जयंती विशेष : जानें कौन थे रामानुजाचार्य और क्यों मनाई जाती है इनकी जयंती?

तमिलनाडु के श्री पेरंबदूर गांव में जन्मे संत रामानुजाचार्य एक महान संत होने के साथ-साथ दार्शनिक भी थे। संत रामानुजाचार्य के बारे में ऐसा कहा जाता है कि यह हिंदू धर्म शास्त्र के बेहद ज्ञानी जानकार और दार्शनिक हुआ करते थे। इसके अलावा हिंदू धर्म के अंदर श्री वैष्णव वाद परंपरा के सबसे महत्वपूर्ण व्याख्याताओं में संत रामानुजाचार्य का नाम लिया जाता है।

जानें अपने बच्चों का भविष्य : 10वीं 12वीं की रिजल्ट भविष्यवाणी

वर्ष 2020 में कब है रामानुजाचार्य जयंती?

श्री रामानुजाचार्य की 1003वाँ जन्म वर्षगाँठ
रामानुज जयन्ती मंगलवार, अप्रैल 28, 2020 को
आर्द्रा नक्षत्र प्रारम्भ – अप्रैल 28, 2020 को 12:30 सुबह
आर्द्रा नक्षत्र समाप्त – अप्रैल 29, 2020 को 01:33 सुबह

 जीवन में किसी भी समस्या का समाधान पाने के लिए प्रश्न पूछें  

संत रामानुजाचार्य के पिता का नाम केशव भट्ट था। जब रामानुजाचार्य बेहद ही छोटी उम्र के थे उसी समय उनके पिता का देहांत हो गया था। जिसके बाद उन्होंने कांची में यादव प्रकाश गुरू से वेदों की शिक्षा लेनी शुरू की। भक्तिवाद के लिए उनके दार्शनिक आधार, भक्ति आंदोलन के लिए प्रभावशाली हुआ करते थे। 

रामानुजाचार्य जयंती विशेष

श्री रामानुजाचार्य की पूजा पूरे देश भर में की जाती है। इनकी जयंती के दिन भारत के दक्षिणी, उत्तरी, हिस्सों में इस दिन को बेहद ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। श्री रामानुजाचार्य जयंती पर पूरे देश के मंदिरों को सजाया जाता है। भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक उत्सव किए जाते हैं। इसके अलावा इस दिन उपनिषदों के अभिलेख को सुनना भी बेहद ही शुभ माना गया है।

आपकी कुंडली में है कोई दोष? जानने के लिए अभी खरीदें एस्ट्रोसेज बृहत् कुंडली 

श्री रामानुजाचार्य जयंती पर उनकी मूर्ति पर फूल अर्पित करके अपने सुखी जीवन की प्रार्थना की जाती है। श्री रामानुजाचार्य मानते थे कि किसी भी भक्ति का मतलब सिर्फ पूजा-पाठ या कीर्तन भजन नहीं होता है बल्कि भक्ति का मतलब होता है ध्यान करना या ईश्वर की प्रार्थना करना। रामानुजाचार्य के ब्रह्मास्त्र सूत्र पर भाष्य श्रीभाष्य एवं वेदार्थ संग्रह मूल ग्रंथ है। इसके अलावा रामानुजाचार्य ने 1137 वी ईस्वी में ब्रह्मालीन हो गए थे।  

इम्युनिटी कैलकुलेटर: चेक करें अपनी इम्यूनिटी

रामानुजाचार्य की जीवन से जुड़ी सबसे हैरान कर देने वाली बात यह है कि रामानुजाचार्य के मूल शरीर यानी ममी को आज भी श्री रंगनाथस्वामी मंदिर में संभाल कर रखा गया है। यह ममी करीब 1000 साल पुरानी है जिसे आज तक संभाल कर रखा गया है। तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में श्रीरंगम के कावेरी नदी के तट पर श्री रंगनाथ मंदिर है जहां पर आज भी रामानुजाचार्य की ममी रखी गई है।

कुंडली में मौजूद राज योग की समस्त जानकारी पाएं

कहा जाता है यहां रामानुजाचार्य अपनी वृद्धावस्था में आए थे। करीब 120 साल की आयु तक वो यही रहे। कुछ समय बाद उन्होंने भगवान श्री रंगनाथ से अपना देह त्यागने की अनुमति ली। जिसके बाद उन्होंने अपने शिष्यों के सामने देहावसान की घोषणा कर दी। माना जाता है कि स्वामी की आज्ञा के अनुसार ही उनके मूल शरीर को इस मंदिर के दक्षिण पश्चिम दिशा के एक कोने में रखा गया है।

आपकी कुंडली में है कोई दोष? जानने के लिए अभी खरीदें एस्ट्रोसेज बृहत् कुंडली 

ऐसे में यह मंदिर दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां वास्तविक शरीर को हिंदू मंदिर के अंदर रखा गया है और उसकी पूजा की जाती है। आमतौर पर ममी निद्रा अवस्था में होती है लेकिन रामानुजाचार्य की ममी सामान्य बैठने की दशा में है।उसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि वह उपदेश मुद्रा में बैठी है। ममी को सही हालत में रखने के लिए उस पर चंदन और केसर का लेप लगाया जाता है।

कॉग्निएस्ट्रो आपके भविष्य की सर्वश्रेष्ठ मार्गदर्शक

आज के समय में, हर कोई अपने सफल करियर की इच्छा रखता है और प्रसिद्धि के मार्ग पर आगे बढ़ना चाहता है, लेकिन कई बार “सफलता” और “संतुष्टि” को समान रूप से संतुलित करना कठिन हो जाता है। ऐसी परिस्थिति में पेशेवर लोगों के लिये कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट मददगार के रुप में सामने आती है। कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट आपको अपने व्यक्तित्व के प्रकार के बारे में बताती है और इसके आधार पर आपको सर्वश्रेष्ठ करियर विकल्पों का विश्लेषण करती है।

 

इसी तरह, 10 वीं कक्षा के छात्रों के लिए कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट उच्च अध्ययन के लिए अधिक उपयुक्त स्ट्रीम के बारे में एक त्वरित जानकारी देती है।

 

Dharma

बजरंग बाण: पाठ करने के नियम, महत्वपूर्ण तथ्य और लाभ

बजरंग बाण की हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है। हनुमान जी को एक ऐसे देवता के रूप में ...

51 शक्तिपीठ जो माँ सती के शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों के हैं प्रतीक

भारतीय उप महाद्वीप में माँ सती के 51 शक्तिपीठ हैं। ये शक्तिपीठ माँ के भिन्न-भिन्न अंगों और उनके ...

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotram) से पाएँ दुर्गा जी की कृपा

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक ऐसा दुर्लभ उपाय है जिसके पाठ के द्वारा कोई भी व्यक्ति पराम्बा देवी भगवती ...

12 ज्योतिर्लिंग: शिव को समर्पित हिन्दू आस्था के प्रमुख धार्मिक केन्द्र

12 ज्योतिर्लिंग, हिन्दू आस्था के बड़े केन्द्र हैं, जो समूचे भारत में फैले हुए हैं। जहाँ उत्तर में ...

दुर्गा देवी की स्तुति से मिटते हैं सारे कष्ट और मिलता है माँ भगवती का आशीर्वाद

दुर्गा स्तुति, माँ दुर्गा की आराधना के लिए की जाती है। हिन्दू धर्म में दुर्गा जी की पूजा ...

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा.