जानें प्रदोष व्रत महत्व और पूजन विधि

प्रदोष व्रत को एक अत्यंत शुभ और बेहद ही फलदायी व्रत बताया गया है। इस प्रदोष व्रत का सीधा संबंध भगवान शिव और माता पार्वती से होता है। शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को ये व्रत मनाया जाता है। प्रदोष व्रत एक निश्चित समय और एक निश्चित तिथि को दर्शाता है। प्रदोष व्रत को प्रदोषम भी कहते हैं।

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अप्रैल महीने में कब है प्रदोष व्रत?

अप्रैल महीने का पहला प्रदोष व्रत 5 अप्रैल 2020, रविवार को पड़ रहा है। मान्यता है कि प्रदोष के दिन जो कोई भी साधक भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान करता है, सच्चे मन से उनकी पूजा करता है उसे भगवान की असीम कृपा अवश्य प्राप्त होती है। इस व्रत को करने वाले लोगों को सभी मनोवांछित फलों की प्राप्ति भी अवश्य होती है। प्रदोष व्रत की पूजा त्रयोदशी तिथि की शाम में किये जाने का विधान बताया गया है। 

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जानिए प्रदोष व्रत पूजन विधि 

प्रदोष व्रत को कई अलग-अलग श्रेणी में विभाजित किया गया है। हर महीने आने वाले इन प्रदोष व्रतों को इनके वार, समय, मास इत्यादि के आधार पर नित्य प्रदोष, पक्ष प्रदोष, मास प्रदोष और महा प्रदोष इत्यादि श्रेणियों में रखा जाता है। 

  • प्रदोष व्रत की पूजा में हमेशा सफ़ेद या हलके रंग के कपड़े पहनने चाहिए। 
  • सुबह उठकर स्नानादि करें और फिर भगवान शिव के मंदिर जाकर शिवलिंग का अभिषेक करें। 
  • इस दौरान आपको भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र का भी जाप करना चाहिए। 
  • इस दिन आपको भगवान शिव के ऊपर बेलपत्र चढ़ाने चाहिए। 
  • इस दिन प्रदोष व्रत की कथा भी करना बेहद फ़लदायी बताया गया है। 
  • भगवान शिव को भोग चढ़ाएं और पूजा के बाद इसे सभी लोगों में ज़रूर बांटे।
  • प्रदोष पूजा में इस बात का ख़ास ख्याल रखें कि इस दिन सुबह और शाम दोनों ही समय पूजा अवश्य करनी चाहिए। 
  • इस दिन निर्जला रहकर व्रत किया जाता है। अलग-अलग तरह के प्रदोष व्रतों के महत्व भी अलग-अलग होते हैं।
  • ऐसा कहा जाता है कि जिस दिन यह व्रत आता है उसके अनुसार इसका नाम और इसके महत्व बदल जाते हैं।
  • इसके अलावा यहाँ जानने वाली बात यह भी है कि प्रदोष व्रत को कुल ग्यारह या फिर 26 त्रयोदशियों तक रखा जाना चाहिए और इसके बाद इसका विधि विधान उद्यापन करना होता है।

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अलग-अलग वार के अनुसार प्रदोष व्रत के निम्नलिखित लाभ होते है-

  • रविवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को रखने से इंसान की उम्र बढ़ती है और साथ ही उनका स्वास्थ्य भी अच्छा होता है। 
  • सोमवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को रखने से इंसान की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। सोमवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोषम या चंद्र प्रदोषम भी कहा जाता है।
  • मंगलवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को रखने से इंसान सभी तरह के रोग से छुटकारा पा सकता है, और इंसान को स्वास्थ्य सम्बन्धी कोई परेशानी भी नहीं होती है।
  • बुधवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को रखने से इंसान की हर तरह की कामना सिद्ध होती है। 
  • गुरुवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को रखने से इंसान अपने शत्रुओं पर विजय पा लेता है। 
  • शुक्रवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को रखने से इंसान के जीवन में सौभाग्य की वृद्धि होती है। साथ ही इस व्रत के प्रभाव से उनके दांपत्य जीवन पर भी अच्छा असर पड़ता है। 
  • शनिवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को रखने से इंसान संतान प्राप्ति की अपनी इच्छा को पूरी कर सकता है। शनिवार के दिन पड़ने की वजह से इसे शनि प्रदोषम भी कहा जाता है।

प्रदोष व्रत महत्व

  • इस दिन व्रत रखने से इंसान के समस्त दुःख और कष्ट अवश्य दूर हो जाते हैं
  •  मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्ति की चाह रखने वालों के लिए ये व्रत अति-उत्तम और श्रेष्ठ बताया गया है।
  •  इस व्रत से इंसान को दो गौ-दान से मिलने जितना फल प्राप्त होता है। 
  • इस व्रत के माध्यम से इंसान भगवान शिव की पूजा करके अपने पापों का प्रायश्चित कर सकता है। ये व्रत अन्य सभी व्रतों से ज्यादा शुभ और फलदायी बताया गया है, जिसके माध्यम से इंसान अपने जीवन के सभी पापों से छुटकारा पा सकता है।  

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