सनातन धर्म में सावन के महीने को बहुत ही पवित्र माना गया है और यह महीना भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना और साधना के लिए समर्पित है। सावन के महीने में पूरे विधि-विधान के साथ भगवान शिव की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में जो भी शिव भक्त भोलेनाथ की विधि-विधान से पूजा- अर्चाना करता है उसके जीवन में हमेशा ही सुख और समृद्धि आती है। सावन के महीने में शिवलिंग के जलाभिषेक का विशेष महत्व होता है। इस दौरान मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है और भक्त मंदिरों में जाकर भगवान शिव को उनकी प्रिय चीजें अर्पित करते हैं। साथ ही, सच्चे मन और पूरी श्रद्धा के साथ महादेव का व्रत करते हैं। सावन का महीना भगवान शिव का प्रिय महीना होता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार सावन के महीने की शुरुआत कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है। इस वर्ष सावन का महीना कई मायनों में खास रहने वाला है क्योंकि यह महीना दो माह का होगा और ऐसे में, सावन के महीने में 8 सोमवार पड़ेगे। तो आइए बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं सावन की तिथि, पूजा मुहूर्त, महत्व, शुभ योग और पौराणिक कथा के बारे में। इसके साथ ही जानेंगे कि यह योग किन राशि के जातकों को लिए शुभ साबित होगा।
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सावन 2023: तिथि व मुहूर्त
इस साल सावन के महीने की शुरुआत 4 जुलाई से होगी। जिसकी समाप्ति 31 अगस्त को होगी। यानी इस साल सावन 30 नहीं बल्कि 59 दिनों का होगा और भक्त 8 सावन सोमवार का व्रत रखेंगे। हिंदू पंचांग विक्रम संवत 2080 में इस साल अधिकमास पड़ रहा है। इसके अलावा ख़ास बात यह भी है कि इस बार सावन माह की शुरुआत बेहद शुभ योग एन्द्र योग में हो रही है। इस योग में धन से जुड़ा कोई भी काम करने से फलदायी परिणाम प्राप्त होते हैं और इस योग में किए गए शुभ कार्य लंबे समय तक शुभ फल देते हैं।
एन्द्र योग का आरंभ: 3 जुलाई 2023 की दोपहर 3 बजकर 44 मिनट से
एन्द्र योग का समापन: 4 जुलाई 2023 की सुबह 11 बजकर 48 मिनट पर होगी।
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जानिए सावन के सोमवार की तिथि और शुभ योग
बता दें कि अधिकमास के चलते साल 2023 में सावन के महीने में कुल 8 सोमवार पड़ेंगे। जानिए सावन के सोमवार की तारीख़, तिथि और शुभ योग के बारे में:
सावन का सोमवार | तारीख़ | तिथि | शुभ योग |
सावन का पहला सोमवार | 10 जुलाई, 2023 | अष्टमी | इस दिन कोई शुभ योग नहीं बन रहा है |
सावन का दूसरा सोमवार | 17 जुलाई, 2023 | अमावस्या | इस दिन कोई शुभ योग नहीं बन रहा है |
सावन का तीसरा सोमवार | 24 जुलाई , 2023 | षष्ठी | शिव योग |
सावन का चौथा सोमवार | 31 जुलाई, 2023 | त्रयोदशी | इस दिन कोई शुभ योग नहीं बन रहा है |
सावन का पांचवां सोमवार | 7 अगस्त , 2023 | तिथि सप्तमी | इस दिन कोई शुभ योग नहीं बन रहा है |
सावन का छठा सोमवार | 14 अगस्त , 2023 | सप्तमी | सिद्धि योग |
सावन का सातवां सोमवार | 21 अगस्त, 2023 | नागपंचमी | शुभ योग |
सावन का आठवां सोमवार | 28 अगस्त 2023 | द्वादशी | आयुष्मान योग |
सावन महीने का महत्व
श्रावण मास बारिश और हरियाली का समय होता है जो अति मनमोहक समय होता है। श्रावण मास का प्रत्येक दिन बेहद फलदायी है लेकिन उससे भी ज्यादा श्रावण मास में पड़ने वाले सोमवार के दिन विशेष महत्व होता है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति सावन के सोमवार का व्रत करता है उसके वैवाहिक जीवन में खुशहाली बनी रहती है साथ ही, उस व्यक्ति को जीवन में सुख समृद्धि की कमी भी नहीं रहती है। सावन के दिनों में भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है और साथ ही भगवान शिव पर धतूरा, बेलपत्र, चंदन, शहद आदि चढ़ाया जाता है। कहा जाता है कि सावन के महीने में की गई पूजा से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं। यही नहीं सावन के सोमवार का व्रत करने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है। साथ ही व्यक्ति का स्वास्थ्य भी बेहतर बना रहता है।
सावन के महीने में इस तरह से करें भगवान शिव का पूजन
- सावन सोमवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की साफ सफाई करने के बाद स्नान करें।
- इसके बाद पूरे घर व अपने मंदिर में गंगा जल का छिड़काव करें।
- संभव हो तो पूजा करते वक्त हरा, केसरिया, पीला, लाल और सफेद रंग के वस्त्र धारण करें।
- इस दिन भगवान शंकर के साथ माता पार्वती और भगवान गणेश व भगवान कार्तिकेय की भी पूजा करने का विशेष महत्व है।
- पूजा करने के लिए पूजा में साफ जल, कच्चा दूध, दही, शहद, देसी घी, गंगाजल, शक्कर, पंचामृत, जनेऊ, लाला या पीला वस्त्र, चंदन, रोली, अक्षत, बेलपत्र, धतूरा, 5 तरह के फल, कमल का पुष्प, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, पंच मेवा, धूप, दीप, कपूर आदि सामग्री का इस्तेमाल करना चाहिए।
