शनि कुंभ राशि में अस्त: कैसे करेंगे 12 राशियों को प्रभावित?

शनि कुंभ राशि में अस्त: वर्तमान समय में शनि ग्रह अपनी राशि कुंभ में गोचर कर रहे हैं जो कि लंबे समय तक इसी राशि में रहेंगे। लेकिन, 11 फरवरी 2024 को शनि ग्रह अस्त हो गए हैं और अपनी इस अवस्था में 17 मार्च 2024 तक रहेंगे। बता दें कि “अस्त” का अर्थ होता है डूब जाना यानी कि प्रभावहीन हो जाना। जब कोई ग्रह सूर्य के अधिक निकट चला जाता है, तो वह सूर्य के तेज़ से प्रभावहीन हो जाता है, तब ग्रह को “अस्त” कहा जाता है।

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ऐसा माना जाता है कि “अस्त” ग्रह शुभ फल देने में असमर्थ होते हैं। यदि हम शनि ग्रह के अस्त होने की बात करें, तो शनि के अस्त होने से कुछ राशियों को कमज़ोर परिणाम मिल सकते हैं। वहीं, कुछ राशियों के लिए शनि का अस्त होना फलदायी साबित होगा। शनि के अस्त होने की वजह से सभी 12 राशियों पर कैसा प्रभाव पड़ेगा? साथ ही, इस स्थिति का भारत पर कैसा प्रभाव पड़ेगा, आइए जानते हैं। 

शनि कुंभ राशि में अस्त: भारतवर्ष पर प्रभाव 

शनि के अस्त होने के कारण सत्तारूढ़ दलों के मार्ग में कुछ कठिनाइयां आ सकती हैं। विपक्ष या विरोधी दलों उनके अधूरे वादों को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश कर सकते हैं। जनता के मन में भी सरकार या शासन-प्रशासन से जुड़े लोगों को लेकर असंतोष देखने को मिल सकता है। कहीं-कहीं पर सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन आदि हो सकते हैं। यातायात संबंधी मामलों में भी कुछ समस्याएं या दुर्घटनाएं होने की आशंका हैं। शनि के अस्त होने से आपकी राशि पर क्या प्रभाव पड़ेगा? आइए जानते हैं। 

शनि कुंभ राशि में अस्त: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय 

मेष राशि

मेष राशि वालों के लिए शनि आपकी कुंडली में कर्म तथा लाभ भाव के स्वामी हैं और वर्तमान में शनि आपके लाभ भाव में ही अस्त हो रहे हैं। शनि के अस्त होने के कारण आपके लाभ मार्ग में कुछ समस्याएं देखने को मिल सकती हैं। कार्यक्षेत्र में भी व्यवधान आ सकते हैं अथवा किसी भी कार्य को पूरा करने में अधिक समय लग सकता है। ऐसे में, अपने धैर्य और निष्ठा को बनाए रखने की कोशिश करें। 

उपाय: प्रत्येक शनिवार सुंदरकांड का पाठ करें। 

वृषभ राशि

वृषभ राशि वालों के लिए शनि आपकी कुंडली में भाग्य तथा कर्म भाव के स्वामी हैं। वर्तमान में शनि आपके कर्म भाव में अस्त हो रहे हैं। अतः इसका असर आपके कार्यक्षेत्र यानी कि करियर पर पड़ सकता है। ऐसी स्थिति में आपको अधिक मेहनत करने की आवश्यकता होगी यानी कि यदि आप पहले की तरह ही परिणाम प्राप्त करना चाह रहे हैं तो इस समय कड़ी मेहनत करनी होगी। वरिष्ठों के साथ बेहतर तालमेल बिठाने का प्रयास लगातार करते रहें। अनुभवी लोगों का सहयोग लेना न भूलें। पिता अथवा पिता तुल्य व्यक्तियों की सलाह और आशीर्वाद आपके लिए हितकारी रहेगा। यदि कभी ऐसा लगे कि आपके वरिष्ठ अथवा पिता आपकी किसी बात को नहीं समझ रहे हैं तो भी उनसे नाराज होने की बजाय उनका आदर करते रहना आपके लिए फायदेमंद रहेगा। हालांकि, यात्राओं को टालने का प्रयास करें। 

