कुण्डली में रुचक पंच महापुरुष योग – मंगल की कृपा का फल

जीवन में राजयोग हर कोई पाना चाहता है। यह वास्तव में ग्रहों की विशेष स्थिति से बनने वाला संयोग है जो जीवन में सभी प्रकार की समृद्धि और सुख प्रदान करता है। हर कोई चाहता है कि उसकी कुंडली में राजयोग विद्यमान हो और उसका पूरा फल उसे प्राप्त हो ताकि वह जीवन में यश और वैभव प्राप्त कर सके और जीवन की ऊँचाइयों को प्राप्त कर सके। वास्तव में राजयोग का तात्पर्य राजाओं की कुंडली में होने वाला योग है, जिससे व्यक्ति राजा या राजा के समान शानो शौकत तथा मान सम्मान युक्त जीवन व्यतीत करता है। इसी बात पर एस्ट्रोसेज आपके लिए लेकर आया है एस्ट्रोसेज सुपर समर सेल, एक ऐसा सुनहरा अवसर जिसमें आप अपनी कुंडली में बनने वाले सभी राजयोगों के बारे में विस्तार से जान सकते हैं। साथ ही पाएं सर्वोत्तम डील और ऑफर विभिन्न ज्योतिषीय रिपोर्ट्स पर और जानें क्या छिपा है आपके भविष्य में।

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पुराने समय में राजाओं के द्वारा कुंडली विश्लेषण में राज योग के बारे में जाना जाता था और उसी से पता चलता था कि कौन सा राजा अधिक शक्तिशाली और अधिक समर्थ है तथा किसका यश और वैभव सबसे ज्यादा है। इनमें राजयोगों की प्रमुख भूमिका होती थी क्योंकि जिस व्यक्ति कुंडली में जितने अधिक और मजबूत अर्थात् सशक्त राजयोग होंगे, वह व्यक्ति उतनी ही ऊँचाइयों को प्राप्त करता है और जीवन में सफलता अर्जित करता है।

जनयति नृपमेकोऽप्युच्चगो मित्रदृष्टः प्रचुरगुणसमेतं मित्रयोगाच्च सिद्धम्।

विवसुविसुखमूढव्याधितो बन्धुतप्तो वधदुरितसमेतः शत्रुनिम्नर्क्षगेषु।।२।।

बृहज्जातकम् के आश्रयफलाध्याय का यह द्वितीय श्लोक कुंडली में बनने वाले राजयोग के बारे में प्रकाश डालता है। इसके अनुसार यदि जन्म कुंडली में एक भी ग्रह परमोच्च स्थिति में होकर मित्र ग्रहों से दृष्टि प्राप्त करता हो तो राजा होने का योग बनता है। ऐसी स्थिति में मनुष्य विभिन्न प्रकार का धन-धान्य प्राप्त करके समृद्धिशाली होता है। यदि ग्रह शत्रु अथवा नीच राशि में हो तो मनुष्य धन से रहित, सुख से रहित, किंकर्तव्यविमूढ़, रोगी, बंधन के कारण परेशानी उठाने वाला, सदैव ताड़ना प्राप्त करने वाला, अपमानित तथा महा पापी और निकृष्ट हो सकता है। अर्थात् उच्च ग्रह मजबूत स्थिति में हो और मित्र ग्रहों द्वारा देखा जाए तो वह उतना ही अच्छा फल प्रदान करता है और व्यक्ति को राजा के समतुल्य बना देता है। इस प्रकार किसी भी कुंडली में राजयोग को कितना महत्व दिया गया है, यह समझा जा सकता है।

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आज हम इस आलेख में एक ऐसे ही राजयोग के बारे में चर्चा करेंगे जो हमारे जीवन में विभिन्न प्रकार की समस्याओं को दूर करता है और हमें सुख समृद्धि वान, पराक्रमी, वीर तथा लक्ष्मी वान बनाता है।

रुचक पंच महापुरुष योग क्या है?

