रोहिणी व्रत 2021: जानें इस व्रत से जुड़ी ज़रूरी बातें, महत्व और मुहूर्त की जानकारी

जैन धर्म के लोगों के बीच रोहिणी व्रत का विशेष महत्व होता है। रोहिणी व्रत रोहिणी नक्षत्र में किया जाता है। यूँ तो यह बेहद ही सामान्य होता है लेकिन उससे मिलने वाले फल की वजह से इस व्रत को एक त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। रोहिणी व्रत के दिन भगवान वासुपूज्य की पूजा की जाती है। इस विशेष आर्टिकल में जानते हैं कि, मई महीने में रोहिणी व्रत किस दिन किया जाएगा। इस व्रत से जुड़ी कुछ खास बातें क्या होती है और इस व्रत का उद्यापन कब किया जा सकता है?

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वैशाख महीने में कब किया जाएगा रोहिणी व्रत?

रोहिणी व्रत प्रत्येक महीने में क्या जाता है। ऐसे में वैशाख माह में रोहिणी व्रत 13 मई बृहस्पतिवार के दिन किया जाएगा।

क्या है रोहिणी व्रत का महत्व और इससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बातें

रोहिणी व्रत महिलाओं के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है। जैन धर्म की विवाहित महिलाएं इस व्रत का नियमित रूप से पालन करती हैं। कहा जाता है जो कोई भी महिलाएं इस व्रत का पालन करती हैं उन्हें सौभाग्य और घर में सुख समृद्धि का वरदान मिलता है। इसके अलावा पुरुष भी चाहे तो इस व्रत को कर सकते हैं। महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और घर परिवार के लोगों की सुख समृद्धि के लिए यह व्रत करती हैं।

क्या है रोहिणी व्रत पूजा की सही विधि? 

रोहिणी व्रत के दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करती हैं और उसके बाद व्रत और पूजा का संकल्प लेती हैं। इस दिन की पूजा में भगवान वासुपूज्य की पूजा की जाती है। रोहिणी व्रत के दिन की जाने वाली पूजा के लिए वासुपूज्य भगवान की पंचरत्न से बनी, ताम्र से बनी या फिर सोने से बनी हुई प्रतिमा का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा इस दिन की पूजा में दो वस्त्र, फल, फूल, नैवेद्य आदि अवश्य इस्तेमाल होते हैं। पूजा करने के बाद इस दिन दान भी दिया जाता है। इस दिन दान देने का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसे में लोग अपनी यथाशक्ति के अनुसार दान अवश्य देते हैं।

कब किया जा सकता है रोहिणी व्रत का उद्यापन

किसी भी व्रत में उद्यापन का विशेष महत्व होता है। ऐसे में यदि व्रत किया जाए तो उद्यापन की संपूर्ण जानकारी अवश्य होनी चाहिए। कहा जाता है रोहिणी व्रत कम से कम पांच, 3 या 7 वर्ष किया जाता है। इसके बाद ही इसका उद्यापन किया जाना फलदाई होता है।

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