उपाय: शिव मंदिर में काले तिल के लड्डू चढ़ाना शुभ रहेगा। 

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मिथुन राशि

मिथुन राशि वालों के लिए शनि आपकी कुंडली में आठवें तथा भाग्य भाव के स्वामी हैं। वर्तमान में शनि आपके भाग्य भाव में अस्त हो रहे हैं और ऐसे में आपको भाग्य का सपोर्ट कम मिल सकता है। कभी-कभी आपको ऐसा लग सकता है मानो जाती हुई समस्या दोबारा लौटकर आ रही हो। हालांकि, आपको बहुत ज्यादा चिंतित या परेशान होने की बजाय धैर्य से काम करने की जरूरत होगी। साथ ही, अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा करते हुए वरिष्ठों के मार्गदर्शन के अनुसार काम करेंगे तो कोई बड़ी समस्या नहीं आएगी। इस अवधि में स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही बरतने से बचना होगा। अपने संबंधों को यथासंभव मेंटेन करने की कोशिश करते रहें। 

उपाय: संध्या के समय पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों अथवा तिल के तेल का दीपक जलाएं। 

कर्क राशि

कर्क राशि वालों के लिए शनि ग्रह आपकी कुंडली में सातवें तथा आठवें भाव के स्वामी हैं। वर्तमान में शनि आपके आठवें भाव में रहते हुए अस्त हो रहे हैं। आठवें भाव में शनि के गोचर को शनि की ढैया के रूप में जाना जाता है जिसे सामान्य तौर पर नकारात्मक कहा जाता है। अत: शनि के अस्त या प्रभावहीन या यूं कहे की शनि के नकारात्मक प्रभावों में कमी आने के कारण आपको राहत या अनुकूलता का अनुभव हो सकता है। हालांकि, इसके बावजूद भी आपको अपने स्वास्थ्य आदि के प्रति लापरवाह नहीं होना है। साथ ही, पहले की तरह ही किसी भी प्रकार के बड़े रिश्क या निवेश से भी बचना होगा। अपने आराध्य देवी-देवता की आराधना करते रहें जिससे शनि की नकारात्मकता नियंत्रण में आ सके। 

उपाय: नियमित रूप से महामृत्युंजय मंत्र का एक निश्चित संख्या में जाप करें। 

सिंह राशि

सिंह राशि वालों के लिए शनि आपकी कुंडली में छठे तथा सातवें भाव के स्वामी हैं। वर्तमान में शनि आपके सप्तम भाव में अस्त हो रहे हैं। वैसे तो सप्तम भाव में शनि के गोचर को अच्छा नहीं माना जाता है, लेकिन अपनी ही राशि में होने के कारण शनि ज्यादा नकारात्मकता न देकर सिर्फ आपको सीख देने या सही मार्ग पर बनाए रखने के लिए कुछ परेशानियां देते रहे होंगे, तो अब शनि के अस्त होने से उन परेशानियों में कमी आएगी। साथ ही, व्यापार-व्यवसाय में भी कुछ नए अवसर आपको मिल सकते हैं। हालांकि, सप्तमेश का अस्त होना एक दृष्टिकोण से खराब है। ऐसे में, नए सिरे से मिल रहे प्रपोजल्स को भली-भांति जानना-समझना और उनकी पड़ताल करना जरूर होगा। किसी भी तरीके के गैर कानूनी काम से जुड़ाव उचित नहीं रहेगा। साथ ही, विवाहित होने की स्थिति में अपने दांपत्य जीवन का ख्याल रखें। 

उपाय: काली उड़द की पकौड़ी बनाकर गरीबों में बांटना शुभ रहेगा। 

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कन्या राशि

कन्या राशि वालों के लिए शनि आपकी कुंडली में पांचवें तथा छठे भाव के स्वामी हैं। अब यह आपके छठे भाव में अस्त हो रहे हैं। सामान्य तौर पर शनि के इस गोचर को अच्छा नहीं माना गया है। अतः अस्त होने के कारण अच्छाइयों में कुछ कमी देखने को मिल सकती है और फलस्वरूप आपको अपने स्वास्थ्य के प्रति अधिक सजग रहना होगा। साथ ही, प्रतिस्पर्धात्मक कार्यों में अब तुलनात्मक रूप से अधिक मेहनत करनी पड़ सकती है। लेकिन, अनुकूल बात यह है कि इन्हीं मामलों में आपको कठिनाइयों के बाद अच्छे परिणाम मिल जाने चाहिए। संतान पक्ष को लेकर कुछ चिंताएं देखने को मिल सकती हैं। कमर या पेट के आसपास की कुछ परेशानियां भी बीच-बीच में परेशान कर सकती हैं जिन्हें जागरूक रहकर आपको मेंटेन करना होगा। 