रुचक पंच महापुरुष योग क्या है यह जानने से पहले यह जान लेते हैं कि पंच महापुरुष योग क्या होता है और कैसे बनता है।

मूलत्रिकोणनिजतुङ्गगृहोपयाता भौमज्ञजीवसितभानुसुता बलिष्ठा: । 

केन्द्रस्थिता यदि तदा रुचभद्रहंसमालव्यचारुशशयोगकरा भवन्ति ।। 

-जातकपारिजात

जातक परिजात का उपरोक्त श्लोक बताता है कि यदि मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि अपनी उच्च राशि अथवा मूल त्रिकोण राशि या स्वराशि में स्थित होकर लग्न से केंद्र भाव में स्थित हों तो महापुरुष योग का निर्माण होता है। मंगल से रुचक, बुध से भद्र, बृहस्पति से हंस, शुक्र से मालव्य और शनि से शश योग का निर्माण होता है। इनमें से आज हम रूचक योग की ही बात करेंगे।

मंत्रेश्वर जी के अनुसार यह योग केवल लग्न से केंद्र में स्थित होने पर ही बनता है लेकिन फलदीपिका के अनुसार यदि चंद्रमा से भी केंद्र में यही स्थिति निर्मित हो तो भी महापुरुष योग बनता है। 

रुचक पंच महापुरुष योग मंगल ग्रह के द्वारा निर्मित होता है। यह योग तब बनता है, जब कुंडली के केंद्र भाव में मंगल अपनी उच्च राशि मकर अथवा अपनी मूल त्रिकोण राशि मेष या फिर अपनी स्वराशि वृश्चिक में स्थित होता है। 

मानसागरी के अनुसार यदि मंगल ग्रह लग्न से केंद्र में स्थित हो और अपनी उच्च अथवा स्वराशि में स्थित हो तभी रुचक पंच महापुरुष योग का निर्माण होगा। परंतु मंगल के साथ सूर्य या चंद्रमा स्थित हो तो महापुरुष योग भंग हो जाता है और जो इसका महान फल है वह नहीं प्राप्त होता। केवल सामान्य फल ही प्राप्त हो पाता है।

इस योग के बारे में सारावली के अध्याय 24 में तथा वराह मिहिर जी द्वारा रचित बृहत् संहिता के 68 वें अध्याय में पंच मानुष विभागाध्याय में महापुरुष योग का वर्णन किया है। आप अपनी व्यक्तिगत राज योग रिपोर्ट के माध्यम से अपनी कुंडली में कई राज योगों के गठन के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

रुचक पंच महापुरुष योग का महत्व

जिस प्रकार इनका नाम है ,उसी प्रकार पंच महापुरुष योग व्यक्ति के जीवन में इतनी भव्यता देते हैं कि उसका जीवन महापुरुष के तुल्य हो जाता है। उनके जीवन का कोई सानी नहीं होता और वह जीवन के अनेक क्षेत्रों में ऊंचा उठते हैं और उनका नाम मशहूर हो जाता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में रुचक पंच महापुरुष योग विद्यमान हो, उसका जीवन बड़ा ही अनोखा हो जाता है और वह जीवन में आने वाली किसी भी समस्या से बिल्कुल भी नहीं घबराता बल्कि डटकर उसका सामना करता है और संघर्षों को पीछे छोड़कर जीवन में आगे बढ़ता है। यह सब मंगल ग्रह की कृपा से ही प्राप्त होता है क्योंकि मंगल ग्रह को नव ग्रहों में सेनापति का दर्जा दिया गया है जो जीवन ऊर्जा का कारक ग्रह भी है।

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रुचक पंच महापुरुष योग का प्रभाव 

रुचक पंच महापुरुष योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति का शरीर बलशाली होता है और वह लक्ष्मी मान होता है। अर्थात् उसके पास धन की कोई कमी नहीं होती। वह अपने शरीर का ध्यान रखता है और ताकतवर शरीर का स्वामी होता है। उसका शरीर कांति युक्त होता है और वह मंत्रों के जाप और अभिचार में कुशल होता है। वह कोई राजा अथवा राजा के समान जीवन भोगने वाला हो सकता है। वह सफल, लावण्य युक्त शरीर से सभी को मोहित करने में सक्षम होता है। उसके शरीर की लालिमा सभी को अपना बना सकती है। ऐसा व्यक्ति कोमल शरीर वाला और सभी शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने वाला होता है। वह किसी भी चुनौती का डटकर सामना करता है और धनी होने के साथ-साथ आवश्यकता पड़ने पर त्यागी भी हो सकता है। ऐसे व्यक्ति दीर्घायु को प्राप्त करते हैं और जीवन में सभी प्रकार के सुखों का भोग करते हैं।

