जानें क्यों पड़ा हरतालिका तीज नाम, साथ ही जानें इस दिन लगने वाले भव्य मेले के बारे में !

सुहागिन स्त्रियों के लिए हरतालिका तीज विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। आने वाले 1 सितंबर को समस्त उत्तर भारत सहित राजस्थान राज्य में भी धूम धाम के साथ महिलाएं हरतालिका तीज का पर्व मनाएंगी। इस दिन सुहागिन महिलाएं विशेष रूप से पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। आपने इस त्यौहार के बारे में काफी सुना होगा लेकिन क्या अपने कभी सोचा है कि इस तीज को हरतालिका नाम ही क्यों दिया गया। आज हम आपको इस त्यौहार के नाम का अर्थ और इस अवसर पर आयोजित होने वाले भव्य मेले के बारे में बताने जा रहे हैं।

“हरतालिका” नाम क्यों पड़ा

बता दें कि हरतालिका तीज असल में दो शब्दों के जोड़ से बना है, हरित और तालिका। जहाँ एक तरफ हरित का अर्थ है हरण करना वहीं दूसरी तरफ तालिका का अर्थ है सखी या सहेली। चूँकि ये त्यौहार भादो माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है इसलिए इसे तीज कहते हैं। इस त्यौहार को हरतालिका तीज इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस दिन माता पार्वती की सहेलियां उन्हें उनके पिता के घर से हरण करके जंगल में शिव जी की उपासना करने लेकर गई थी। माना जाता है कि इस दिन ही घोर तपस्या करने के बाद उन्हें शिव जी पति के रूप में मिले थे। 

हरतालिका तीज व्रत विधि

बता दें कि हरतालिका तीज व्रत सुहागिन महिलाओं के साथ ही कुंवाड़ी लड़कियां भी रख सकती हैं। इस दिन विशेष रूप से सुहागिन स्त्रियाँ लाल रंग के सुहाग का जोड़ा पहनती है और व्रत का संकल्प लेकर माता पार्वती और शिव जी की पूजा करती है। इस दिन महिलाएं विशेष रूप से हाथों में मेहँदी लगाती हैं और सोलह श्रृंगार करके माता पार्वती से अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती है। इसके साथ ही कुंवाड़ी लड़कियां भी इस दिन खासतौर से व्रत रखकर शिव जी और पार्वती माता की उपासना करती है और अच्छे वर का वरदान मांगती हैं। पूजा के दौरान पार्वती माता को विशेष रूप से सुहाग की चीज़ें अर्पित की जाती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से स्वयं भगवान् शिव व्रती महिला के सुहाग की रक्षा करते हैं।

हरतालिका तीज पर यहाँ किया जाता है भव्य मेले का आयोजन 

इस त्यौहार को खासतौर से राजस्थान में भी मनाया जाता है। राजस्थान के जयपुर में खासतौर से इस व्रत के दिन अलग ही माहौल देखने को मिलता है। बता दें कि हरतालिका तीज के अवसर पर जयपुर में तीन दिनों के मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले को बेहद ख़ास माना जाता है, जिसकी पहचान राष्ट्रस्तर पर है। भव्य मेले के आयोजन के साथ ही इस दिन तीज माता की झांकी निकाली जाती है। तीज माता पार्वती माँ को ही कहते हैं, उनके दर्शन के लिए इस दौरान भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ता है। झांकी में सजे धजे हाथी और घोड़े भी पालकी के साथ चलते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस मेले में शामिल होने के लिए ग्रामीण और शहरी लोगों के साथ ही विदेशी पर्यटक भी आते हैं। महिलाएं इस दिन झूला झूलती हैं और लोकगीत जाती हैं। कुलमिलाकर इस दिन एक ख़ास उत्सव जैसा वातावरण देखने को मिलता है।

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