हर पक्ष की त्रयोदशी के व्रत को प्रदोष व्रत कहा जाता है।
प्रदोष व्रत को त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। साल के प्रत्येक 12 महीनों में कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष को त्रयोदशी मनाते हैं। हर पक्ष की त्रयोदशी के व्रत को प्रदोष व्रत कहा जाता है। दिन में सूर्य के अस्त होने के बाद और रात से पहले का समय प्रदोष काल कहा जाता है। प्रदोष व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान बताया गया है।
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हिन्दू धर्म में व्रत और उपवास का बहुत महत्व बताया गया है। यूँ तो हर महीने की प्रत्येक तिथि को कोई न कोई व्रत या उपवास रखने की मान्यता होती है लेकिन इन सब में सबसे श्रेष्ठ और उद्धार करने वाले व्रत का दर्ज़ा प्रदोष व्रत को दिया गया है। इस व्रत को सच्चे मन से रखने से इंसान को मनचाही वस्तु की प्राप्ति अवश्य होती है।
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जानें अप्रैल में किस दिन है प्रदोष व्रत
अप्रैल में प्रदोष व्रत 5 अप्रैल 2020, प्रदोष व्रत (शुक्ल) और 20 अप्रैल 2020 को सोम प्रदोष व्रत (कृष्ण)पड़ रहा है। प्रदोष व्रत के बारे में कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव कैलाश पर्वत पर मौजूद अपने रजत भवन में नृत्य करते हैं। यही वजह है जिसके चलते प्रदोष व्रत रखने की परंपरा की शुरुआत हुई, जिससे भगवान शिव को प्रसन्न किया जा सके।
इस व्रत को करने से सारे कष्ट और हर तरह के दुःख दूर हो जाते हैं। साल 2020 में पड़ने वाले सभी प्रदोष व्रत की जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें। प्रदोष व्रत को बेहद शुभ और मंगलकारी बताया गया है। प्रदोष व्रत को अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग नामों से जाना जाता है। दक्षिण भारत में इसे प्रदोषम के नाम से जानते हैं।
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प्रदोष व्रत पूजन विधि
- प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठे और स्नान इत्यादि करें।
- पूजा में भगवान शिव का ध्यान करें, उन्हें जल चढ़ाएं और उनके मंत्र का जाप करें।
- पूजा में भगवान शिव को शमी, बेल पत्र, कनेर, धतूरा, चावल, फूल, धूप, दीप-नवैद्य, फल, पान-सुपारी इत्यादि अवश्य चढ़ाएं।
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प्रदोष व्रत के दौरान इन बातों का रखें ख्याल
- प्रदोष व्रत रखने वालों को खासतौर पर सलाह दी जाती है कि इस दिन उन्हें अपना मन, अपनी वाणी, सौम्य-निर्मल बनाये रखनी चाहिए।
- व्रत के दौरान भूलकर भी गुस्सा ना करें।
- व्रत में साफ़-सफाई का पूरा ध्यान रखें।
- प्रदोष व्रत के दिन किसी भी प्रकार का नशा ना करें।
- व्रत के दिन चोरी करने, झूठ बोलने और किसी भी तरह की हिंसा इत्यादि करने से बचें।
प्रदोष व्रत महत्व
- प्रदोष व्रत का काफी महत्व बताया गया है।
- इस दिन सच्चे मन से पूजा-व्रत करने से इंसान के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और इंसान को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- एक दिन का प्रदोष व्रत, दो गाय-दान जितना फल प्रदान करने वाला होता है।
- प्रदोष व्रत को रखने से इंसान के सभी पाप भी दूर हो जाते हैं।
- प्रदोष व्रत को करने से साधक और उसके परिवार पर हमेशा भगवान शिव की कृपा बनी रहती है।
- प्रदोष व्रत करने वाले इंसान के जीवन के सभी कष्ट इत्यादि दूर हो जाते हैं।
प्रदोष व्रत को कम से कम 11 त्रयोदशी तक रखना होता है। जो कोई भी इंसान 11 या फिर 26 त्रयोदशी तक इस व्रत को रखता है उसे इस व्रत का उद्यापन विधिवत तरीके से करने का विधान बताया गया है।
कैसे करें प्रदोष व्रत उद्यापन :
- प्रदोष व्रत का उद्यापन केवल त्रयोदशी तिथि पर ही किया जाना चाहिए।
- उद्यापन से एक दिन पहले भगवान गणेश की विधिवत पूजा करें और उद्यापन वाले दिन रात में जागरण करना चाहिए।
- अगले दिन सुबह उठकर स्नान करें, साफ़ कपड़े पहनें और गोबर से मंडप बनाएं और उसे रंगों और वस्त्रों से सजाएं।
- इसके बाद हवन करें और इस दौरान ऊँ उमा और शिवाय नम: मंत्र का 108 बार जाप करें।
- हवन में इस दिन खीर की आहुति दी जाती है।
- हवन के बाद भगवान शिव की आरती करें।
- इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें अपनी यथाशक्ति से दान दें।
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