्मचारी, आदि का कारक माना जाता है। मकर और कुंभ राशि का स्वामित्व शनि ग्रह के पास है। जहां तुला इसकी उच्च राशि होती है वहीं मेष शुक्र ग्रह की नीच राशि मानी गई है।
बात करें शनि के गोचर की तो यह तकरीबन ढाई वर्षो लंबा रहता है। अर्थात शनि ग्रह एक राशि में तकरीबन ढाई वर्षों तक रहते हैं और फिर अगली राशि में गोचर कर जाते हैं। ज्योतिषीय भाषा में इसे ही शनि की ढैया कहते हैं। सभी नौ ग्रहों में शनि सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह होता है।
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शनि ग्रह से जुड़े भ्रम और अवधारणा
शनि ग्रह के बारे में आमतौर पर आपने भी देखा होगा कि जब भी शनि ग्रह का जिक्र होता है तो लोग भयभीत हो उठते हैं। उन्हें डर लग जाता है कि अब तो हमारे जीवन में कुछ गलत ही होगा। हालांकि यह एकदम गलत धारणा है। दरअसल असल में ऐसा कुछ नहीं होता है। शनि एक क्रूर ग्रह अवश्य हैं लेकिन यह हर वक्त जातकों को नकारात्मक परिणाम नहीं देते हैं।
शनि ग्रह को कर्म फल दाता कहा जाता है क्योंकि यह व्यक्ति को उनके कर्मों के आधार पर फल देते हैं। इसके अलावा शनि ही वह ग्रह हैं जो अगर उच्च के हों तो यह व्यक्ति को रंक से राजा बन सकते हैं। शनि ग्रह को तीनों लोकों का न्यायाधीश कहा जाता है। ऐसे में शनि से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। कुंडली में शनि की स्थिति का पता लगाने के बाद आप उनसे संबंधित उपाय करके शनि ग्रह को मजबूत कर सकते हैं और शनि ग्रह के शुभ परिणाम अपने जीवन में साक्षात होते हुए देख सकते हैं।
शनि ग्रह का प्रभाव
ज्योतिष के अनुसार जब किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में लग्न भाव में शनि मौजूद होता है तो इसे आम तौर पर अनुकूल नहीं माना जाता है। लग्न भाव में शनि की मौजूदगी व्यक्ति को आलसी और हीन मानसिकता का बनती है। इसके अलावा ऐसे व्यक्तियों का वर्ण काला होता है। हालांकि यह बेहद ही विद्वान होते हैं और अक्सर अकेले में रहना पसंद करते हैं।
कुंडली में शनि यदि मजबूत अवस्था में हो तो इससे व्यक्ति को सकारात्मक फल प्राप्त होते हैं। मजबूत शनि के प्रभाव स्वरूप व्यक्ति अपने काम में कर्मठ, कर्मशील, और न्याय प्रिय बनता है। कार्यक्षेत्र में ऐसे व्यक्तियों को मान सम्मान मिलता है। इनके अंदर धैर्य होता है, जीवन में स्थिरता इन्हें बनाकर रखनी आती है। इसके अलावा शनि मजबूत अवस्था में हो तो ऐसे व्यक्तियों की उम्र काफी लंबी होती है।
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वहीं कुंडली में यदि शनि कमजोर या पीड़ित अवस्था में हो तो इससे व्यक्ति के जीवन में तमाम तरह की परेशानियां होने की आशंका बढ़ जाती है। जैसे यह व्यक्ति के लिए दुर्घटना और जेल जाने जैसी परिस्थितियों के योग भी बना सकते हैं। ऐसी स्थिति में ज्योतिष के जानकारी शनि ग्रह से संबंधित कुछ बेहद ही सरल उपाय करने की सलाह देते हैं। क्या कुछ हैं ये उपाय चलिए जान लेते हैं लेकिन उससे पहले जान लेते हैं शनि का धार्मिक और खगोलीय महत्व क्या है।
शनि ग्रह का धार्मिक और खगोलीय महत्व
धार्मिक महत्व की बात करें तो शनि देव को देवता के रूप में पूजा जाता है। इन्हें सूर्य देव का पुत्र माना गया है। शास्त्रों के अनुसार कहा जाता है कि श्याम वर्ण के होने के चलते सूर्य देव ने शनि को अपना पुत्र मानने से इनकार कर दिया था तभी से शनि और सूर्य के बीच शत्रुत्व की भावना उत्पन्न हुई है। इसके अलावा शनि हाथी, घोड़ा, मोर, हिरण, गधे, कुत्ते, भैंस, गिद्ध, और कौवा की सवारी करते हैं। शनि ही एक मात्र ऐसे ग्रह हैं जिन्हें पृथ्वी पर सामंजस्य बनाए रखने के लिए जाना जाता है। यह व्यक्ति को उनके बुरे कर्मों का फल देते हैं तो वही शुभ कर्मों का फल भी प्रदान करते हैं। सप्ताह में शनिवार का दिन शनि देव से समर्पित मन गया है। इस दिन आप चाहें तो शनि देव के लिए व्रत कर सकते हैं और उन्हें सरसों का तेल अर्पित कर सकते हैं।
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बात करें खगोलीय दृष्टि से शनि ग्रह के महत्व की तो शनि को एक ऐसे ग्रह के रूप में दिखाया गया है जिसके चारों ओर एक छल्ला है। इसके अलावा सूर्य से छठा और सौरमंडल में बृहस्पति के बाद दूसरा सबसे बड़ा ग्रह भी शनि ही है। अंग्रेजी में इसे सैटर्न कहते हैं और यह एक पीले रंग का ग्रह है। ऐसे में यह बात तो स्वाभाविक है कि शनि ग्रह बेहद ही महत्वपूर्ण पद रखता है। यही वजह है कि जब शनि ग्रह से संबंधित शुभ परिणाम व्यक्ति को जीवन में प्राप्त नहीं होते हैं तो ज्योतिष के जानकार व्यक्ति को शनि ग्रह से संबंधित उपाय करने की सलाह देते हैं। क्या कुछ हैं ये सरल सटीक उपाय आइये जान लेते हैं।
शनि ग्रह से संबंधित ज्योतिषीय उपाय
- जिन जातकों की कुंडली में शनि से बनने वाली ढैया या साडेसाती चल रही हो और उनके जीवन पर शनि का प्रकोप पड़ रहा हो उन्हें हनुमान भगवान की पूजा करने, हनुमान चालीसा का पाठ करने की सलाह दी जाती है।
- इसके अलावा तेल और छाया पात्र का दान करना भी शनि की कृपा मिलती है। आप मिट्टी के किसी बर्तन में सरसों का तेल ले लें। इसमें अपनी परछाई देखकर उसे दान कर दें।
- इसके अलावा शनि ग्रह की कृपा पाने के लिए धतूरे की जड़ धारण करना विशेष फलदाई होता है। आप धतूरे की जड़ गले या हाथ में धारण कर सकते हैं। हालांकि आप चाहें तो इसके लिए भी किसी विद्वान ज्योतिषी से परामर्श कर लें और उसके बाद ही धतूरे की जड़ धारण करें।
- शनि ग्रह सात मुखी रुद्राक्ष का प्रतिनिधित्व करता है। ऐसे में कहा जाता है कि जिन व्यक्तियों की कुंडली में शनि ग्रह कमजोर अवस्था में हो या शनि के शुभ प्रभाव जिस व्यक्ति के जीवन में ना मिल रहे हों उन्हें सात मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
- अपने कर्मों को हमेशा अच्छा रखें।
- मांस मदिरा का सेवन त्याग दें।
- काली गाय और कुत्तों को ताजी बनी रोटी खिलाएँ।
- मछलियों को काला चना खिलाएँ।
- जितना हो सके बंदरों और काले कुत्तों की सेवा करें।
- इसके अलावा शमी वृक्ष की जड़ घर में लाकर शनिवार के दिन इनकी पूजा करें। ऐसा करने से भी आपको शनि देव से संबंधित शुभ परिणाम प्राप्त होने लगेंगे।
