कुंडली के बारह भावों में राहु: करियर के लिए शुभ या अशुभ?

कार्यक्षेत्र से जुड़े राहु ग्रह का द्वादश भावों का फल

राहु ग्रह का नाम सुनते ही अक्सर लोग डर जाते हैं। दरअसल ज्योतिष में राहु ग्रह को छाया ग्रह माना जाता है। राहु ग्रह की प्रकृति शनिदेव के समान मानी गई है। यानी कि राहु ग्रह शनि की ही तरह कर्म के आधार पर फल देते हैं। राहु ग्रह वृषभ राशि में उच्च का माना जाता है। अब जानते हैं राहु कुंडली के सभी 12 भावों में क्या फल प्रदान करता है? साथ ही करियर और कार्यक्षेत्र के लिए राहु कितना शुभ और कितना अशुभ है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहु और केतु इन दोनों को कोई ग्रह या पिण्ड नहीं  माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार राहु और केतु, सूर्य एवं चंद्र के परिक्रमा पथों के आपस में कटान के दो बिन्दुओं के द्योतक हैं, जो पृथ्वी के सापेक्ष एक दूसरे के उल्टी दिशा में (180 अथवा अंश डिग्री पर) स्थित रहते हैं। ज्योतिष में इनका अस्तित्व छाया-ग्रह के रूप में ही स्वीकार किया गया है क्योंकि कोई भी सत्ता जो मानव जीवन को प्रभावित करती है, उसे ग्रह कहा गया है। यह दोनों केवल कटान बिंदु हैं इसलिए छाया ग्रह कहलाते हैं। ये दोनों परस्पर 6 राशि अर्थात् 180 अंश के अंतर से अन्य ग्रहों की अपेक्षा विपरीत गति से राशियों संचरण करते हैं। इन्हें एक राशि पर भ्रमण करने में 18 मास तथा बारह राशियों पर भ्रमण करने में लगभग 18 वर्ष का समय लगता है। 

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राहु बहुत ही चमत्कारी ग्रह है  यह जिस व्यक्ति पर प्रभाव डालता है उसे मतिभ्रम भी कर सकता है और अत्यधिक बुद्धिमान भी बना सकता है। कुंडली के अलग-अलग भागों में स्थित होकर राहु विभिन्न प्रकार से आपके करियर और कार्यक्षेत्र को प्रभावित करने की क्षमता रखता है। आज इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि राहु कुंडली के बारह भावों में किस प्रकार के फल देकर आपके करियर को प्रभावित करता है। इसके साथ ही अपने करियर के सही चुनाव के लिए आप विशेषज्ञों द्वारा तैयार कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट का सहायता भी ले सकते हैं।

प्रथम भाव में राहु ग्रह का फल

यदि राहु लग्न में अर्थात प्रथम भाव में स्थित हो तो जातक  लेन- देन के कार्यों को करने में कुशल,  दूसरों के प्रभाव से अपने इष्ट-पूर्ति करने वाला, दृढ़-निश्चयी लेकिन नीच स्वभाव का , नीच कर्म करने वाला , कष्ट-सहिष्णु, स्त्रियों के साथ  कार्य या व्यापार  करने वाला और सट्टेबाजी का काम कर के अपनी आजीविका प्राप्त करता है ।

द्वितीय भाव में राहु ग्रह का फल

किसी जातक की जन्म कुंडली के द्वितीय  भाव में  राहु ग्रह स्थित हो तो  ऐसा जातक सदैव कुटुम्ब परिवार से दूर  दुःख भोगने वाला, मिथ्या-वादी, अभिमानी, धन की रक्षा करने वाला, परदेश में धन कमाने वाला,  मांसादि से धनोपार्जन करने वाला, भ्रमण-प्रिय, कठोर-स्वभाव का, संग्रही, राज कोप-भाजन तथा अल्प-धनी होता है। इस भाव में राहु कई बार जातक को विपुल धन सम्पत्ति भी प्राप्त करा देता है।

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तृतीय भाव में राहु ग्रह का फल

इस भाव में राहु हो तो जातक परम प्रतापी, बाहु-बल से अधिक धन कमाने वाला, पराक्रमी, अत्यंत प्रभावशाली, महा यशस्वी, प्रवासी, बलवान, राजमान्य,  शत्रुओं  द्वारा धन कमाने वाला, एक अच्छा व्यापारी, योगाभ्यासी, भाग्योदय के समय अत्यधिक धन प्राप्त करने के कारण कुशल, विलासी, विद्वान, ऐश्वर्यवान होता है । 

चतुर्थ भाव में राहु ग्रह का फल

किसी जातक के चतुर्थ भाव में राहु हो तो ऐसा जातक यात्री, परदेश वासी, मित्र से विमुख, नीच लोगों की संगति करने वाला, वाद – विवाद,  पुत्र एवं आत्मीयजनों से रहित और धन से धन कमाता है। ऐसा व्यक्ति आभूषण का व्यवसाय कर के सुखी जीवन प्राप्त करता है और 36 से 53 वर्ष की आयु तक का समय उत्कर्ष का रहता है। 

पंचम भाव में राहु ग्रह का फल

किसी जातक के पंचम भाव में राहु हो तो ऐसा जातक भाग्यशाली होता है। शास्त्र को समझने वाला या शास्त्रज्ञ होता है परन्तु धनहीन अथवा अल्प वेतन की नौकरी से निर्वाह करने वाला, अधिक परिश्रम, विद्या अध्ययन में रुचि वाला, धर्म-कर्म से रूचि रखते हुए भी यश न पाने वाला, कुल तथा धन का नाशक हो सकता है। खास कर ऐसा जातक अक्सर नौकरी ही करता है और बार-बार नौकरी में बदलाव आता रहता है। ऐसे जातक को शिक्षा में विशेष रूचि होती है। यदि कक्षा 10 के बाद आपको विषयोंं के चयन को लेकर कोई समस्या आ रही हो तो आप कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट की सहायता भी ले सकते हैं।

