कैसे जानें आपकी कुंडली में राजयोग है या नहीं?

राजयोग का नाम सुनते ही हर किसी के चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है क्योंकि नाम के अनुसार ही राजयोग व्यक्ति को उत्तम सफलता प्रदान करते हैं लेकिन कई बार यह होता है कि हमारी कुंडली में अनेक प्रकार के राजयोग होने पर भी हमें उनका फल नहीं मिल पाता या हमें लगता है कि इतने राजयोग होने के बावजूद भी हमारे जीवन में परेशानियां हैं। इसके अतिरिक्त कई बार हमें यह भी पता नहीं होता है कि क्या हमारी कुंडली में कोई राजयोग मौजूद है भी या नहीं। इन सभी समस्याओं के समाधान के लिए आज हम इस लेख में आपको बताने जा रहे हैं कि आप अपनी कुंडली से कैसे जान सकते हैं कि आपकी कुंडली में राजयोग है या नहीं। इसके अलावा आप एस्ट्रोसेज की व्यक्तिगत राजयोग रिपोर्ट की मदद से भी अपनी कुंडली में राजयोग की उपस्थिती जान सकते हैं।

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ज्योतिष में राजयोग

वैदिक ज्योतिष में राजयोग को बहुत महत्व दिया जाता है क्योंकि यह किसी भी व्यक्ति को रंक से राजा बनाने की क्षमता प्रदान करते हैं और इन राजयोगों के प्रभाव से व्यक्ति जीवन में उत्तरोत्तर प्रगति करता हुआ समृद्धि के चरम पर पहुंच जाता है। ज्योतिष के अंतर्गत जब किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली का निर्माण किया जाता है तो उसमें उपस्थित ग्रह और भाव विभिन्न प्रकार की परिस्थितियों के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं। उन ग्रहों और भावों के संयोजन से  कुंडली में कुछ विशेष प्रकार के योग बनते हैं जिनमें से कुछ योग बहुत कष्ट पूर्ण होते हैं और जीवन में कुछ योग बहुत ही अच्छे होते हैं और व्यक्ति को जीवन में उत्तरोत्तर वृद्धि के मार्ग पर अग्रसर बनाते हैं। ऐसे सभी योग, जो हमारी कुंडली में मौजूद होकर हमें जीवन में अच्छी सफलता, सुख, समृद्धि और उन्नति प्रदान करते हैं, ज्योतिष में राजयोग कहलाते हैं। एक व्यक्ति की कुंडली में जितने अधिक राजयोग उपस्थित होते हैं, वह उतनी ही अधिक उन्नति प्राप्त करता है।   

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अक्सर हमारे मन में यह प्रश्न उठता है कि क्या हमारी कुंडली में कोई राजयोग मौजूद है भी या नहीं। हम कैसे जान सकते हैं कि हमारी कुंडली में कोई राज योग बन रहा है। इसके लिए आज हम आपकी मदद करने जा रहे हैं। वैसे तो ज्योतिष में अनेक प्रकार के राजयोग बताए गए हैं जिनको समय और स्थान के अभाव के कारण यहां बता पाना संभव नहीं है लेकिन कुछ मुख्य राजयोगों के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं, जिन्हें आप अपनी कुंडली में देखकर यह पहचान सकते हैं कि आपकी कुंडली राजयोग से युक्त है अथवा नहीं। 

क्या आपकी कुंडली में बन रहे हैं राजयोग?

कुंडली में बनने वाले राजयोग का प्रभाव

हम यह जानें कि किस प्रकार से कुंडली में राजयोग बनते हैं, उससे पहले यह जान लेना भी आवश्यक है कि कुंडली में राजयोग का क्या प्रभाव पड़ता है और राजयोग कब फलीभूत होते हैं। यह तो एक सामान्य बात है कि कोई भी राजयोग व्यक्ति को अत्यधिक अच्छी स्थिति प्रदान करता है और व्यक्ति के जीवन में प्रगति आती है लेकिन  अनेक लोग यह कहते हुए पाए जाते हैं कि हमारी कुंडली में तो इतने राजयोग उपस्थित थे फिर भी हमें जीवन में अच्छी प्रगति नहीं मिली। आखिर क्या वजह हो सकती है इसकी। तो यहां हम बताना चाहेंगे कि जो ग्रह आपकी कुंडली में राजयोग बनाते हैं, सर्वप्रथम आपको अपने जीवन में सही समय पर उन ग्रहों की महादशा, अंतर्दशा या प्रत्यंतर दशा मिल जाए तो आपको उनसे संबंधित अच्छे परिणाम मिल सकते हैं। 

इसके अतिरिक्त जो ग्रह राजयोग का निर्माण कर रहे हैं, वे ग्रह कुंडली में मजबूत भी होने चाहिए क्योंकि यदि ग्रह कमजोर होंगे तो उनकी फल देने की क्षमता भी कमजोर होगी और आपको उनकी दशा में भी उनके पूर्ण फल नहीं मिल पाएंगे और उनसे बनने वाले राजयोग का प्रभाव भी कम ही होगा। इसके अतिरिक्त कुंडली में कोई विशेष और बड़ा दोष उपस्थित होने पर भी राजयोग का प्रभाव कम हो जाता है इसलिए हमें अपनी कुंडली का विश्लेषण किसी अच्छे ज्योतिषी से कराना चाहिए, जो समय से पूर्व आपको यह बता सके कि आपको कब और किस समय राजयोग का प्रभाव मिलेगा और आपको  उस राजयोग का अधिकाधिक फल प्राप्त करने के लिए क्या उपाय करने चाहिए। उनके द्वारा बताए गए उपायों को करने से आप अपने राजयोग की शक्ति को बढ़ा सकते हैं और जीवन में अच्छी सफलता प्राप्त कर सकते हैं। 

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कुंडली में बनने वाले कुछ मुख्य राजयोग

आज के समय में जबकि चारों तरफ आर्थिक समस्याएं चल रही हैं, हमारे जीवन की दैनिक आवश्यकताओं और जीवन में आगे बढ़ने के लिए धन और सुख समृद्धि की कामना हर किसी का सपना है और आपकी कुंडली में मौजूद राजयोग आपको यह सब कुछ प्रदान कर सकते हैं। तो यदि आप यह जानना चाहते हैं कि आपकी कुंडली में कोई राजयोग मौजूद है अथवा नहीं तो हम आपको बताना चाहेंगे कि कुंडली में अनेक प्रकार के राजयोग बनते हैं जिनमें से कुछ मुख्य राजयोग निम्नलिखित रुप से परिभाषित किए गए हैं। आप अपनी कुंडली में ग्रहों की स्थिति के अनुसार यह जान सकते हैं कि निम्नलिखित में से कोई राजयोग आपकी कुंडली में विद्यमान है अथवा नहीं और यदि आपकी कुंडली में कोई राजयोग विद्यमान है तो उस राजयोग को बनाने वाले ग्रह की दशा या अंतर्दशा में आपको उसका अच्छा परिणाम मिल सकता है इसलिए आपको ज्योतिषी से फोन पर संपर्क करके उस राजयोग को कैसे मजबूत किया जाए, इस बारे में विचार विमर्श करके उचित उपाय करने चाहिए। 

महाभाग्य योग 

ज्योतिष के सर्वाधिक शुभ योगों में से एक बड़ा योग है महाभाग्य योग। यदि किसी महिला का जन्म रात्रि के समय में हो और उनका लग्न, जन्म कालीन चंद्रमा और जन्मकालीन सूर्य सम राशिगत है तो महाभाग्य राजयोग बनता है। इसके विपरीत, यदि पुरुष का जन्म दिन के समय हो और उनका लग्न, जन्म कालीन चंद्रमा और जन्म कालीन सूर्य विषम राशि में हो तो भी महा भाग्य राजयोग बनता है। 

उपरोक्त उदाहरण कुंडली एक महिला जातिका की है जिसमें लग्न, सूर्य और चंद्रमा तीनों ही सम राशि में हैं तथा रात्रि का जन्म है। इस राजयोग के प्रभाव से आप भाग्यशाली होंगे और आपको आपकी किस्मत का पूरा साथ मिलेगा। आप जीवन में समृद्धिवान बनेंगे और आपके पास अच्छी आमदनी के साथ संचित धन भी सही मात्रा में होगा। आपका स्वास्थ्य मजबूत रहेगा और आप सरकारी क्षेत्र से भी लाभ प्राप्त करने में कामयाब रहेंगे। एस्ट्रोसेज के राजयोग रिपोर्ट से भी आप आसानी से जान सकते हैं कि आपकी कुंडली में राजयोग बन रहा है या नहीं।

विपरीत राजयोग

वैदिक ज्योतिष में और वर्तमान समय में विपरीत राजयोग का प्रभाव बहुत अच्छा देखा गया है। यह राजयोग कुंडली के छठे, आठवें और बारहवें भाव के स्वामियों द्वारा बनता है। यदि कुंडली के छठे, आठवें या बारहवें भाव के स्वामी छठे, आठवें या बारहवें भाव में ही मौजूद हों तो विपरीत राजयोग बनता है। 

उपरोक्त उदाहरण कुंडली में छठे भाव के स्वामी ग्रह बुध देव अष्टम भाव में विराजमान हैं और द्वादश भाव के स्वामी देव गुरु बृहस्पति कुंडली के अष्टम भाव में विराजमान हैं। इस प्रकार दो विपरीत राजयोगों का निर्माण हो रहा है।

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है विपरीत राजयोग विपरीत परिस्थितियों में ही राजयोग का प्रभाव देता है। इस राजयोग से युक्त जातक को जीवन में कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है और उन कठिनाइयों का सामना करते हुए विपरीत परिस्थितियों से गुजरते हुए राजयोग की प्राप्ति होती है और व्यक्ति परेशानियों से बाहर निकल कर एक राजा के समान जीवन व्यतीत करता है अर्थात जीवन में सभी सुविधाएं प्राप्त करता है। 

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नीच भंग राजयोग

नीच भंग राजयोग भी एक प्रमुख राजयोग है जो किसी भी व्यक्ति के जीवन को बदल देने की शक्ति और सामर्थ्य रखता है। किसी भी जातक की कुंडली में नीच भंग राजयोग का निर्माण तब होता है, जब कुंडली में सर्वप्रथम कोई ग्रह नीच राशि में विद्यमान हो और उस का नीच प्रभाव ग्रहों की स्थिति के अनुसार भंग हो जाए तो वह प्रबल राजयोग कारक ग्रह बन जाता है और उस का नीचत्व भंग हो जाता है। 

उपरोक्त उदाहरण कुंडली में मंगल ग्रह अपनी नीच राशि कर्क में विराजमान हैं लेकिन उनके साथ देव गुरु बृहस्पति अपनी उच्च राशि कर्क में विराजमान होने के कारण मंगल नीच भंग राजयोग का निर्माण कर रहे हैं। 

नीच भंग राज योग के प्रभाव से कोई भी ग्रह, जो इस योग में शामिल है, आपको अपनी शक्ति और सामर्थ्य के अनुसार उत्तम सुख प्रदान करता है और ऐसे व्यक्ति को जीवन में अनेक प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है तथा वह एक सफल व्यक्ति बनता है। 

गजकेसरी योग

जन्म कुंडली के सर्वाधिक शुभ योगों में गजकेसरी योग का नाम सम्मिलित किया जाता है।  यह राजयोग कुंडली में बृहस्पति और चंद्रमा की विशेष परिस्थिति के कारण बनता है। यदि किसी जातक की कुंडली में बृहस्पति ग्रह चंद्रमा से केंद्र भावों में हों अर्थात चंद्रमा से प्रथम, चतुर्थ, सप्तम या दशम भाव में हो तो गजकेसरी योग का निर्माण होता है और इस पर किसी पाप ग्रह का प्रभाव ना हो तो इस राजयोग की फल देने की क्षमता और भी अधिक बढ़ जाती है। 

उपरोक्त उदाहरण कुंडली में देव गुरु बृहस्पति अपनी उच्च राशि कर्क में विराजमान हैं और उनके साथ चंद्रमा स्वराशि कर्क में स्थित है। यहां दोनों ही ग्रह मजबूत स्थिति में भी हैं और  देव गुरु बृहस्पति चंद्रमा से प्रथम भाव में अर्थात केंद्र भाव में स्थित हैं इसलिए यहां गजकेसरी योग का निर्माण हो रहा है। 

यदि आपका जन्म गजकेसरी योग में हुआ है तो आप उदार हृदय के व्यक्ति होंगे और अन्य लोगों के प्रति आपके मन में सहानुभूति होगी। आप लोगों से अच्छे से पेश आएंगे और आप जीवन में आध्यात्मिक उन्नति भी करेंगे। लोग आपको पूरा सम्मान देंगे और आप लोकप्रिय भी बनेंगे। आपके पास भरपूर मात्रा में धन होगा और चल और अचल संपत्ति की भरमार होगी। आपके पास जीवन की लगभग सभी सुख सुविधाएं मौजूद रहेंगी और आप जीवन में भी उच्च पदों पर काम करने का सुख प्राप्त करेंगे। व्यक्तिगत राजयोग रिपोर्ट अपने सटीक मूल्यांकन से बताती है कि ये राज योग आपकी कुंडली में मौजूद है या नहीं और साथ ही यह रिपोर्ट उससे जुड़े उपाय भी बताती है।

