पुष्कर मेले का हुआ शुभारंभ, जानिये महत्व व उससे जुड़ी अन्य जानकारी !

हर वर्ष की तरह कार्तिक माह में आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पुष्कर मेले का आगाज एक बार फिर हो चला है। हमेशा की तरह इस बार भी इस मेले को मुख्य तौर पर तीन चरणों में बाँटा गया है। इन चरणों में से पशुपालन विभाग की ओर से पुष्कर मेले जिसे पशु मेला भी कहा जाता है उसके पहले चरण का शुभारंभ हाल ही में 28 अक्टूबर को किया गया। जिसके बाद अब इस मेले का विधिवत शुभारंभ 4 नवंबर, सोमवार के दिन किया जाना है। वहीं अगर धार्मिक दृष्टि से देखें तो इस मेले की शुरुआत कार्तिक मास की एकादशी यानी हिंदू पंचांग के अनुसार 8 नवंबर, शुक्रवार से होगी और इसका समापन 12 नवंबर पूर्णिमा के दिन मंगलवार को कार्तिक मास के महास्नान के साथ होगा।

कार्तिक की एकादशी से पूर्णिमा तक चलने वाले इस मेले का होता है विशेष महत्व

दुनिया भर में पुष्कर मेले का हमेशा से ही अपना एक धार्मिक महत्व रहा है। शास्त्रों की मानें तो कार्तिक के महीने की एकादशी से पूर्णिमा तक 5 दिनों का अपना एक विशेष महत्व होता है। मान्यता अनुसार सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा जी ने इन्हीं 5 दिनों तक पुष्कर में महायज्ञ किया था। ब्रह्मा जी द्वारा किए गए इस यज्ञ के दौरान 33 करोड़ देवी देवता पृथ्वी पर मौजूद रहे थे जिसके चलते इन 5 दिनों का महत्व अधिक होता है। 

माना तो यह भी जाता है कि कार्तिक माह में सभी देवी देवता का वास पुष्कर में ही इन विशेष 5 दिनों में होता है। हिंदू धर्म की इन्हीं धार्मिक मान्यताओं के चलते हर साल राजस्थान के पुष्कर में भव्य पुष्कर मेले का आयोजित किया जाता है। पुष्कर मेले को पशु मेला भी कहा जाता है इसके पीछे की वजह पुराने समय में श्रद्धालुओं के पास संसाधनों के अभाव के कारण हुई क्योंकि उस समय श्रद्धालुओं के पास संसाधनों की कमी होने के चलते वह अपने साथ इस मेले में आते समय पशु लेकर आते थे जिसके चलते धीरे-धीरे यह पुष्कर मेला पशु मेले के रूप में दुनिया भर में विख्यात हुआ। 

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मेले के लिए ऊंट और घोड़े की सजावट का कार्य हुआ शुरू

28 अक्टूबर से पुष्कर मेले की शुरुआत होने के साथ ही यहां हजारों श्रद्धालुओं का आना शुरू हो चला है। यहां आने वालों में देशभर के सैलानियों के साथ दुनिया भर के पर्यटक भी मेले में शामिल होने पहुँच रहे हैं। इन दिनों आपको मेले के चारों ओर रेगिस्तान के जहाज़ कहे जाने वाले ऊंट सजे-धजे दिखाई दे जाएंगे। बड़ी तादाद में घोड़े भी मेले में पहुँचने लगे हैं। 

विदेशों के भी पर्यटक मेले में पहुँच रहे हैं 

मेले के आयोजकों एवं पशुपालन विभाग के ताज़ा आंकड़ों की मानें तो अब तक विभिन्न प्रजाति के लगभग एक हजार से ज्यादा पशुओं की संख्या दर्ज की जा चुकी है जिनकी गिनती आने वाले कुछ समय में और अधिक बढ़ सकती है। बता दें कि पशु पुष्कर मेले की विधिवत शुरूआत यूं तो 4 नवंबर से होगी लेकिन पशुपालन विभाग की ओर से औपचारिक रूप से मेला 28 अक्टूबर से ही शुरू किया जा चुका है। पशुपालन द्वारा स्थाई डेरा जमाने के साथ देशी-विदेशी से हजारों की संख्या में सैलानी भी मेले का लुत्फ़ उठाने पहुंच चुके हैं। ये सैलानी बड़ी संख्या में ऊंट पर सवार होकर मेले का रुख कर रहे हैं। 

ग़ौरतलब है कि पिछले कुछ समय में मेले में पहुंचने वाले पशुओं की संख्या में कटौती देखी गई है लेकिन इस धार्मिक मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में लगातार इज़ाफा होता रहा है। ऐसे में इस वर्ष आयोजित किये जाने वाले पुष्कर मेले में कितने श्रद्धालु आने वाले हैं ये आने वाला वक़्त ही बताएगा।

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