विश्व प्रसिद्ध पुष्कर मेले की आज से हो रही है शुरुआत, जानें इस मेले में क्या है खास !

अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पुष्कर मेले की रंगारंग शुरुआत आज से हो चुकी है । सबसे पहले पुष्कर सरोवर की पूजा-अर्चना की गई, फिर मेला स्टेडियम पर ध्वजारोहण के साथ विधिवत तरीके से आज से इस मेले का प्रारंभ किया गया। वहीं, धार्मिक मेला यानि पंचतीर्थी स्नान की शुरुआत 8 नवंबर को कार्तिक एकादशी स्नान से होगी। आपको बता दें कि कार्तिक मास की पूर्णिमा यानि 12 नवंबर को महास्नान के साथ इस मेले का समापन का होगा। मेले के समापन के दिन ही पुरस्कार वितरण समारोह भी होगा। बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक भी इस मेले में शरीक होने पहुंचे हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार सोमवार की शाम को पुष्कर के 52 घाटों पर दीपदान के साथ महाआरती की जाएगी। तो चलिए इस लेख में आपको विश्व प्रसिद्ध पुष्कर मेले के बारे में कुछ खास और रोचक जानकारी देते हैं। 

मेले में साढ़े चार हजार से अधिक पशु पहुंचे

ऊंट और अलग-अलग नस्ल वाले पशु पुष्कर मेले का खास आकर्षण होते हैं। मेले में अलग-अलग प्रकार के जानवर देखने को मिलते हैं, जिन्हें देखना लोगों के लिए बहुत रोमांचक होता है। पशुओं के अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रम देखने और प्रतियोगिताओं में भाग लेने का अपना एक अलग ही मजा होता है। पुष्कर मेले में हॉट एयर बैलूनिंग, खूबसूरत हैंडीक्राफ्ट्स और हाफ मैराथन भी आकर्षण के कारण हैं।

हर साल की तरह इस साल भी पुष्कर पशु मेले में पशुओं की मंडी सज कर तैयार हो चुकी हैं। यहाँ ऊंटों का बाजार और घोड़े की मंडी भी सजी है। अब तक मेले में विभिन्न प्रजाति के करीब-करीब साढ़े चार हजार से अधिक पशु पहुंच गए है, और अभी भी पशुओं की आने की संख्या जारी है।    

पुष्कर मेले का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक माह की एकादशी से पूर्णिमा यानि 5 दिनों तक सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी ने पुष्कर में यज्ञ किया था। इस दौरान 33 करोड़ देवी-देवता भी पृथ्वी पर पुष्कर झील में मौजूद रहे। इसी वजह से इस जगह को बहुत पवित्र माना जाता है, और कार्तिक माह की एकादशी से पूर्णिमा तक पांच दिनों का विशेष महत्व रहता है। कहा जाता है, कि इस माह में सभी देवताओं का वास पुष्कर में ही होता है, जिसके चलते पुष्कर मेला लगता है। पुराने समय में श्रद्धालु संसाधनों के अभाव के चलते आपने साथ पशुओं को भी लाते थे, जो कि धीरे-धीरे पशु मेले के रूप में पहचाना जाने लगा। पुष्कर में स्थित यह मंदिर ब्रम्हा जी का एकलौता मंदिर है, जहाँ लोग आम दिनों में भी झील में स्नान करके ब्रह्मा मंदिर के दर्शन करने आते हैं। ऐसा माना जाता है, कि इस झील में नहाने से कई प्रकार के रोग, विकार भी दूर होते हैं। 

मेले में जाए तो यहाँ ज़रूर ठहरें

पुष्कर, राजस्थान में स्थित अजमेर से 11 किमी दूर स्थित है। यदि आप पुष्कर मेले में जा रहे हैं, तो होटल्स और होमस्टे में रूकने की बजाए टेंट में रूकें। जहां पर आप सुबह से लेकर शाम तक मेले की हर एक चीज़ और एक्टिविटी का आनंद ले सकते हैं। ये टेंट एयरकंडीशन्ड टेंट होते हैं, जिनमें सभी आधुनिक सुविधाएँ मौजूद होती हैं।

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