रावण ने श्रीराम की पत्नी माता सीता से पहले उनकी मां कौशल्या का भी किया था हरण।

त्रेतायुग की सबसे प्रचलित पौराणिक कथा आज देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी सुनाई जाती है। जब विष्णु के अवतार माने जाने वाले भगवान राम ने लंका पति रावण की कैद से अपनी पत्नी माता सीता को छुड़ाने के लिए रावण को पराजित कर असत्य पर सत्य की जीत का उदाहरण दिया था। लेकिन जिस रावण को माता सीता के हरण के लिए आज दुनिया जानती है क्या आप जानते हैं कि सीता जी से पहले उसी रावण ने भगवान राम की मां कौशल्या का भी हरण किया था। आइये जानते हैं उसी घटना से जुड़ी एक बेहद हैरान करने वाली पौराणिक कथा। 

कोशल देश की राजकुमारी थीं कौशल्या 

मान्यता अनुसार त्रेतायुग के समय कोशल देश हुआ करता था जिसके राजा थे कोशल। राजा कोशल को एक बेहद सुन्दर कौशल्या नाम की पुत्री थी, जो विवाह योग्य थी। राजा कोशल ने कौशल्या का विवाह करने का निर्णय लिया और इसके लिए उन्होंने अयोध्या के राजा दशरथ का चयन किया। अपनी इच्छा राजा दशरथ के सामने व्यक्त करते हुए राजा कोशल ने राजा दशरथ को विवाह का प्रस्ताव सुनाने के लिए अपने दरबार में आमंत्रित किया।

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ब्रह्माजी ने बताया रावण को उसकी मृत्यु का कारण 

शास्त्रों अनुसार माना जाता है कि जिस समय राजा कौशल अपनी बेटी और राजा दशरथ के विवाह करा रहे थे, ठीक उसी समय लंकापति रावण ब्रह्मलोक में ब्रह्माजी से पूछ रहा था कि “उसकी मृत्यु कब और किसके हाथों हो सकती है।”  रावण की विनती सुनकर ब्रह्माजी ने उसके सवाल का जवाब देते हुए रावण को बताया कि, “राजा दशरथ की पत्नी कौशल्या से इसी युग में साक्षात् भगवान विष्णु जी जन्म लेंगे और वही तुम्हारी मृत्यु का कारण बनेंगे।” 

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बस फिर क्या था ब्रह्मा जी की बात सुनकर रावण अपनी पूरी सेना लेकर अयोध्या की ओर प्रस्थान कर गया। मृत्यु के भय से भयभीत रावण ने अयोध्या में राजा दशरथ से युद्ध किया और उन्हें पराजित भी किया। रावण और राजा दशरथ के बीच हुआ ये युद्ध सरयु के निकट हो रहा था। इस दौरान राजा अपने मंत्रियों संग नौका में थे। रावण ने सभी नौकाओं को तहस-नहस कर दिया था, लेकिन राजा दशरथ और उनके मंत्री सुमंत नदी में बहते हुए समुद्र में जा पहुंचे थे।

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मृत्यु के डर से रावण ने किया कौशल्या का हरण 

राजा दशरथ को नदी में डूबा हुआ समझकर रावण अब अयोध्या के बाद कोशल नगरी जा पहुंचा। वहां भी उसने भयानक युद्ध कर राजा कोशल को भी पराजित कर दिया। इसके बाद अहंकारी रावण ने कौशल्या का हरण किया और आकाशमार्ग से लंका की ओर सेना के साथ चल पड़ा। लंका जाते समय मौत से भयभीत रावण इस सोच में पड़ गया कि “सभी देवता मेरे शत्रु हैं, कहीं ऐसा न हो कि मैं कौशल्या को लंका में कैद करूँ और देवता रूप बदलकर उन्हें आज़ाद न करा ले जाएं।” रावण इस बात का सोच ही रहा था कि उसे रास्ते में समुद्र में रहने वाली तिमंगिल मछली दिखाई दी। फिर रावण ने कौशल्या को उसी तिमिंगिल मछली का निवाला बनाने का फैसला किया। 

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इसके लिए रावण ने पहले कौशल्या को एक संदूक में बंद किया और फिर उसी मछली को सौंप दिया और स्वंय अपनी सेना के साथ लंका लौट गया। मछली संदूक लेकर समुद्र में घूमने लगी। तभी अचानक तिमिंगिल मछली के सामने एक अन्य मछली आई और दोनों के बीच संदूक को लेकर युद्ध होने लगा। इसी दौरान संदूक समुद्र में गिर गया। 

संदूक ने राजा दशरथ ने कौशल्या को किया आज़ाद 

उसी समय राजा दशरथ भी अपने मंत्री के साथ बहते हुए नदी के मार्ग से समुद्र में पहुंचे। वहां उनकी दृष्टि उसी संदूक पर पड़ी। उन्होंने जब संदूक खोला तो उसमें से कौशल्या निकली और उन्होंने राजा से अपनी आपबीती सुनाई। राजा और मंत्री दोनों ही कौशल्या को उस हालत में देखकर आश्चर्यचकित हो गए थे।

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आपस में संवाद करने के बाद उन्होंने एक रणनीति बनाई और उसी के अनुसार वो तीनों अपनी जान बचने के लिए पुनः संदूक में बैठ गए और उसी संदूक की मदद से वो सतह पर आ पाने ने कामयाब रहे। 

कौशल्या की कोख से जन्मे श्री राम के हाथों हुआ रावण का अंत 

अहंकारी रावण राजा दशरथ को डुबाकर और कौशल्या को संदूक में छिपा कर बहुत खुश था। उसे लगा कि उसकी मृत्यु का कारण बनने वाले दोनों लोग अब नहीं रहेंगे तो उसकी मृत्यु भी नहीं हो सकेगी और वो अमर बन जाएगा। लेकिन वो इस बात से पूरी तरह अपरिचित था कि जिन्हें वो मरा हुआ समझ रहा है असल में वो मौत के मोह से बचने में सफल हो गए है। 

माना जाता है कि राजा दशरथ और कौशल्या के विवाह से ही भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में जन्म लिया था। जो आगे चलकर रावण की मौत का कारण बने थे।  

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