13 अप्रैल को नवरात्रि के शुरुआत से देश भर में माता के भक्त धर्म-कर्म के काम में जुट गए। इस दौरान माता के भक्त व्रत रखते हैं और पूरे मनोभाव से माता की पूजा अर्चना करते हैं। नवरात्रि का यह पर्व 9 दिनों तक चलता है और इस दौरान माता के भक्त पूरी निष्ठा के साथ इस व्रत का पालन करते हैं। इस व्रत के दौरान प्याज और लहसुन का सेवन निषेध माना गया है। यहाँ तक कि प्याज और लहसुन को किसी देवी देवता को अर्पित करना भी पूरी तरह से निषेध माना गया है लेकिन क्या आपको इसका कारण पता है? अगर नहीं पता है तो आप निश्चिंत हो जाइए क्योंकि इस लेख में हम आपको यही बताने वाले हैं कि सनातन धर्म में किसी भी मांगलिक कार्य के दौरान लहसुन और प्याज के खाने पर मनाही क्यों है।
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लहसुन प्याज को व्रत के दौरान क्यों नहीं खाते?
दरअसल इसकी दो वजहें हैं। एक पौराणिक वजह और एक वैज्ञानिक। तो हम सबसे पहले आपको पौराणिक वजह बताते हैं।
पौराणिक कथा
लहसुन प्याज का सीधा संबंध समुद्र मंथन से है। जी हाँ, आपने सही पढ़ा। घबराइए नहीं! ये समुद्र मंथन से पैदा नहीं हुई है बल्कि उस घटना से जुड़ी हुई है। कहते हैं कि जब समुद्र मंथन से अमृत कलश निकला तो देवताओं और राक्षसों के बीच इसे पाने की होर लग गयी थी। लेकिन भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धर के बड़ी चतुराई से सभी देवताओं को अमृत पीला दिया और असुर इससे वंचित रह गए।
इसी अमृत के बंटवारे के क्रम में स्वरभानु नामक एक राक्षस ने चतुराई दिखाते हुए देवता का वेश धारण किया और देवताओं की कतार में जाकर बैठ गया। भगवान विष्णु उसे पहचान नहीं पाए और उसे भी अमृत पिला दिया। लेकिन चंद्रमा और सूरज देवता ने स्वरभानु का भांडा फोड़ते हुए भगवान विष्णु को स्वरभानु की असलियत बता दी। नतीजा यह हुआ कि भगवान विष्णु ने स्वरभानु की गर्दन अपने सुदर्शन चक्र से काट दी।
स्वरभानु के गर्दन कटने से अमृत की कुछ बूंदें पृथ्वी पर आ गिरी। कहते हैं कि इन्हीं अमृत की बूंदों से लहसुन और प्याज उत्पन्न हुए। अमृत से उत्पन्न होने की वजह से इनके अंदर औषधीय गुण तो हैं लेकिन एक राक्षस के मुख से छलक कर गिरने की वजह से इनके अंदर तामसिक गुण आ गए जिसकी वजह से इन दो चीजों का व्रत के दौरान उपयोग मना है।
वैज्ञानिक कारण
दरअसल आयुर्वेद में लहसुन और प्याज को तामसिक गुणों वाला भोजन बताया गया है। इसके अनुसार लहसुन और प्याज का सेवन मनुष्य के स्वभाव में उग्रता और वासना बढ़ाता है। यह बात सिर्फ आयुर्वेद तक सीमित नहीं है बल्कि वैज्ञानिक अनुसंधान में यह सिद्ध हुआ है कि लहसुन और प्याज में एलिसिन नामक तत्व पाया जाता है जिसकी वजह से मनुष्य के अंदर वासना बढ़ती है। यही वजह है कि लहसुन और प्याज का व्रत या मांगलिक कार्य के दौरान सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे व्रत कर रहे मनुष्य के मन में भोग विलास की इच्छा बढ़ेगी और उसका पूजा से ध्यान भटकेगा। यह व्रत के नियमों का उल्लंघन है।
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इसके साथ ही लहसुन और प्याज में FODAMP नामक कार्बोहाइड्रेट की छोटी-छोटी श्रृंखला मौजूद होती है जिसे हमारे शरीर के छोटी आंतों के लिए पचाना बेहद मुश्किल माना जाता है। ऐसी स्थिति में इसका सेवन करने वाले व्यक्ति को गैस की समस्या होती है। यह भी एक वजह है कि व्रत के दौरान जातक को कोई तकलीफ ना हो इसलिए भी लहसुन और प्याज को खाने से मना किया जाता है।
मान्यता यह भी है कि चूंकि लहसुन और प्याज जमीन के नीचे पैदा होते हैं, इस वजह से उन्हें साफ करने में कई सूक्ष्मजीवों की जान चली जाती है इसलिए भी उन्हें मांगलिक कार्यों और व्रत के दौरान नहीं खाया जाता। लेकिन यह मान्यता उतनी सटीक नहीं जान पड़ती हैं जितनी कि बाकी सभी।
हम उम्मीद करते हैं कि हमारा यह लेख आपकी जानकारी बढ़ाने में काफी मददगार साबित हुआ होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ साझा कर सकते हैं। धन्यवाद!