षष्ठ भाव में राहु ग्रह का फल

किसी जातक के षष्ठ भाव में राहु हो तो ऐसा जातक पराक्रमी, बलवान्, विद्वान, सुखी, दीर्घायु, शत्रु पर अनायास ही विजय पाने वाला, पशुओं से जुड़ा व्यवसाय करने वाला हो सकता है। ऐसा व्यक्ति अक्सर नीच लोगों की संगति से अपना कार्य-साधन करने वाला, बड़े-बड़े काम करने वाला, राजा के समान प्रतिष्ठित, शत्रु नाशक और अनेक प्रकार के सुख भोगने वाला होता है। उपरोक्त सभी से जुड़े कार्यों से जातक अपनी आजीविका प्राप्त कर सकता है।

सप्तम भाव में राहु ग्रह का फल

किसी भी जातक की जन्म कुंडली में राहु ग्रह सप्तम भाव में स्थित हो तो ऐसा जातक अधिक खर्च करने वाला, कटुभाषी, अपव्ययी, क्रोधी, लोभी, चतुर, व्यवसाय में हानि उठाने वाला तथा धनी होता है। अंत में ऐसा जातक अपने जीवनसाथी अथवा विपरीत लिंगी जातक के साथ मिल कर व्यवसाय शुरू कर अपनी आजीविका चलाता है। 

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अष्टम  भाव में राहु ग्रह का फल  

किसी भी जातक की जन्म कुंडली में राहु ग्रह अष्टम भाव में हो तो जातक दुर्बल अथवा पुष्ट शरीर वाला और कभी लाभ और कभी हानि पाने वाला, धन के रहते हुए भी  उसका सुख न पाने वाला जातक पापकर्म कर अपनी आजीविका प्राप्त करता है ऐसा जाता स्त्रियों से मिल कर अपना व्यापार  या उनके सानिध्य  नौकरी करता है या विदेश से सम्बंधित जुड़ा हुआ कार्य करता है।    

नवम भाव में राहु ग्रह का फल-

किसी भी जातक की जन्म कुंडली में राहु ग्रह नवम  भाव में  हो तो जातक लेखन एवं मुद्रण कार्य करता है और समाज सेवा में अपना पूर्ण योगदान देता है।  खास  कर ऐसा व्यक्ति जल से जुड़ा हुआ करता है और  इनका भाग्योदय 37 साल की आयु के बाद होता है। परन्तु ये लोग किस्मत के धनी होते हैं और उसके सहारे इनके काम बनते चले जाते हैं।

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दशम भाव में राहु ग्रह का फल

किसी भी जातक की जन्म कुंडली में राहु ग्रह दशम  भाव में  हो तो  ऐसा जातक अत्यन्त अभिमानी व  धनव्ययी, मन से ईर्ष्या करने वाला, जीवनसाथी की मर्जी के अनुसार चलने वाला, परधन-लोभी,  पराक्रमी, बुद्धिमान, रणोत्साही, पर्यटनशील,  राजा द्वारा धन सम्मान पाने वाला, अनियमित काम करने वाला तथा नाटक-काव्य आदि से जुड़ कर अपनी आजीविका प्राप्त करता है। ऐसे जातक को अक्सर सरकारी क्षेत्र से लाभ मिलता है।

एकादश भाव में राहु ग्रह का फल

किसी भी जातक की जन्म कुंडली में राहु ग्रह एकादश भाव में  हो तो  ऐसा जातक सुन्दर, श्याम वर्ण वाला, शास्त्राभ्यासी, विद्वान, परिश्रमी, व्यवसायी, राजद्वार से प्रतिष्ठा एवं लाभ पाने वाला, अन्न, वस्त्र, अलंकार, धन, पशु, वाहन आदि चीजों से जुड़ कर नौकरी या व्यापार करता है। ऐसे जातक को अच्छा धन लाभ प्राप्त होता है।

द्वादश  भाव में राहु ग्रह का फल

किसी भी जातक की जन्म कुंडली में राहु ग्रह द्वादश भाव में  हो तो  ऐसा जातक नौकरी करने वाला,व्यापार  करते रहने पर भी सिद्धि न पाने वाला,परिश्रमी, मूर्ख,अधिक चिन्ता, मतिमन्द, कपटी तथा नीच वृत्ति वाला होता है। ऐसा जातक का  केवल विदेश से धन प्राप्त करता  है।

यहां हम आपको बताना चाहते हैं कि ऊपर विभिन्न भावों में ग्रहों की स्थिति के अनुसार जो फल कथन दिया गया है वह केवल कार्यक्षेत्र और व्यवसाय के संदर्भ में सामान्य फल का ज्ञान कराता है। यदि आप विशुद्ध रूप से अपने बारे में या अपने व्यवसाय के बारे में जानना चाहते हैं तो उसके लिए आपकी कुंडली का विशेष फल जानने के लिए कुंडली का विवेचन और देश काल तथा पात्र की स्थिति के अनुसार व्यक्तिगत विश्लेषण किया जाना आवश्यक है। इस प्रकार आप जान पाएंगे कि जन्म कुंडली के विभिन्न भावों में स्थित राहु आपके जीवन को प्रभावित करते हुए आपके कार्य एवं व्यवसाय को अलग-अलग तरीकों से परिभाषित कर सकता है। इस बारे में व्यक्तिगत जानकारी प्राप्त करने के लिए अभी आचार्य डा. सुनील बरमोला से फोन पर बात करें।

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आशा है कि यह लेख आपको पसंद आया होगा। एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!

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