जानें संकष्टी चतुर्थी का पूजन महत्व और विधि

भगवान गणेश की उपासना से इंसान को सुख-समृद्धि का वरदान मिलता है।

हिन्दू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूजनीय का दर्जा दिया गया है। किसी भी शुभ काम को करने से पहले हम भगवान गणेश की पूजा अवश्य करते हैं। भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए उनकी एक खास पूजा-व्रत का विधान बताया गया है जिसे संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। 

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भगवान गणेश को बल, बुद्धि, विवेक के दाता का दर्ज़ा दिया गया है। अपने भक्तों की परेशानियों को चुटकियों में हर लेने वाले भगवान गणेश का एक नाम विघ्नहर्ता और संकटमोचन भी है। जैसा की हिन्दू धर्म में सभी देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए कुछ निश्चित व्रत और उपवास बताये गए हैं वैसे ही भगवान गणेश के लिए संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने का विधान बताया गया है। संकष्टी चतुर्थी का ये व्रत काफ़ी प्रचलित है।

संकष्टी चतुर्थी का व्रत से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी 

संकष्टी चतुर्थी का व्रत प्रत्येक महीने में दो बार,  कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष के चौथे दिन किया जाता है। अप्रैल महीने का संकष्टी व्रत 11 अप्रैल 2020, शनिवार के दिन रखा जायेगा। भगवान गणेश के इस व्रत के बारे में लोगों की काफी मान्यताएं जुड़ी हैं। बता दें कि जहाँ अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं वहीं पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है।

साल 2020 की सभी संकष्टी चतुर्थी की लिस्ट

संकष्टी चतुर्थी के बारे में लोगों की ऐसी मान्यता है कि माघ माह में पड़ने वाली पूर्णिमा के बाद की चतुर्थी बेहद ही शुभ होती है। संकष्टी चतुर्थी का पर्व भारत के उत्तरी और दक्षिणी राज्यों में ज्यादा धूम-धाम से मनाया जाता है।

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संकष्टी चतुर्थी पूजन विधि

  • इस दिन सूर्योदय से पहले उठ जाएं। 
  • व्रत करने वालों लोगों को इस दिन स्नान आदि करने के बाद साफ़ और लाल रंग के कपड़े पहनने की सलाह दी जाती है। कहा जाता है कि ऐसा करने से उनकी पूजा और व्रत ज्यादा फलदाई हो जाते हैं। 
  • इसके बाद भगवान गणेश की पूजा शुरू करें। 
  • पूजा के दौरान साधक का मुँह पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ रखने की सलाह दी जाती है। 
  • भगवान गणेश को फूल आदि चढ़ाएं। 
  • संकष्टी चतुर्थी की पूजा में खासकर तिल, गुड़, लड्डू, फूल ताम्बे के कलश में पानी , धूप, चन्दन , प्रसाद के तौर पर केला या नारियल इत्यादि अवश्य शामिल करें। 
  • ध्यान रखें कि इस दौरान आप दुर्गा माता की प्रतिमा को भी पूजा में अवश्य शामिल करें। 
  • इसके बाद भगवान गणेश को रोली चढ़ाएं और उनपर जल अर्पित करें। 

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  • भगवान को तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाएं। 
  • भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए पूजा में इस मंत्र का जप अवश्य करें, ‘गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।’
  • इसके बाद फल, साबूदाना खीर इत्यादि खाकर ही व्रत रखें। बहुत से लोग इस दिन सेंधा नमक का भी इस्तेमाल करते हैं लेकिन हो सके तो इससे बचें।  
  • शाम के समय चांद निकलने से पहले गणेश भगवान की पूजा करें और संकष्टी व्रत कथा का पाठ करें।
  • पूजा पूरी होने के बाद सब में प्रसाद बाटें। संकष्टी का व्रत हमेशा चाँद देखने और पूजा करने के बाद ही पूरा किया जाता है। 

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संकष्टी चतुर्थी का महत्व

  • मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से घर से हर तरह के नकारात्मक प्रभाव और ऊर्जाएं दूर हो जाती हैं। 
  • संकष्टी व्रत से घर में शांति बनी रहती है। 
  • इस व्रत को करने से भगवान गणेश, साधक की सभी मनोकामनाएं अवश्य पूरी करते हैं। 
  • इस दिन चन्द्र दर्शन का बहुत महत्व होता है क्योंकि यह व्रत सूर्योदय से शुरू होकर चंद्र दर्शन पर ही पूर्ण होता है। 

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