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रुचक पंच महापुरुष योग का फल

मंगल द्वारा बनने वाले रुचक पंच महापुरुष योग के बारे में निम्नलिखित श्लोक काफी महत्वपूर्ण है:

जातः श्रीरुचके बलान्वितवपुः श्रीकीर्तिशीलान्वितः

शास्त्री मंत्रजापाभिचारकुशलो राजाऽथवा तत्समः। 

लावण्यारुणकान्तिकोमलतनुस्त्यागी जितारिर्घनी 

सप्त्यब्दमितायुषा सह सुखी सेनातुरङ्गाधिपः।।

यदि इस श्लोक पर नजर डाली जाए तो इससे पता चलता है कि रुचक पंच महापुरुष योग जिस व्यक्ति की कुंडली में स्थित होता है, वह व्यक्ति अत्यंत ही बलिष्ठ होता है। देखने में ऊर्जावान और शक्तिशाली होता है। उसका स्वभाव बहुत अच्छा तथा चारित्रिक रूप से शीलवान होता है। उसके यश और कीर्ति की पताका अनेक दिशाओं में फहराती है। वह मंत्रों का जाप करने में कुशल होता है और अत्यंत शक्तिशाली तथा लक्ष्मी मान होता है। शत्रु उसके सामने टिक नहीं पाते और वह धनी होता है। ऐसा व्यक्ति अपनी मातृभूमि के प्रति विशेष अनुराग अर्थात् प्रेम रखता है और देशभक्त होता है। वह प्रभावशाली होता है और अपने जीवन को मजबूत बनाता है, जिससे उसकी एक अलग ही छवि बनती है।

इस प्रकार रुचक पंच महापुरुष योग मंगल की कृपा से बनने वाला एक बहुत अच्छा योग है जो जीवन में सभी प्रकार की सुख-सुविधाओं को प्रदान करने में सक्षम माना गया है। जब भी कुंडली में मंगल ग्रह की महादशा अथवा अंतर्दशा आती है तो व्यक्ति को रुचक पंच महापुरुष योग के प्रभाव मिलने शुरू हो जाते हैं।

यहां पर ध्यान देने योग्य बात यह है कि जन्म कुंडली में इस योग के बनने से इसका प्रभाव मिलना तय हो जाता है लेकिन यदि नवमांश कुंडली या वर्ग कुंडलियों में मंगल नीच स्थिति में या अशुभ प्रभाव में हो तो यह योग पूर्ण रूप से अपना फल देने में सक्षम नहीं होता। फिर भी थोड़े बहुत परिणाम प्राप्त हो ही जाते हैं। कोई भी राजयोग देने वाला ग्रह अपनी दशा अथवा अंतर्दशा में अपना प्रभाव अवश्य देता है। ऐसे ग्रह की जब भी महादशा आती है या किसी अनुकूल ग्रह की महादशा में उसकी अंतर या प्रत्यंतर दशा आती है तो व्यक्ति को अनेक प्रकार के लाभों की प्राप्ति होती है। आपकी व्यक्तिगत राज योग रिपोर्ट बताती है कुंडली में ग्रहों की दशा और उनका आपके जीवन पर प्रभाव।

रुचक पंच महापुरुष योग उदाहरण कुण्डली

आइए किसी कुंडली में बनने वाले रुचक पंच महापुरुष योग पर ध्यान देते हैं और जानते हैं कि कुंडली में किस प्रकार यह योग देखा जाता है। यह एक उदाहरण कुंडली है:

ruchak kundli hi

यह कुंडली मेष लग्न की है जिसका स्वामी मंगल है जोकि लग्न से केंद्र भाव अर्थात् दशम भाव में अपनी उच्च राशि मकर में विराजमान है। इस प्रकार यह एक शक्तिशाली रुचक पंच महापुरुष योग बना रहा है। यहां स्थित मंगल व्यक्ति को कर्मठ भी बनाएगा।

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इस प्रकार रुचक योग से जीवन में मिलने वाले सभी महत्वपूर्ण प्रभावों को जाना जा सकता है।

एस्ट्रोसेज सुपर समर सेल आपको एक सुनहरा मौका दे रही है, जिसमें आप अपनी कुंडली में छिपे हुए विभिन्न योगों, दोषों और ग्रहों के परिवर्तन के बारे में जान सकते हैं और इसके साथ ही अपने प्रश्नों के उत्तर प्राप्त कर सकते हैं। अभी सम्पर्क करें।

 

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