कुंडली में राहु बनाता है ये शुभ-अशुभ योग

राहु और केतु, अक्सर इन दोनों ग्रहों का नाम सुनकर लोग डर जाते हैं। लोगों के मन में ऐसी धारणाएं बन चुकी है कि, राहु केतु इंसान के जीवन में नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। हालांकि असल में ऐसा नहीं होता है। अक्सर कहा जाता है कि, राहु अगर व्यक्ति की कुंडली के जिस भाव में स्थित होता है या जिस ग्रह के साथ मौजूद होता है उसे खराब कर देता है। हालांकि हम आपको बता दें कि, ऐसा नहीं है। राहु हमेशा वक्री स्थिति में रहता है और अगर किसी इंसान की कुंडली में यह शुभ स्थिति में है या योगकारक है तो ऐसे इंसान अपने जीवन में हर एक ऊंचाइयों को छूते हैं और कोई भी कठिनाई पार करके सफलता अवश्य हासिल करते हैं। इसके अलावा ऐसे व्यक्तियों के जीवन की सभी बाधाओं को दूर करने के लिए राहु महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाता है।

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तो आइये अब जानते हैं राहु ग्रह से बनने वाले कुंडली के ऐसे योग जो इंसान की सफलता के कारक होते हैं। 

पहला योग: अष्ट लक्ष्मी योग: जब किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु छठे भाव में और गुरु दशम भाव में हो तो ऐसे इंसान की कुंडली में अष्टलक्ष्मी योग बनता है। ऐसी स्थिति में राहु व्यक्ति को गुरु के समान फल देने लगता है। इससे उस व्यक्ति के जीवन में यश और सम्मान हासिल होता है। इसके अलावा ऐसे व्यक्ति को जीवन में कभी भी धन का अभाव नहीं रहता है। 

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दूसरा शुभ योग: परिभाषा योग: अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु लग्न में या तीसरे भाव, छठे भाव,या ग्यारहवें भाव में से हो तो ऐसे व्यक्ति की कुंडली में परिभाषा योग होता है। ऐसे व्यक्तियों को भी राहु के नकारात्मक प्रभाव का सामना नहीं करना पड़ता है। बल्कि उन्हें जीवन भर आर्थिक लाभ मिलता है। इसके अलावा ऐसे व्यक्तियों के काम भी बेहद ही आसानी से बन जाते हैं। 

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तीसरा और सबसे शुभ योग: लग्न कारक योग: राहु द्वारा बनने वाले कई शुभ योगों में से सबसे शुभ योग है लग्न कारक योग। यह योग मेष राशि, वृषभ राशि, और कर्क राशि की कुंडलियों में तब बनता है जब राहु दूसरे भाव, नौवें भाव, और दसवें भाव में नहीं होता है। ऐसे जातकों पर भी ताउम्र राहु की कृपा बनी रहती है। जिसके प्रभाव से जीवन में वह बड़ी से बड़ी समस्या से भी उबर आते हैं। साथ ही ऐसे जातकों की आर्थिक स्थिति जीवन भर अच्छी रहती है और इनका जीवन बहुत ही सुखमय बीतता है।

बता दें कि, इनके अलावा तीन ऐसे योग भी हैं जो राहु की मौजूदगी से बनते हैं। हालांकि इन लोगों को शुभ नहीं कहा जा सकता है। 

  • पहला योग कपट योग: जब व्यक्ति की कुंडली में राहु और शनि एकादश और षष्टम भाव में होते हैं तो ऐसे व्यक्तियों की कुंडली में कपट योग बनता है। जिन व्यक्तियों की कुंडली में यह योग होता है वह अपने स्वार्थ के लिए किसी को भी धोखा दे सकते हैं। ऐसे में ऐसे व्यक्तियों पर विश्वास नहीं किया जा सकता। 
  • दूसरा योग, पिशाच योग: राहु द्वारा निर्मित कुंडली का योग जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में होता है वह व्यक्ति बेहद ही आसानी से प्रेत बाधा का शिकार हो जाता है। साथ ही ऐसे व्यक्तियों की मानसिक स्थिति भी हमेशा कमजोर रहती है। 
  • तीसरा योग, चांडाल योग: व्यक्ति की कुंडली में गुरु और राहु ग्रह की युति से चांडाल योग का निर्माण होता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में चांडाल योग होता है उसे राहु के दुष्प्रभाव झेलने पड़ते हैं। साथ ही ऐसे जातकों को जीवन में आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है साथ ही ऐसे जातक गलत कामों में लिप्त रहते हैं।

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