उपाय: मजदूरों को अपने सामर्थ्य के अनुसार भोजन करवाएं। 

तुला राशि

तुला राशि वालों के लिए शनि आपकी कुंडली में चौथे तथा पांचवें भाव के स्वामी हैं और फिलहाल यह आपके पांचवें भाव में ही अस्त हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में यदि पिछले दिनों आपकी लव लाइफ में कोई परेशानी रही है, तो उस परेशानी का कारण आपको जानने को मिल सकता है। साथ ही, यदि आप कोशिश करेंगे तो उस समस्या को देर-सवेर आप दूर कर सकेंगे। हालांकि, नए सिरे से फिर से कोई दिक्कत न आने पाए इस बात का ख्याल रखना होगा। शनि के अस्त होने से घर-परिवार से जुड़ी कुछ नई दिक्कतें सामने आ सकती हैं, लेकिन अनुकूल बात यह होगी कि पुरानी दिक्कतों को दूर करने का रास्ता भी मिल सकता है। नौकरी इत्यादि में बदलाव की कोशिश भी कामयाब हो सकेगी। 

उपाय: शिवलिंग पर काले और सफेद तिल मिलाकर चढ़ाएं। 

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि वालों के लिए शनि आपकी कुंडली में तीसरे और चौथे भाव के स्वामी हैं और यह चौथे भाव में ही अस्त होने जा रहे हैं। हालांकि, चौथे भाव में शनि के गोचर को ढैया कहा जाता है, जो नकारात्मक परिणाम प्रदान करती है। ऐसे में, शनि के अस्त होने से शनि की ढैया के नकारात्मक प्रभावों में कमी देखने को मिल सकती है। लेकिन फिर भी चौथे भाव में किसी ग्रह का अस्त होना बहुत अनुकूल नहीं कहा जाएगा इसलिए मन-मस्तिष्क में कुछ तनाव रह सकता है। गृहस्थ या पारिवारिक मामलों में भी थोड़ी अशांति रहने की आशंका है। घर में यदि कोई बुजुर्ग हैं तो उनके स्वास्थ्य को लेकर सचेत रहना होगा। साथ ही, माता के साथ संबंध भी मेंटेन करने होंगे क्योंकि भले ही शनि अस्त हो रहे हैं लेकिन शनि की ढैया का प्रभाव बना रहेगा। अतः इन मामलों में किसी भी प्रकार की लापरवाही उचित नहीं होगी। सामान्य तौर पर शनि के द्वारा मिले-जुले परिणाम दिए जा सकते हैं यानी कि कुछ परिणाम अच्छे हो सकते हैं तो कुछ परिणाम कमज़ोर भी रह सकते हैं इसलिए हर हाल में लापरवाह होने से बचें। 

उपाय: नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करें। 

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धनु राशि

धनु राशि वालों के लिए शनि आपकी कुंडली में दूसरे तथा तीसरे भाव के स्वामी हैं। वर्तमान में यह आपके तीसरे भाव में ही अस्त हो रहे हैं। वैसे तो सामान्य तौर पर तीसरे भाव में शनि के गोचर को अच्छा कहा जाता है। लेकिन, अस्त होने के कारण जो अच्छे परिणाम अभी तक आपको मिल रहे थे उन अच्छाइयों में कुछ कमी देखने को मिल सकती है। जो काम पहले तेजी के साथ पूरे हो रहे थे, शायद अब उनमें ज्यादा वक्त लगे। इसके अलावा भाई-बंधु और पड़ोसियों के प्रति आपके अच्छे भाव होने की स्थिति में भी शायद उनकी मदद आपके काम न आए इसलिए आत्मनिर्भर रहना है, दूरसंचार से संबंधित चीजें टूटने या खराब न होने पाएं, इस बात का भी ख्याल रखना होगा। मोबाइल लैपटॉप जैसी जरूरी चीजों के रखरखाव में ज्यादा सावधानी अपनाने की जरूरत होगी।