अमला योग

अमला योग को भी वैदिक ज्योतिष में बहुत अच्छा और महत्वपूर्ण योग माना जाता है। यह अमला योग कुंडली में तब निर्मित होता है, जब कुंडली में चंद्रमा द्वारा अधिष्ठित राशि से दशम भाव में कोई शुभ ग्रह विद्यमान होता है और उन पर किसी भी पाप ग्रह की दृष्टि से संबंध नहीं होता तो यह अमला योग कहलाता है। 

उपरोक्त उदाहरण कुंडली में चंद्रमा से दशम भाव में देव गुरु बृहस्पति विराजमान हैं और उन पर शुभ ग्रह शुक्र की दृष्टि है जबकि किसी पाप ग्रह का प्रभाव नहीं है इसलिए यहां अमला योग का निर्माण हो रहा है। 

यदि आपकी कुंडली में अमला योग का निर्माण हो रहा है तो आप जीवन में उच्च पदस्थ हो सकते हैं अर्थात आप जहां भी काम करेंगे, आपको उच्च पद की प्राप्ति होगी। आप अपनी योग्यता और कार्यकुशलता के बल पर अपना अलग ही मुकाम बनाएंगे और आपको जीवन में उत्तम धन, यश, मान-सम्मान और कीर्ति की प्राप्ति होगी। 

पंच महापुरुष योग

कुंडली के सबसे बड़े राजयोगों में पंच महापुरुष योग का महत्वपूर्ण स्थान है। यह कुंडली के पांच महत्वपूर्ण ग्रहों क्रमशः बृहस्पति, शुक्र, मंगल, बुध और शनि की विशेष परिस्थितियों के कारण बनता है। इन पांचों ग्रहों के कारण बनने वाले योग के कारण ही इसे पंच महापुरुष योग कहा जाता है और हर ग्रह के द्वारा अलग-अलग प्रकार का राजयोग निर्मित होता है।  मंगल से रुचक, बुध से भद्र, बृहस्पति से हंस, शुक्र से मालव्य और शनि से शश पंच महापुरुष योग का निर्माण होता है। जब कुंडली में उपरोक्त में से कोई या अधिक ग्रह जन्म कुंडली के लग्न से केंद्र भाव में स्थित हों और अपनी उच्च राशि अथवा स्वराशि में स्थित हों तो पंच महापुरुष योग का निर्माण होता है। 

उपरोक्त उदाहरण कुंडली में मंगल ग्रह अपनी स्वराशि मेष में कुंडली के केंद्र भाव में अर्थात चतुर्थ भाव में स्थित हैं। इस प्रकार मंगल से बनने वाले रुचक पंच महापुरुष योग का निर्माण हो रहा है। 

यदि आपकी कुंडली में रूचक पंच महापुरुष योग बन रहा है तो आपका व्यक्तित्व शानदार होगा। आप बहादुर होंगे और जीवन की चुनौतियों का सामना करने में माहिर होंगे। आपके विरोधी आपके सामने हार मानेंगे और आप जीवन में अमीर बनेंगे। आप धार्मिक होंगे। आपके उच्च पदस्थ लोगों से अच्छे संबंध रहेंगे और आप स्वयं भी जीवन में उच्च पद पर सुशोभित होंगे। 

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पाराशरी राजयोग 

कुंडली में केंद्र भाव का त्रिकोण भाव से संबंध होना पाराशरी राजयोग का निर्माण करता है।  प्रथम भाव, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव और दशम भाव को केंद्र भाव माना जाता है तथा पंचम और नवम भाव को त्रिकोण भाव माना जाता है। लग्न अर्थात प्रथम भाव को केंद्र के साथ-साथ त्रिकोण भाव भी माना जाता है। 

उपरोक्त उदाहरण कुंडली में त्रिकोण भाव अर्थात नवम भाव के स्वामी सूर्य ग्रह केंद्र भाव अर्थात कुंडली के दशम भाव में विराजमान हैं। इसके अतिरिक्त कुंडली के सातवें और दसवें भाव अर्थात केंद्र भावों के स्वामी बुध ग्रह त्रिकोण भाव के स्वामी सूर्य के साथ स्थित होकर भी राजयोग बना रहे हैं। इस प्रकार एक से अधिक प्रबल पाराशरी राजयोग का निर्माण हो रहा है। 

पाराशरी राजयोग को बनाने वाला ग्रह आपकी कुंडली के लिए प्रबल उन्नति कारक ग्रह बन जाता है और अपनी दशा अंतर्दशा में आपको उत्तम फल प्रदान करता है। यदि उसकी स्थिति कुंडली में मजबूत हो तो वह आपको राजयोग सरीखे परिणाम प्रदान करता है और जीवन में उत्तम सफलता प्रदान करता है। 