- इसके अलावा आप अपने घर या कार्य स्थल पर शनि यंत्र की स्थापना कर सकते हैं। इस यंत्र की विधिपूर्वक पूजा करने से शनि देव की प्रसन्नता अवश्य हासिल होती है।
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शनि कुम्भ राशि में मार्गी: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय
मेष राशि
मेष राशि के जातकों के लिए शनि दसवें और ग्यारहवें भाव का स्वामी है और अपनी मार्गी गति के दौरान आपके ग्यारहवें घर में ही स्थित रहेगा। शनि की मार्गी गति के चलते आप….(विस्तार से पढ़ें भविष्यफल)
वृषभ राशि
वृषभ राशि के जातकों के लिए शनि नवम और दशम भाव का स्वामी है और इस दौरान आपके दशम भाव में ही स्थित रहेगा। शनि कुम्भ राशि में मार्गी के दौरान….(विस्तार से पढ़ें भविष्यफल)
मिथुन राशि
मिथुन राशि के जातकों के लिए शनि आठवें और नवम घर का स्वामी है और इस दौरान आपके नवम भाव में ही स्थिति रहेगा। शनि कुम्भ राशि में मार्गी के दौरान….(विस्तार से पढ़ें भविष्यफल)
कर्क राशि
कर्क राशि के जातकों के लिए शनि सातवें और आठवें घर का स्वामी है और इस दौरान आपके अष्टम भाव में रहने वाला है। शनि कुम्भ राशि में मार्गी की इस अवधि के दौरान….(विस्तार से पढ़ें भविष्यफल)
सिंह राशि
सिंह राशि के जातकों के लिए शनि छठे और सातवें घर का स्वामी है और आपके सातवें घर में स्थित रहने वाले हैं। शनि कुम्भ राशि में मार्गी की इस अवधि में….(विस्तार से पढ़ें भविष्यफल)
कन्या राशि
कन्या राशि के जातकों के लिए शनि पंचम और षष्ठ भव का स्वामी है और इस दौरान आपके छठे भाव में ही स्थित रहने वाला है। करियर की मोर्चे पर शनि….(विस्तार से पढ़ें भविष्यफल)
तुला राशि
तुला राशि के जातकों के लिए शनि चौथे और पांचवें घर का स्वामी है और इस दौरान आपकी पांचवे घर में ही स्थिति रहेगा। शनि कुम्भ राशि में मार्गी होने की स्थिति के चलते….(विस्तार से पढ़ें भविष्यफल)
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि के जातकों के लिए शनि तीसरे और चौथे घर का स्वामी है और इस दौरान आपके चौथे घर में ही स्थिति रहेगा। शनि कुम्भ राशि में मार्गी होने के परिणाम स्वरूप….(विस्तार से पढ़ें भविष्यफल)
धनु राशि
धनु राशि के जातकों के लिए शनि दूसरे और तीसरे घर का स्वामी है और इस दौरान आपके तीसरे घर में ही स्थिति रहेगा। शनि कुम्भ राशि में मार्गी होने की अवधि के दौरान….(विस्तार से पढ़ें भविष्यफल)
मकर राशि
मकर राशि के जातकों के लिए शनि पहले और दूसरे घर का स्वामी है और इस दौरान आपके दूसरे घर में ही स्थित रहने वाला है। शनि कुम्भ राशि में मार्गी के परिणामस्वरुप….(विस्तार से पढ़ें भविष्यफल)
कुम्भ राशि
कुंभ राशि के जातकों के लिए शनि पहले और बारहवें घर का स्वामी है और इस दौरान आपके पहले घर में ही स्थिति रहेगा। शनि कुम्भ राशि में मार्गी स्थिति के चलते….(विस्तार से पढ़ें भविष्यफल)
मीन राशि
मीन राशि के जातकों के लिए शनि ग्यारहवें और बारहवें घर का स्वामी है और इस दौरान आपके बारहवेंमें घर में ही स्थित रहने वाला है। शनि कुम्भ राशि में मार्गी की अवधि के दौरान….(विस्तार से पढ़ें भविष्यफल)
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