सनातन धर्म में रंभा तीज (Rambha Teej) का विशेष महत्व है। उत्तर भारत में कई जगहों पर इस पर्व को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन स्वर्ग की अप्सरा को याद किया जाता है। आज हम आपको इस लेख में रंभा तीज की तिथि महत्व और शुभ मुहूर्त की जानकारी देने वाले हैं लेकिन उससे पहले आपको अप्सरा रंभा के बारे में थोड़ी सी जानकारी दे देते हैं।
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कौन थी अप्सरा रंभा?
रंभा का जिक्र पुराणों में कई जगह पर है। इसके साथ-साथ रंभा का वर्णन हमें रामायण के कुछ हिस्सों में भी मिलता है। अप्सरा रंभा का जन्म समुद्र मंथन से हुआ था और उनके अत्यधिक सुंदरता की वजह से उन्हें इंद्र की सभा में मौजूद रहने का सम्मान हासिल हुआ था। अप्सरा रंभा को यौवन और सुंदरता का अतुल्यनिय प्रतीक माना जाता है।
अप्सरा रंभा का विवाह रावण के भाई कुबेर के पुत्र नलकुबेर से हुआ था। मान्यता है कि रावण रंभा की सुंदरता को देख कर मोहित हो गया था और इस बात का भान होते हुए भी कि रंभा रिश्ते में उसकी पुत्रवधू है, रावण ने उसके साथ दुराचार करने की कोशिश की थी। यही वजह है कि रावण को नलकुबेर ने श्राप दे दिया था कि यदि रावण किसी भी स्त्री को उसकी इच्छा के विरुद्ध गलत नियत से स्पर्श करता है या फिर उसे महल में रखता है तो उसकी मृत्यु हो जाएगी। नलकुबेर के ही श्राप की वजह से रावण माता सीता को महल में नहीं रख पाया था और न ही कभी उनके साथ दुराचार करने की उसकी हिम्मत हो सकी थी।
रंभा तीज
रंभा तीज (Rambha Teej) का पर्व सनातन धर्म की महिलाओं के लिए विशेष माना गया है। प्रत्येक साल हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रंभा तीज का पर्व मनाया जाता है। साल 2021 में यह तिथि 13 जून को पड़ रही है। इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और माता लक्ष्मी की पूजा करने का विशेष प्रावधान है। मान्यता है कि इस दिन अप्सरा रंभा को याद करने से यौवन और आरोग्यता का वरदान प्राप्त होता है। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में होने वाले पर्वों में रंभा तीज को विशेष दर्जा हासिल है।
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कब है रंभा तीज और क्या है शुभ मुहूर्त?
साल 2021 में रंभा तीज 13 जून को पड़ने वाली है। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 12 जून को शनिवार के दिन रात के 08 बजकर 19 मिनट से शुरू हो जाएगी और 13 जून को रविवार के दिन रात्रि के 09 बजकर 42 मिनट पर इसका समापन हो जाएगा। इस प्रकार से रंभा तीज का पर्व 13 जून को मनाया जाएगा।
पूजा विधि
रंभा तीज के दौरान महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और विशेषतः इस दिन चूड़ियों की पूजा की जाती है। सनातन धर्म के अन्य पर्वों की ही तरह रंभा तीज के दिन भी दान का भी बड़ा महत्व है। मान्यता है कि इस दिन सोलह श्रृंगार की वस्तुओं का दान करने से दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है। रिश्तों में कड़वाहट कम होती है और प्रेम बढ़ता है।
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