उपाय: दशरथ कृत शनि स्त्रोत का पाठ करना शुभ रहेगा। 

मकर राशि

मकर राशि वालों के लिए शनि आपके लग्न या राशि स्वामी होने के साथ-साथ आपके दूसरे भाव के भी स्वामी हैं। वर्तमान में यह आपके दूसरे भाव अर्थात धन भाव में ही अस्त हो रहे हैं। चंद्र कुंडली के अनुसार, दूसरे भाव में शनि का गोचर शनि की साढ़ेसाती का निर्माण करता है। ऐसे में, शनि का अस्त होना मिले-जुले परिणाम दे सकता है अर्थात यदि कहीं से धन आगमन होने की प्रबल संभावना थी तो अब उस प्राप्ति में कुछ विलंब हो सकता है। बीच-बीच में मानसिक तनाव भी देखने को मिल सकता है। इन तमाम कारणों से किसी भी काम को जल्दबाजी में न करें। यदि आपको अपनी बात किसी वरिष्ठ व्यक्ति या शासन-प्रशासन से जुड़े लोगों के समक्ष रखनी हो. तो उस पर पहले प्रॉपर होमवर्क कर लें। साथ ही, अपनी वाणी को मीठा बनाए रखना होगा और न केवल मीठा बोलना है बल्कि सच भी बोलना है जिससे शनि की नकारात्मकता आपको पीड़ित न कर पाए। आर्थिक मामले में कोई बड़ा रिस्क लेने से बचें। 

उपाय: शनिवार के दिन सुंदरकांड का पाठ करें। 

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कुंभ राशि

कुंभ राशि वालों के लिए शनि आपकी कुंडली में लग्न या राशि स्वामी होने के साथ-साथ आपके द्वादश भाव के भी स्वामी हैं। वर्तमान में शनि आपके प्रथम भाव में गोचर कर रहे हैं और यहीं पर अस्त हो रहे हैं। शनि का प्रथम भाव में गोचर साढ़ेसाती की श्रेणी में आता है। ऐसे में, शनि के अस्त होने से साढ़ेसाती की नकारात्मकता कम होनी चाहिए, लेकिन आपके मामले में शायद ऐसा नहीं हो पाएगा क्योंकि पहले भाव में शनि का अस्त होना स्वास्थ्य में कमज़ोरी दे सकता है। अतः स्वास्थ्य के प्रति किसी भी प्रकार की लापरवाही उचित नहीं रहेगी। इस अवधि में अचानक से या किसी के बहकावे में आकर कोई बड़ा निर्णय नहीं लेना है। यदि कोई बड़ा या महत्वपूर्ण निर्णय लेना हो तो एक से अधिक एक्सपर्ट्स लोगों की एडवाइस लेने के बाद ही आप अपने कदम को आगे बढ़ाएं। 

उपाय: गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का पाठ करना शुभ रहेगा। 

मीन राशि

मीन राशि वालों के लिए शनि आपकी कुंडली में लाभ भाव के स्वामी होने के साथ-साथ द्वादश भाव के भी स्वामी हैं। वर्तमान में शनि आपके द्वादश भाव में गोचर करते हुए अस्त हो रहे हैं। द्वादश भाव में शनि का गोचर शनि की साढ़ेसाती का निर्माण करता है जिसे सामान्य तौर पर नकारात्मक परिणाम देने वाला कहा जाता है। ऐसी स्थिति में शनि के अस्त होने से संभवत: खर्चों में कुछ कमी देखने को मिल सकती है। यह आपके लिए एक सकारात्मक बात है लेकिन नींद में कुछ व्यवधान भी देखने को मिल सकते हैं जो कि एक कमज़ोर स्थिति है। इस दौरान यदि कोई स्वास्थ्य समस्या नजर आए तो उसे हल्के में न लें बल्कि उसका शीघ्र और समुचित उपचार करवा लें। अदालत आदि से संबंधित मामलों में थोड़ा विलंब देखने को मिल सकता है। ऐसे में, कर्ज आदि के लेनदेन से बचना होगा। 

उपाय: नियमित रूप से हनुमत साठिका का पाठ करें।

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