Palmistry: हमने अक्सर देखा है कि हाथों की रेखाओं को देखकर ज्योतिष हमारे भाग्य और भविष्य के बारे में बताते हैं। ऐसा नहीं है कि हमारे हाथों में सिर्फ शुभ फल बताने वाली ही रेखाएं है। बल्कि प्रत्येक मनुष्य के हाथ में शुभ और अशुभ दोनों तरह का फल बताने वाली रेखाएं उपस्थित होती हैं। जिसके बारे में स्वयं हस्तरेखा विज्ञान में विस्तार पूर्वक बताया गया है।
आपको बता दें कि हस्तरेखा विज्ञान में शुभ-अशुभ रेखाओं का विस्तृत वर्णन मिलता है। उदाहरण के तौर पर विशेषज्ञों अनुसार समझा जाए तो हमारे हाथों में जो खड़ी रेखाएं होती हैं, वह उन्नति और धन के बारे में बताती हैं। वहीं हाथों की आड़ी रेखाएं जीवन में आने वाली मुसीबतों और संघर्षों की ओर इशारा करती हैं। इसके साथ ही अगर हाथों की रेखाएं मोटी होती हैं तो, उसे शुभ फलदायक माना जाता है।
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परंतु हस्तरेखा विज्ञान यह भी बताता है कि अंत में जाकर मोटी होने वाली रेखा सामान्य से अधिक कष्टदायक फल देने वाली होती हैं। ऐसे में ज्योतिष विज्ञान इन्हीं रेखाओं को अशुभ व प्रतिकूल फल देने वाली रेखा मनाकर इन्हें “संकट रेखाओं” के रूप में देखता है। हालांकि इन परिस्थितियों में कुछ अपवाद भी देखने को मिल सकता है।
इसलिए आज हम आपको अपने इस लेख में संकट रेखाओं के बारे में बताते हुए ये समझाने का प्रयास करेंगे कि आखिर अशुभ रेखाओं के कारण व्यक्ति को अपने जीवन में क्या कुछ कष्ट भोगने पड़ते हैं।
‘संकट रेखा’ देती है अपार कष्ट
प्रतिष्ठा और मान-सम्मान की कमी :
अगर किसी व्यक्ति के शनि पर्वत पर संकट रेखाएं होती हैं तो वह व्यक्ति धनवान तो बहुत होगा, लेकिन उसके अंदर अहंकार की वृद्धि भी अधिक रहेगी। ऐसे में वह व्यक्ति लाख तरक्की कर ले, लेकिन उसे कभी सामाजिक प्रतिष्ठा और मान-सम्मान नहीं मिल पाता है।
संपत्ति सुख से वंचित :
वहीं किसी इंसान के मंगल क्षेत्र में संकट रेखाएं होती है तो उसे संपत्ति अर्जित करने या संपत्ति बचाए रखने में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। चाहे फिर उसकी संपत्ति स्वयं उसकी खरीदी हुई हो या फिर पैतृक हो, वो व्यक्ति उसका भोग अथवा उपयोग नहीं कर पाता है।
व्यापार में नुकसान :
जिसके बुध पर्वत पर संकट की रेखाएं होती है, उसे व्यापार में निश्चित रूप से नुकसान उठाना पड़ता है। इसलिए ऐसे लोगों को कोई भी कारोबार या व्यापार संबंधित निवेश या डील करने में बहुत सतर्कता बरतनी चाहिए।
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गंभीर व लाइलाज रोग :
इसके साथ ही हस्तरेखा विशेषज्ञ बताते हैं कि बृहस्पति पर्वत पर रेखाओं का ऊपर से नीचे की ओर गिरते हुए आना, व्यक्ति को लाइलाज व गंभीर बीमारियां होने के संकेत देता है। ऐसे जातकों का भाग्य सामान्य से काफी कमजोर होता है।
जीवन भर कष्ट :
ज्योतिष विद्वानों का ये मानना भी है कि मनुष्य के हाथ में संकट रेखाओं का होना, उन्हें अपने जीवन में लगातार अलग-अलग क्षेत्रों में समस्या देने के योग बनाता है। परंतु अगर व्यक्ति किसी विशेषज्ञ ज्योतिषी की मदद से समय रहते समाधान के कुछ उपाय अपना लें तो, उसे काफी हद तक अपनी समस्याओं से निजात मिलने की संभावना भी बढ़ जाती है।
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‘संकट रेखा’ को ‘भाग्य रेखा’ में बदलने के लिए कुछ सरल उपाय
- यदि आपके भी हाथ में संकट रेखा का निर्माण हो रहा हो तो आपको नियमित रूप से शुभ मुहूर्त अनुसार महामृत्यंजय मंत्रों का जप 11, 21, 51 या 108 बार लगातार 45 दिन तक करना चाहिए।
- रोजाना सुबह-शाम प्राणायाम करें और खासतौर से सुबह के प्रहर के दौरान योगासन करके भी आप अपनी संकट रेखा में सुधार कर सकते हैं।
- संकट रेखा के अशुभ परिणामों को दूर करने के लिए अपने घर में पिरामिड या फिर स्फटिक यंत्र विधिनुसार स्थापित करें।
- नियमित रूप से बंदरों को केले खिलाएं।
- हस्तरेखा विशेषज्ञ की मानें तो नियमित रूप से नारायण स्तोत्र और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना भी जातक के लिए अनुकूल रहता है।
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