पितृपक्ष के दौरान पितरों की याद में इस पेड़ का रोपण जरूर करें !

कल यानी की 13 सितंबर से पितृपक्ष की शुरुआत होने जा रही है जो 28 सितम्बर को अमावस्या तिथि के दिन समाप्त होगा। पितृपक्ष को श्राद्धपक्ष के नाम से भी जाना जाता है, ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान मृतक पूर्वज धरती पर अपने  परिवार वालों से मिलने आते हैं। इसलिए इस दौरान पितरों की पूजा और पिंडदान का विशेष महत्व है। इसके अलावा और भी कुछ ऐसी चीजें हैं जिनका ध्यान आपको पितृपक्ष के दौरान जरूर रखनी चाहिए। उन्हीं में से एक हैं अपने पितरों के लिए पौधे लगाना। आज हम आपको विशेष रूप से बताने जा रहे हैं कि आपको अपने पितर के लिए कौन से पौधें लगाने चाहिए। 

पितृपक्ष के दौरान पितरों की याद में लगाएं इन पेड़ों को

हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पीपल के वृक्ष पर विष्णु का वास माना जाता है इसलिए इसे देव वृक्ष के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा ऐसी भी मान्यता है कि पीपल के पेड़ पर पितरों का भी निवास होता है और वो पितृपक्ष के दौरान अपने परिवार से मिलने यही से आते हैं। इसलिए पितृपक्ष के दौरान पीपल का पेड़ लगाना काफी शुभ माना जाता है। हाँ लेकिन पितरों की याद में पीपल का पेड़ केवल किसी पवित्र स्थल पर ही लगाएँ। चूँकि पीपल के पेड़ की उम्र काफी ज्यादा होती है इसलिए ऐसा माना जाता है कि इस पेड़ को लगाने से पितरों का आशीर्वाद सदियों तक परिवार के ऊपर बनी रहती है। पितृपक्ष के दौरान इस पेड़ को लगाना काफी शुभ माना जाता है इसलिए आप भी पितृपक्ष के दौरान अपने पितरों की याद में इस पेड़ को जरूर लगाएं।

पितृपक्ष के दौरान इन बातों का रखें विशेष ख्याल, मिलेगा शुभ फल !

 इन पेड़ों को लगाने से भी मिलता है पितरों का आशीर्वाद 

आपको बता दें कि पितृपक्ष के दौरान पीपल के पेड़ लगाने के अलावा आप अपने पितरों की याद में आम, जामुन और बरगद का पेड़ भी लगा सकते हैं। इसके साथ ही साथ तुलसी, गूलर, कुशा और पलाश आदि के पौधे लगाना भी पितृपक्ष के दौरान अति शुभ फलदायी माना जाता है। हालाँकि इन सबमें पीपल के पेड़ को ज्यादा महत्ता दी गयी है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि व्यक्ति की मृत्यु के बाद यदि उनका क्रियाकर्म पीपल के पेड़ के नीचे किया जाए तो इससे उस व्यक्ति को तुरंत ही मोक्ष की प्राप्ति होती है और उनका आशीर्वाद परिवार की सुख समृद्धि में मददगार साबित होता है। पितृपक्ष के दौरान तर्पण क्रिया में तुलसी का प्रयोग और पिंडदान की क्रिया समाप्त होने के बाद यदि उपरोक्त पेड़ पौधे में से किसी एक को लगाकर उसमें जल अर्पित किया जाए तो इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार की सुख शांति बनी रहती है। 

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बहरहाल पितृपक्ष के दौरान इन पौधों को अपने पितरों की याद में लगाकर आप  उनका आशीर्वाद पा सकते हैं। बता दें कि यदि इन पौधों को घर के किसी बच्चे द्वारा रोपण करवाया जाए तो इसे ज्यादा फलदायी माना जाता है।

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