- सोमवार को भगवान शिव के व्रत या पूजन के दिन महामृत्युंजय मंत्र का स्पष्ट रूप से कम से कम 108 बार जाप करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति हर रोगों से छुटकारा पा लेता है।
- इसके अलावा भगवान शिव का जलाभिषेक करते वक्त ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए।
- यदि आप व्रत करते हैं तो पूरे दिन फलाहार का सेवन करें और दिन में एक बार भोजन करें जिसमें अन्न का इस्तेमाल न किया जाए।
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सावन सोमवार व्रत की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार किसी शहर में एक साहूकार था जो बहुत ही धनी था लेकिन उसे इस बात का दुख था कि उसकी कोई संतान नहीं थी। संतान प्राप्ति के लिए वह हर सोमवार भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करता था और व्रत रखता था। साहूकार की पूजा से प्रसन्न होकर माता पार्वती ने भगवान भोलेनाथ से उसे पुत्र प्राप्ति का वरदान देने के लिए आग्रह किया, परंतु भोलेनाथ ने कहा कि उनके भाग्य में संतान सुख नहीं है लेकिन माता पार्वती के बार-बार आग्रह करने पर भगवान शिव ने उन्हें संतान प्राप्ति का वरदान दिया लेकिन कहा कि इनकी जो भी संतान होगी वह अल्पायु होगी। भोलेनाथ के वरदान से साहूकार के घर एक पुत्र ने जन्म लिया लेकिन साहूकार न खुश था न दुखी क्योंकि उसे पता था कि उसका पुत्र अधिक समय तक जीवित नहीं रहेगा।
जब साहूकार का पुत्र 11 वर्ष का हो गया तो उसने उसके मामा के साथ शिक्षा प्राप्ति के लिए काशी भेज दिया। साथ ही जाने से पहले अपने पुत्र से कहा कि रास्ते में वह जहां भी रुके वहां ब्राह्मणों को भोजन कराकर दक्षिणा दें और यज्ञ करें।
साहूकार का पुत्र और मामा जब रास्ते में जा रहे थे तो एक नगर के राजा के बेटी की शादी होने वाली थी लेकिन जिस राजकुमार से उनकी बेटी का विवाह होने जा रहा था व काना था। तब राजकुमार के पिता ने इस बात का फायदा उठाते हुए अपने काने बेटे की जगह साहूकार के बेटे को दूल्हा बना कर बैठा दिया और उसी से राजकुमारी का विवाह हो गया। साहूकार के पुत्र ने राजकुमारी के दुपट्टे पर पूरी सच्चाई लिख दी कि तुम्हारा विवाह तो मुझसे हुआ है लेकिन जिस राजकुमार के साथ तुम ससुराल जाओगी वह काना है। राजकुमारी ने यह बात सुनते ही काने राजकुमार से अपना विवाह तोड़ दिया।
इसके बाद जब साहूकार का बेटा और मामा काशी पहुंच गए तो वह 16 साल का हो चुका था। 16 साल का होते ही उसकी तबीयत बिगड़ने लगी और कुछ दिनों बाद मृत्यु भी हो गई। इस बात से दुखी हुआ मामा रोने लगा। उसी दौरान भगवान शिव और माता पार्वती वहां से गुजर रहे थे। तब भगवान शिव ने मृतक को देखकर कहा कि यह तो उसी साहूकार का बेटा है। यह सुनकर माता पार्वती बहुत निराश हो गईं और साहूकार के बेटे को पुनः जीवित करने का आग्रह करने लगी। देवी पार्वती के बार-बार ऐसा कहने पर शिवजी ने व्यापारी के पुत्र को दोबारा जिंदा कर दिया।
अपनी शिक्षा पूर्ण करने के बाद जब वह मामा के साथ दोबारा अपने शहर जा रहा था तो रास्ते में उसी जगह रुका जहां उसका विवाह हुआ था। तब राजा ने साहूकार के बेटे को पहचान लिए और उसे खूब सारा धन देकर अपनी बेटी विदा कर दी। जब साहूकार को यह बात पता चली तो वह खुशी से फूला नहीं समाया। उसी रात साहूकार के सपने में भगवान शिव आकर बोले कि, मैंने तुम्हारे सोमवार व्रत करने और व्रत कथा सुनने से प्रसन्न होकर ही यह फल दिया है और तुम्हारी बेटे को दीर्घायु प्रदान की है।
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सावन में करें ये आसान ज्योतिषीय उपाय
- सावन के महीने में पति-पत्नी के साथ मिलकर पंचामृत से भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से दांपत्य जीवन में आने वाली सभी समस्याओं का निवारण होता है और पति पत्नी के बीच बिगड़े संबंध मधुर होते हैं।
- अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए सावन के सोमवार के दिन भोलेनाथ का अनार के रस से अभिषेक करना चाहिए।
- सावन के महीने में प्रतिदिन 11 व 21 बिल्वपत्रों पर चंदन से ॐ नम: शिवाय लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए। मान्यता है कि इससे व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
- सावन के महीने में रोज सुबह घर में गोमूत्र का छिड़काव करें और धूप दें। इससे घर से भी नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।
- सावन के किसी भी सोमवार के दिन माता पार्वती को चांदी का पायल चढ़ाना चाहिए इससे नौकरी व व्यापार में उन्नति होती है।
- इसके अलावा भगवान शिव और माता पार्वती को केसर से बनी खीर का भोग लगाना चाहिए। इससे जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती है।
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