सफला एकादशी 2024: नए साल की पहली एकादशी का व्रत रखने से सफल होंगे सारे काम!

एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको सफला एकादशी के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे। साथ ही, इस एकादशी के महत्व, पूजा विधि, इस दौरान पढ़ी जाने वाली पौराणिक कथा के बारे में भी बताएंगे और इस दिन किए जाने वाले खास उपाय के बारे में भी विस्तार से जानकारी देंगे। बता दें कि सफला एकादशी 07 जनवरी 2024 को पड़ रही है। यह नए साल की पहली एकादशी होगी। यदि आप एकादशी व्रत की शुरुआत करना चाहते हैं तो इस एकादशी से कर सकते हैं। तो आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं सफला एकादशी के बारे में।

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सनातन धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है। हर माह दो एकादशी पड़ती है और इस तरह साल में 24 एकादशी पड़ती है। पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। मान्यता है कि जो व्यक्ति सफला एकादशी का व्रत कर भगवान विष्णु की पूजा आराधना करते हैं, उन्हें हर कार्य और हर क्षेत्र में सफलता हासिल होती है। इसके अलावा, इस दिन व्रत व विधि-विधान से भक्ति के साथ भगवान विष्णु की पूजा की जाए तो व्यक्ति की समस्त इच्छाएं और मनोकामनाएं पूरी होती है। अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं सफला एकादशी की तिथि व समय।

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सफला एकादशी 2024: तिथि व समय

सफला एकादशी 07 जनवरी 2024 दिन रविवार को है और यह एकादशी साल 2024 की पहली एकादशी है। हिन्दू पंचांग के अनुसार पौष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 07 जनवरी 2024 से होगी।

पौष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि आरंभ: 07 जनवरी 2024 की देर रात 12 बजकर 44 मिनट से लेकर

पौष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि समाप्त: 08 जनवरी 2024 दिन सोमवार की देर रात 12 बजकर 48 मिनट तक।

सफला एकादशी पारण मुहूर्त : 08 जनवरी की सुबह 07 बजकर 15 मिनट से 09 बजकर 20 मिनट तक।

अवधि : 2 घंटे 5 मिनट

सफला एकादशी का महत्व

सफला का अर्थ है सफलता, जैसा कि नाम से ही प्रतीत हो रहा है कि सफला एकादशी भक्तों के सभी कार्यों को सफल बनाने वाली एकादशी है। मान्यता है कि हजारों साल तक तपस्या करने के बाद जिस पुण्य फल की प्राप्ति होती है वह पुण्य सफला एकादशी व्रत करने से मिलता है। कहा जाता है कि सफला एकादशी का दिन धर्मग्रंथ में एक ऐसे दिन के रूप में वर्णित हैं जिस दिन व्रत व्रत रखने से दुख व कष्ट दूर हो जाते हैं और भाग्य खुल जाते हैं। सफला एकादशी का व्रत रखने से भक्त की सभी इच्छाएं और सपने पूरा होते हैं। इस दिन मंदिर एवं तुलसी के नीचे दीपदान करने का भी बहुत महत्व बताया गया है।

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सफला एकादशी की पूजा विधि

  • सफला एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर सभी कार्यों से निवृत्त होकर स्नान कर लें और व्रत का संकल्प लें।
  • स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और सूर्यदेव को जल अर्पित करें। 
  • इसके बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा को शुद्ध जल से स्नान कराएं और उनके समक्ष दीप जलाएं।
  • भगवान विष्णु का श्रृंगार करें और उन्हें नए वस्त्र पहनाएं।
  • भगवान विष्णु को पुष्प अर्पित करें और गेंदे के फूल की माला पहनाएं। बता दें कि भगवान विष्णु की पूजा के लिए गेंदे के फूल का विशेष महत्व है।
  • भोग लगाएं। भोग में तुलसी दल डालना न भूलें।
  • भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करें और ध्यान करें।
  • सफला एकादशी की कथा पढ़ें और फिर भगवान विष्णु की आरती उतारें। 
  • आरती के बाद सभी में प्रसाद बांटे।

