हिंदू धर्म में रथ सप्तमी को अत्यंत शुभ माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार माघ के महीने में शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को रथ सप्तमी का पर्व मनाया जाता है।
मान्यता हैै कि रथ सप्तमी के दिन सूर्य देव का जन्म हुआ था और इस शुभ दिन को सूर्य देव की उपासना के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस हिंदू पर्व को भानु सप्तमी और अचला सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है। इस ब्लॉग में आगे बताया गया है कि रथ सप्तमी 2024 में कब है, इस पर्व का महत्व और पूजन विधि क्या है।
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रथ सप्तमी 2024 कब है
16 फरवरी, 2024 को शुक्रवार को रथ सप्तमी का पर्व पड़ रहा है। इस दिन श्रद्धालु सूर्य देव की पूजा करते हैं और उनके आशीर्वाद से आरोग्य जीवन प्राप्त होता है। सूर्य देव की कृपा से व्यक्ति को सुख, समृद्धि और धन की भी प्राप्ति होती है।
सप्तमी तिथि 15 फरवरी को 10 बजकर 15 मिनट से शुरू होगी और 16 फरवरी की सुबह 08 बजकर 56 मिनट तक रहेगी। अत: रथ सप्तमी का पर्व 16 फरवरी को मनाया जाएगा।
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रथ सप्तमी पर बन रहा है शुभ योग
रथ सप्तमी को ब्रह्म योग बन रहा है। 15 फरवरी को शाम 05 बजकर 21 मिनट से ब्रह्म योग आरंभ होगा और यह 16 फरवरी को दोपहर 03 बजकर 17 मिनट तक रहेगा। इसके बाद इंद्र योग शुरू होगा जो कि 17 फरवरी को 01 बजकर 43 मिनट तक रहेगा। रथ सप्तमी पर भद्रा स्वर्ग लोक में वास करेंगी जिससे पृथ्वी के सभी प्राणियों का कल्याण होगा।
ब्रह्म योग का महत्व
बृहस्पति, शुक्र और बुध के एक ही भाव में आने पर ब्रह्म योग का निर्माण होता है। बृहस्पति बुद्धि, ज्ञान और अध्यात्म का कारक हैं, शुक्र प्रेम और शांति का प्रतीक हैं और बुध बुद्धि और संचार के स्वामी हैं। ब्रह्म योग बनने से इन तीनों ग्रहों की कृपा प्राप्त होती है। इस योग के शुभ प्रभाव से व्यक्ति को रचनात्मक कार्यों में सफलता मिलती है।
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क्यों मनाते हैं रथ सप्तमी
रथ सप्तमी को लेकर एक कथा प्रचलित है। इस कथा के अनुसार एक राजा थे जिनका पुत्र हमेशा बीमार रहता था और इस वजह से राजा बहुत परेशान रहते थे। तब राजा ने अपने बेटे के स्वस्थ होने और उसके इलाज के लिए किसी से परामर्श लेने का निर्णय लिया। एक ज्ञानी व्यक्ति ने राजा को बताया कि उनका पुत्र अपने पूर्व जन्म के कर्मों के कारण अस्वस्थ रहता है। उस ज्ञानी व्यक्ति ने रथ सप्तमी पर सूर्य देव की पूजा करने की सलाह दी। इससे राजा के पुत्र की सेहत ठीक हो गई। इसके बाद राजा का पुत्र रोज़ सूर्य देव की उपासना करता था जिससे उसे अपने सभी पापों और नकारात्मकता से मुक्ति मिल गई।
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रथ सप्तमी 2024 पर क्या करना चाहिए
रथ सप्तमी के दिन अरुणोदय के दौरान स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें और आदित्य हृदयम स्तोत्र, सूर्य अष्टकम और वेदम का पाठ करें। सूर्य देव को पुष्प और जल भी अर्पित करें। अपने पूर्व जन्म के पापों से मुक्ति पाने और जीवन से हर प्रकार की नकारात्मकता को खत्म करने के लिए रथ सप्तमी के दिन व्रत भी रख सकते हैं।
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रथ सप्तमी की पूजन विधि
माघ महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करने के बाद सूर्य देव को नमस्कार करें। अब एक लोटे में जल भरें और उसमें गंगा जल मिलाएं। आपको इस दिन आचमन कर के स्वयं को शुद्ध कर पीले रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए। इसके पश्चात् जल में अक्षत, तिल, रोली और दूर्वा मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य देना आरंभ करें। अर्घ्य देते समय ‘ॐ घृणि सूर्याय नम:,’ मंत्र का जाप करें।
अब पंचोपचार कर के सूर्य देव का पूजन करें और सूर्य चालीसा एव सूर्य कवच का पाठ करें। इसके बाद सूर्य देव की आरती करें और अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें। पूजन के बाद बहते हुए जल में काले तिल प्रवाहित करें। रथ सप्तमी के दिन गरीबों और जरूरतमंद लोगों को भोजन करवाना और दान देना भी फलदायी रहता है। अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए आप रथ सप्तमी के दिन व्रत भी रख सकते हैं।
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रथ सप्तमी पर सूर्य देव को प्रसन्न करने के ज्योतिषीय उपाय
रथ सप्तमी पर सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए आप निम्न ज्योतिषीय उपाय कर सकते हैं:
- सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए आप रथ सप्तमी के दिन गुड़, गेहूं, तांबा, लाल रंग के पुष्प आदि का दान करें।
- रोज़ सुबह सूर्योदय से पहले उठें और उगते हुए सूरज को देखें। इससे आपको सूर्य देव से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
- चावल या दूध का दान करना भी शुभ रहता है।
- बंदरों को गेहूं और गुड़ खिलाएं। इस ज्योतिषीय उपाय को करने से भी सूर्य की स्थिति मज़बूत हो सकती है।
- सूर्य की कृपा पाने के लिए आप बहते हुए जल में गुड़ प्रवाहित करें।
- रात को सोते समय अपने सिर के पास बादाम या मूली रखें और इन्हें सुबह मंदिर में अर्पित कर दें। इससे लंबी आयु मिलती है।
उपरोक्त उपायों की सहायता से आप सूर्य देव को प्रसन्न कर के अपने जीवन के कष्टों का निवारण कर सकते हैं।
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