22 अक्टूबर को पुष्य नक्षत्र से बना सबसे सुन्दर योग, जानें उससे जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातें।

इन दिनों देशभर में दिवाली पर्व की धूम देखते ही बन रही है। हर जगह लोग दिवाली की तैयारियों में जुड़े नज़र आ रहे हैं। ऐसे में दीपावली से करीब 5 दिन पूर्व बेहद शुभ माने जाने वाले पुष्य नक्षत्र पड़ रहा है। पुष्य नक्षत्र का महत्व इसी बात से देखा जा सकता है क्योंकि ज्योतिष में पुष्य नक्षत्र को नक्षत्रों का राजा माना जाता है। जिसमें से गुरु-पुष्य नक्षत्र सबसे अधिक शुभ होता है। इस नक्षत्र को विशेषतौर पर खरीदारी का महामुहूर्त कहते हैं। इसके अलावा इस वर्ष गुरु-पुष्य के साथ ही ये अमृतसिद्धि, सर्वार्थसिद्धि योग का निर्माण होगा। ऐसे में चलिए देखते है इस नक्षत्र से जुड़ी कुछ अहम बातें:- 

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पुष्य नक्षत्र से जुड़ी कुछ खास बातें-

  1. चूँकि पुष्य को नक्षत्रों का राजा कहा गया है, इसलिए जब यह नक्षत्र सप्ताह के विभिन्न वारों के साथ युति करता है तो विशेष योग का निर्माण होता है। ज्योतिष शास्त्रों में उस योग का अपना एक अलग ही महत्व बताया गया है। जैसे रविवार और गुरुवार को पड़ने वाला पुष्य नक्षत्र सबसे अधिक शुभ माना जाता है। तभी ऋग्वेद में इसे मंगलकर्ता, वृद्धिकर्ता एवं आनंदकर्ता माना गया है।
  1. शास्त्रों में नक्षत्रों से जुड़ी एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है जिसके अनुसार सभी 27 नक्षत्र भगवान ब्रह्मा के पुत्र दक्ष प्रजापति की 27 कन्याओं को बताया गया है। जिनका विवाह दक्ष प्रजापति ने एक साथ चंद्रमा के साथ किया था। ऐसे में चंद्रमा का विभिन्न नक्षत्रों के साथ संयोग पति-पत्नी के प्रेम का ही प्रतीक माना जाता है। इस प्रकार चंद्रमा हर महीने में एक दिन पुष्य नक्षत्र के साथ भी संयोग करता है, जिसे बेहद शुभ समय माना गया है।

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  1. वैदिक ज्योतिष की माने तो प्राचीनकाल से ही ज्योतिषी 27 नक्षत्रों के आधार पर अपनी गणनाएं करते रहे हैं। जिनमे से हर एक नक्षत्र का शुभ-अशुभ प्रभाव जातक के जीवन पर किसी न किसी रूप से ज़रूर पड़ता है। ऐसे में सभी 27 नक्षत्रों में से आठवें स्थान पर पुष्य नक्षत्र आता है। जिसके लेकर ज्योतिष शास्त्र मानते हैं कि पुष्य नक्षत्र के दौरान खरीदी गई कोई भी वस्तु बहुत लंबे समय तक उपयोगी रहती है तथा उससे जातक को शुभ फलों की प्राप्ति भी होती है।  
  1. माना जाता है कि पुष्य नक्षत्र के सिरे पर बहुत से बारीक़ तारे होते हैं, जो कांति वृत्त के अत्यधिक समीप हैं। आमतौर पर इस नक्षत्र के 3 तारे हैं, जो एक तीर (बाण) की आकृति के समान आकाश में दिखाई देते हैं। जिसके तीर की नोक पर भी कई बारीक़ तारा समूहों का एक गुच्छ दिखाई देता है।
  1. हिन्दू पंचांग की माने तो हर माह चन्द्रमा अपने क्रम के अनुसार विभिन्न नक्षत्र से संयोग करता है। जिसके बाद जब चंद्र का ये क्रम पूर्ण हो जाता है तो उसे ही एक चंद्र मास कहते हैं। इसलिए इस प्रकार हर महीने में पुष्य नक्षत्र का महज एक ही शुभ योग बनता है। 

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  1. दीपावली के पूर्व आने वाला पुष्य नक्षत्र कई और मायनों में बेहद ख़ास रहने वाला है, क्योंकि इसके योग से एक अनोखे व शुभ मुहूर्त का निर्माण हो रहा है। ये मुहूर्त खास तौर से खरीदारी के लिए शुभ माना जाता है। ऐसे में इस दीपावली से पहले जो भी लोग घर सजाने की चीजें, सोना, चांदी एवं अन्य सामान ख़रीद रहे हैं उनके लिए पुष्य नक्षत्र के आने से 22 अक्टूबर की तारीख सबसे ज्यादा शुभ हो जाती है।

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