सफला एकादशी की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, चंपावती नगर में महिष्मान नाम का एक राजा राज करता था। राजा के पांच पुत्र थे, जिसमें सबसे बड़ा बेटा लुंभक चरित्रहीन था, वह हमेशा गलत कार्यों जैसे नशा करना, तामसिक भोजन करना, वेश्यावृत्ति, जुआ खेलना, बड़ों और ब्राह्मणों का अनादर करना आदि कार्यों में लिप्त रहता था। राजा अपने बेटे की हरकतों से काफी परेशान रहते थे और एक बार वे बहुत अधिक परेशान होकर अपने बेटे को राज्य से ही बेदखल कर दिया। 

पिता ने राज्य से बाहर निकाल दिया तो लुंभक जंगल में भटकने लगा और कंदमूल खाकर अपना पेट भरने लगा। एक बार बहुत अधिक ठंड की वजह से वह रात में सो नहीं पाया और पूरा रात ठंड से कांपता रहा, जिसके कारण वह बेहोश हो गया। उस दिन पौष माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि थी। अगले दिन जब वह होश में आया तो उसे अपने पाप कर्मों पर पछतावा हुआ, जिसके बाद उसने जंगल से कुछ फल इक्ट्‌ठा किए और पीपल के पेड़ के पास रखकर भगवान विष्णु का स्मरण किया। सर्दी इतनी थी कि उस रात भी उसे नींद नहीं आई और वह पूरी रात भगवान विष्णु के नाम का जाप करता रहा। इस तरह उसने सफला एकादशी का व्रत पूरा कर लिया। 

इस व्रत के प्रभाव से उसने धर्म के मार्ग पर चलने का फैसला लिया और सत्कर्म करने लगा। जब इसकी जानकारी राजा को हुई तो उन्होंने अपने बेटे लुंभक को राज्य में वापस बुला लिया और राज्य की सारी जिम्मेदारी उसे सौंपने का फैसला लिया। इस तरह सफला एकादशी के व्रत का महत्व और अधिक बढ़ गया।

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सफला एकादशी के दिन जरूर करें ये उपाय

जीवन में सफलता पाने और पैसों से जुड़ी समस्याओं से निजात पाने के लिए सफला एकादशी के दिन नीचे दिए गए उपाय जरूर करें।

आर्थिक तंगी से छुटकारा पाने के लिए

आर्थिक तंगी से छुटकारा पाने के लिए सफला एकादशी के दिन व्रत जरूर करें और भगवान विष्‍णु व माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करें। साथ ही, इस दिन किसी गरीब को अपने सामर्थ्य अनुसार दान करें और शाम को पूजा स्थान पर घी का चौमुखी दीपक जलाएं। ऐसा करने से धन से जुड़ी सभी समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।

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नौकरी से संबंधित समस्या के लिए 

यदि आपको कार्यक्षेत्र में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है या लाख कोशिशों के बाद भी नौकरी नहीं मिल रही है तो सफला एकादशी के दिन दाएं हाथ में जल और पीले फूल लेकर श्री हरि से प्रार्थना करें। फिर गाय के घी का दीपक जलाएं और नारायण कवच का पाठ करें।

गुरु ग्रहों की स्थिति को मजबूत करने के लिए

सफला एकादशी के दिन भगवान विष्णु को पीले फूल, गुड़ और चने की दाल अर्पित करें। पीले वस्त्र भी चढ़ाएं। माना जाता है कि ऐसा करने से विष्णु जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। साथ ही, आपकी कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति भी मजबूत होगी।

सुख-समृद्धि के लिए

घर में शांति बनाए रखने व सुख-समृद्धि प्राप्त करने के लिए सफला एकादशी के दिन घर के आंगन में तुलसी का पौधा लगाएं मान्यता है कि भगवान विष्णु को तुलसी अतिप्रिय है इसलिए  तुलसी का पौधा लगाने व सेवा करने से श्री हरि विष्णु प्रसन्न होते हैं। इसके साथ ही, उत्तर दिशा में पीले रंग वाले फूल लगाएं। ऐसा करने से परिवार में सुख और समृद्धि आती है।

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