पारिजात योग

पारिजात योग भी एक महत्वपूर्ण योग है। आपकी कुंडली में लग्न का स्वामी जिस राशि में स्थित होता है, उस अधिष्ठित राशि का स्वामी यदि कुंडली में उच्च राशि में स्थित हो या अपनी स्वराशि में स्थित हो तो पारिजात योग का निर्माण होता है। 

उपरोक्त उदाहरण कुंडली में लग्न के स्वामी शनि देव हैं जो कि तुला राशि में नवम भाव में स्थित हैं और तुला राशि के स्वामी शुक्र देव अपनी स्वराशि वृषभ राशि में कुंडली के केंद्र भाव में विराजमान हैं। इस प्रकार पारिजात योग बन रहा है। 

यदि आपकी जन्म कुंडली में पारिजात योग निर्मित हो रहा है तो यह बहुत ही उत्तम बात है क्योंकि इससे आपको अपने जीवन में अतुलनीय सफलता प्राप्त हो सकती है और आप जीवन में अच्छी कीर्ति भी प्राप्त कर सकते हैं। 

सरस्वती योग

यदि किसी कुंडली में बृहस्पति, शुक्र और बुध ग्रह का आपस में प्रबल संबंध हो अर्थात एक दूसरे के साथ युति कर रहे हों या कुंडली के केंद्र भावों में स्थित होकर एक दूसरे से संबंधित हों तो सरस्वती योग का निर्माण होता है जो कि एक अत्यंत ही शुभ योग कहलाता है। 

उपरोक्त उदाहरण कुंडली में बृहस्पति, शुक्र और बुध तीनों ही ग्रह आपस में युति कर रहे हैं और कुंडली के केंद्र भाव अर्थात चतुर्थ भाव में एक साथ विराजमान हैं। इस प्रकार उपरोक्त कुंडली में सरस्वती योग निर्मित हो रहा है। 

यदि किसी जातक की कुंडली में सरस्वती योग का निर्माण हो रहा है तो उसे मां सरस्वती का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसे लोग संगीत, कला, लेखन, अभिनय और शिक्षा के क्षेत्र में बहुत नामचीन होते हैं। समाज में काफी लोकप्रिय होते हैं और इनका अपना एक अलग मुकाम होता है। इनकी गिनती समाज के सफल लोगों में होती है। 

नृप योग

किसी जातक की कुंडली में कम से कम तीन या उससे अधिक ग्रह अपनी उच्च राशि में स्थित हों तो कुंडली में नृप योग का निर्माण होता है। 

उपरोक्त उदाहरण कुंडली में देव गुरु बृहस्पति अपनी उच्च राशि कर्क में, शनि देव अपनी उच्च राशि तुला में, चंद्र देव अपनी उच्च राशि वृषभ में और बुध देव अपनी उच्च राशि कन्या में विराजमान हैं। इस प्रकार चार ग्रह उच्च राशिगत होकर विराजमान हैं जिसकी वजह से इस कुंडली में नृप योग बन रहा है। 

यदि किसी जातक की कुंडली में नृप योग बन रहा है तो वह एक राजा के समान सुखों को प्राप्त करता है। वर्तमान समय में राजा के सुख की गणना किसी बड़े मंत्री के रूप में की जा सकती है इसलिए उसके पास मान सम्मान के साथ सामाजिक शक्ति और समर्थन के साथ-साथ शासकीय सत्ता का सुख भी मिल सकता है। 

वसुमति योग 

किसी भी जातक की जन्मकुंडली में वसुमति योग का निर्माण तब होता है, जब कुंडली में नैसर्गिक रूप से शुभ ग्रह अर्थात बृहस्पति, शुक्र और बुध जन्म लग्न अथवा चंद्र द्वारा अधिष्ठित राशि से उपचय स्थानों अर्थात तीसरे भाव, छठे भाव, दसवें भाव और ग्यारहवें भाव में स्थित हों। 

जब किसी जातक की कुंडली में वसुमति योग का निर्माण होता है तो उसे जीवन में सभी प्रकार की धन संपत्ति की प्राप्ति होती है और वह अपना जीवन सुख पूर्वक व्यतीत करता है। 

इस प्रकार हम अपनी कुंडली में बनने वाले विभिन्न प्रकार के राजयोगों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और राजयोग बनाने वाले ग्रहों को मजबूती प्रदान करके अर्थात उनसे संबंधित उपाय करके अपने राजयोग के द्वारा जीवन में सफलता प्राप्त करने में कामयाबी हासिल कर सकते हैं।

आचार्य मृगांक शर्मा से फोन/चैट पर जुड़ें

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