ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सभी नौ ग्रहों का हमारे जीवन पर कुछ न कुछ प्रभाव जरूर पड़ता है। जहां कुछ ग्रह शुभ स्थान पर बैठ शुभ फल देते हैं तो वहीं कुछ ग्रह ऐसे भी होते हैं जो अशुभ फल देने के लिए ही जाने जाते हैं। आम लोगों के बीच शनि देवता इस वजह से ज्यादा प्रचलित हैं लेकिन एक ग्रह ऐसा भी है जिसकी महादशा अगर कुंडली में शुरू हो जाये तो जातक को शनि से भी ज्यादा कष्ट झेलना पड़ता है लेकिन शुभ स्थिति में यह ग्रह जातक को राजा से रंक बनाने की भी क्षमता रखता है। आज हम आपको इस लेख में उसी ग्रह की जानकारी देने वाले हैं।
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राहु ग्रह को ज्योतिष शास्त्र में पापी ग्रह माना गया है। खास बात यह है कि इस ग्रह को किसी भी राशि पर कोई स्वामित्व प्राप्त नहीं है लेकिन मिथुन राशि में राहु उच्च का होता है जबकि धनु राशि में यह नीच माना जाता है। राहु को ज्योतिष शास्त्र में छाया ग्रह भी कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि राहु ही सूर्य और चन्द्र ग्रहण के लिए जिम्मेदार माना जाता है। इसके पीछे एक बेहद ही रोचक कथा भी है।
दरअसल जब समुद्र मंथन के बाद अमृत प्राप्त हुआ था तब देवता और असुरों के बीच इसे पाने के लिए भयानक युद्ध शुरू हो गया। इस युद्ध को रोकने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर देवताओं को अमृत पान करवाया था। तब एक स्वरभानु नामक असुर ने चुपके से देवताओं की कतार में खड़े हो अमृत पी लिया था। उसे ऐसा करते सूर्य और चंद्रमा ने देख लिया और उन्होंने ये बात भगवान विष्णु को बता दी। जिसके फलस्वरूप भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उसका सिर उसके धड़ से अलग कर दिया। जिसमें से सिर वाला हिस्सा राहु कहलाया और धड़ वाला हिस्सा केतु। राहु और केतु तभी से सूर्य और चंद्रमा से बैर रखते हैं और ऐसी मान्यता है कि वे हर साल सूर्य और चंद्रमा पर हमला करते हैं जिसकी वजह से ग्रहण लगता है।
राहु के अशुभ फल
राहु यदि किसी जातक की कुंडली में गलत स्थान पर विराजमान हो तो यह जातक की ज़िंदगी कष्टकारी बना देता है। ऐसे जातकों का आपराधिक कार्यों में लिप्त होने की आशंका बढ़ जाती है। साथ ही वह व्यक्ति बुरे तरीके से धन कमाने की तरकीबें इस्तेमाल करने लगता है। मांस और मदिरा के तरफ उसका झुकाव बढ़ जाता है और जुआ खेलने की प्रवृति जीवन पर बुरी तरह से हावी हो जाती है। राहु जातक के स्वास्थ्य को भी कमजोर करता है। ऐसे जातकों के जीवन में पेट संबंधी समस्या बनी रहती है तथा जीवन में किसी बड़ी बीमारी का भी सामना करना पड़ता है। ज्यादा बुरी स्थिति में राहु से पीड़ित व्यक्ति को पागलपन की समस्या का भी सामना करना पड़ता है। जातक का धर्म-कर्म में मन नहीं लगता और परिवार से भी विमुख होता चला जाता है।
राहु के शुभ प्रभाव
ऐसा नहीं है कि राहु हमेशा जातकों को नुकसान ही पहुंचाता है। राहु कभी-कभी शुभ फल भी देता है। राहु अगर किसी जातक की कुंडली में उच्च स्थान पर हो तो वह जातक समाज में काफी मान-सम्मान अर्जित करता है। यदि किसी व्यक्ति के जन्म कुंडली में लग्न भाव में राहु विराजमान हो तो सामान्य परिस्थिति में काफी साहसी होता है और स्वभाव से मेहनती भी होता है। राहु अगर शुभ हो तो व्यक्ति का मन धार्मिक कार्यों में भी लगता है।
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राहु के उपाय
राहु के अशुभ प्रभाव को खत्म करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं।
- राहु से पीड़ित जातकों को नियमित हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए। साथ ही मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करें व हनुमान जी के आगे चमेली के तेल का दीपक जलाएं।
- नहाने के पानी में गजदंत, कस्तूरी, लोबान और दूर्वा मिलाकर स्नान करने से राहु का प्रभाव कम होता है।
- रविवार के दिन भैरव बाबा के मंदिर में तिल के तेल का दीपक जलाएं।
- दान करने से भी राहु का प्रभाव कम होता है। साथ ही पूजा-पाठ में भी ध्यान लगाएँ।
- पिता का सम्मान करें और उनकी बातें ध्यान से सुनें।
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