विवाह में रुकावट के लिए कौन से ग्रह हैं जिम्मेदार? जानें!

विवाह मनुष्य जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव माना गया है जो व्यक्ति का भाग्य बदलने की क्षमता रखता है। वैदिक ज्योतिष में कुंडली का सातवां भाव विवाह और पार्टनर का प्रतिनिधित्व करता है। लेकिन किसी व्यक्ति की शादी जल्दी होगी या देर से इसके लिए सातवें भाव के साथ-साथ दूसरे और ग्यारहवें भाव को भी देखा जाता है। एस्ट्रोसेज के अनुभवी और विद्वान ज्योतिषाचार्य पंडित शिवानंद त्रिपाठी जी गहन विश्लेषण के बाद शादी में जल्दी या फिर देरी होने के कारणों के बारे में सटीक जानकारी प्रदान करेंगे। साथ ही, कौन से ग्रह हैं जिम्मेदार एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के लिए? इससे भी आपको अवगत कराएंगे।

Varta Astrologers

दुनियाभर के विद्वान ज्योतिषियों से करें फ़ोन पर बात और जानें करियर संबंधित सारी जानकारी

कब बनते हैं कुंडली में विवाह के योग? 

  1. विवाह शीघ्र होगा या देर से, इस बारे में विचार करते समय हमें 7वें भाव तथा उसके स्वामी की स्थिति का भी विश्लेषण करना पड़ता है। यदि सातवें भाव के स्वामी पापी ग्रहों के साथ हैं अथवा उनकी क्रूर दृष्टि सातवें भाव या सातवें भाव के स्वामी पर पड़ती है, तो विवाह में विलंब होगा।
  1. विवाह की तिथि का आकलन करने के लिए जातक की कुंडली में लग्न के स्वामी तथा 7वें घर के स्वामी के गोचर को देखना पड़ता है। जब कभी इन दोनों भावों के स्वामी एक-साथ विवाह के भाव में या विवाह के संबंधित भाव के ऊपर से गोचर करेंगे, तभी विवाह की संभावना होगी। यदि लग्न में सभी ग्रह मौजूद हैं, अथवा 7वें घर में हैं, अथवा इन घरों पर दृष्टि डालते हैं या एक-दूसरे को देख रहे हैं, तो विवाह तब तक संभव नहीं होगा जब तक कि इन सभी की दृष्टि शुभ नहीं हो जाती हैं।

बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा

  1. जिन जातकों की जन्म कुंडली में मंगल और शुक्र एक साथ मौजूद होते हैं अथवा एक- दूसरे पर दृष्टि डाल रहे होते हैं, उस व्यक्ति के अक्सर विवाहेतर संबंध (एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर) होते हैं। यदि मंगल और शुक्र एक साथ युति बना रहे हों या फिर दोनों में दृष्टि संबंध हो, तो ऐसा व्यक्ति विवाहेतर संबंध में लिप्त होता है, अर्थात ऐसी परिस्थितियां बन सकती हैं कि वह विवाहेतर सम्बन्ध न चाहते हुए भी उनमें फंस सकता है। यदि इन दोनों ग्रहों के साथ बुध ग्रह भी मौजूद होता है, तब ऐसे संबंध चतुराई पूर्वक बनाए जाते हैं। यदि शनि और राहु अथवा केतु उनके साथ है, तो ऐसे संबंध बलपूर्वक भी बनाए जाने की संभावना होती हैं। यदि गुरु जन्म कुंडली में इन दोनों ग्रहों के साथ हो अथवा अन्य किसी प्रकार से प्रमुख रूप में हो, तो विवाहेतर संबंध पुरुष और महिला के मध्य एक-दूसरे की प्रतिभा और प्रशंसा के परिणामस्वरूप उत्पन्न होंगे।

शीघ्र विवाह के लिए जरूर अपनाएं ये उपाय

  • 43 दिनों तक लगातार कन्याओं को नेल पोलिश का दान करने से कुंडली में विवाह के योग बनते हैं।
  • कुंडली में मंगल दोष होने पर मंगलवार के दिन हनुमान जी के लिए व्रत रखें और उनकी पूजा करें।
  • प्रतिदिन नहाने के पानी में एक चुटकी हल्दी मिलाकर स्नान करें। 
  • विवाह में समस्याएं आ रही हों, तो 13 दिन तक लगातार पीपल की जड़ में जल चढ़ाएं। ऐसा करने से विवाह के मार्ग में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।  

सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर

हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह लेख ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!

Dharma

बजरंग बाण: पाठ करने के नियम, महत्वपूर्ण तथ्य और लाभ

बजरंग बाण की हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है। हनुमान जी को एक ऐसे देवता के रूप में ...

51 शक्तिपीठ जो माँ सती के शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों के हैं प्रतीक

भारतीय उप महाद्वीप में माँ सती के 51 शक्तिपीठ हैं। ये शक्तिपीठ माँ के भिन्न-भिन्न अंगों और उनके ...

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotram) से पाएँ दुर्गा जी की कृपा

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक ऐसा दुर्लभ उपाय है जिसके पाठ के द्वारा कोई भी व्यक्ति पराम्बा देवी भगवती ...

12 ज्योतिर्लिंग: शिव को समर्पित हिन्दू आस्था के प्रमुख धार्मिक केन्द्र

12 ज्योतिर्लिंग, हिन्दू आस्था के बड़े केन्द्र हैं, जो समूचे भारत में फैले हुए हैं। जहाँ उत्तर में ...

दुर्गा देवी की स्तुति से मिटते हैं सारे कष्ट और मिलता है माँ भगवती का आशीर्वाद

दुर्गा स्तुति, माँ दुर्गा की आराधना के लिए की जाती है। हिन्दू धर्म में दुर्गा जी की पूजा ...

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा.