अप्रैल के दो प्रदोष व्रत कब-कब? नोट कर लें शुभ अशुभ मुहूर्त की जानकारी

प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित एक बेहद ही पुण्यदायी और सरल व्रत होता है। प्रत्येक महीने में दो प्रदोष व्रत किए जाते हैं। ऐसे में अप्रैल महीने के दो प्रदोष व्रत की बात करें तो जहाँ पहला प्रदोष व्रत 09-अप्रैल शुक्रवार के दिन किया जायेगा तो वहीं दूसरा प्रदोष व्रत 24 अप्रैल शनिवार के दिन किया जायेगा। प्रदोष व्रत विशेष इस आर्टिकल में जानते हैं कि, 09 अप्रैल को आपको कौन से शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए और किन अशुभ मुहूर्तों का हमें ध्यान रखकर इस दौरान पूजा से बचना चाहिए।

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प्रदोष व्रत 2021 के शुभ और अशुभ मुहूर्त की सम्पूर्ण जानकारी 

सबसे पहले बात करें प्रदोष व्रत के दिन बनने वाले शुभ मुहूर्तों की तो, 

इस दिन सुबह 04:19 मिनट से ब्रह्म मुहूर्त शुरू हो रहा है, इसके बाद सुबह 04:42 से प्रातः सन्ध्या-मुहूर्त लग जायेगा, 

इसके अलावा प्रदोष व्रत के दिन अभिजीत मुहूर्त – 11:45 से 12:36 तक रहने वाला है। 

विजय मुहूर्त- 02:17 से 03:07 तक रहने वाला है।

गोधूलि मुहूर्त- 06:17 (शाम) से 06:41 (शाम) तक रहने वाला है।

सायाह्न सन्ध्या- 06:29 से 07:37 तक रहने वाला है।

अमृत काल- 10:10 से 11:53 तक रहने वाला है।

निशिता मुहूर्त-    11:47 से 12:32 अप्रैल 10 तक रहने वाला है।

पूजा का समय: 9 अप्रैल की शाम 5 बजकर 55 मिनट से लेकर 8 बजकर 12 मिनट तक.

इसके अलावा प्रदोष व्रत के दिन बनने वाले अशुभ मुहूर्त की बात कर तो,

राहुकाल- सुबह 10:36 से दोपहर 12:10 तक।

यमगण्ड- दोपहर 03:20 से शाम 04:55 तक।

गुलिक काल – सुबह 07:26 से सुबह 09:01 तक।

दुर्मुहूर्त- सुबह 08:23 से सुबह 09:13 तक।

वर्ज्य- सुबह 11:51 से 01:34 दोपहर तक और इसके बाद दोपहर 12:36 से दोपहर 01:26 तक।

भद्रा- सुबह 04:27 10 अप्रैल से प्रारंभ होकर सुबह 05:50 तक रहेगा।

इस दिन पूरे दिन पंचक रहने वाला है।

प्रदोष व्रत की पूजा में इस बात का रखें विशेष ख्याल 

  • प्रदोष व्रत की पूजा सुबह और शाम दोनों समय की जाती है। 
  • इसके अलावा प्रदोष व्रत निर्जला रखा जाता है। 
  • प्रदोष व्रत का उद्यापन कुल 11 या 26 प्रदोष व्रत रखने के बाद ही किया जाना चाहिए।

नोट: कहा जाता है कि, अलग-अलग वार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत का महत्व भी अलग-अलग होता है। ऐसे में आइये जानते हैं अप्रैल महीने में पड़ने वाले दोनों प्रदोष व्रतों का वार और उसके अनुसार उनका महत्व। 

(09 अप्रैल) शुक्र प्रदोष व्रत महत्व: शुक्र प्रदोष व्रत किसी भी प्रकार की मनोकामना पूर्ति के लिए बेहद ही उपयुक्त माना जाता है। इसके अलावा जिन लोगों के जीवन में क्लेश, लड़ाई झगड़े बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं उनके लिए भी शुक्र प्रदोष का व्रत वरदान साबित हो सकता है। बीमारी आदि को दूर करने के लिए शुक्र प्रदोष व्रत करने की सलाह दी जाती है।

 (24 अप्रैल) शनि प्रदोष व्रत महत्व: संतान प्राप्ति के लिए शनि प्रदोष बेहद ही फलदायी साबित हो सकता है। इसके अलावा शनि प्रदोष व्रत करने वाले व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं जो लोग शनि के दोष से पीड़ित हैं उनके लिए शनि प्रदोष व्रत बेहद ही शुभ परिणाम देने वाला साबित होता है।

प्रदोष व्रत उपाय 

अब जानते हैं प्रदोष व्रत के दिन किये जाने वाले कुछ बेहद सरल और सटीक उपायों के बारे में:

  • आर्थिक संपन्नता के लिए प्रदोष व्रत के दिन आप अपने घर के बड़े और बुजुर्गों या बच्चों से हरी वस्तु और मिठाई का दान करवाएं। 
  • घर में सुख समृद्धि की कामना के लिए आप प्रदोष व्रत के दिन थोड़ा सा चावल शिव मंदिर में दान करते और दूसरा हिस्सा भगवान शिव की पूजा करने के बाद जरूरतमंदों में बांट दें। इसके अलावा आप चाहें तो चावल का एक हिस्सा एक साफ और सफेद कपड़े में बांधकर तिजोरी में रख लें। 
  • परिवार के लोगों का स्वास्थ्य उत्तम बना रहे इसके लिए प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव के समक्ष शुद्ध देसी घी का चार मुख वाला दीपक जलाएं। शिव चालीसा का पाठ करें और शिव भगवान की आरती भी करें।

 आशा करते हैं इस लेख में दी गई जानकारी आपको पसंद आयी होगी।
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