इस पितृपक्ष पितरों की शान्ति के लिए करें ये महाउपाय

हिन्दू धर्म में ये मान्यता है कि जब भी किसी घर के बुजुर्ग की मृत्यु होती है तो घरवाले उनकी आत्मा की शांति हेतु अपनी परंपरा अनुसार कई तरह के उपाय व कुछ अहम कार्य करते हैं। लेकिन बावजूद इसके ये अक्सर देखने को मिलता है कि सभी कर्म-काण्ड के बाद भी पूर्वजों को मरने के बाद भी शांति नहीं मिलती है, जिससे उनकी आत्मा मोक्ष की प्राप्ति के लिए भटकती रहती है और इसके कारण मृतक के परिवार के सदस्यों पर पितृदोष का पाप चढ़ता है। पितृ दोष लगने से घर-परिवार में कई तरह की समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं और मानो घर से सुख-समृद्धि जैसे ग़ायब ही हो जाती हैं।

पितृपक्ष के दौरान किये जाने वाले उपाय 

ऐसे में पितृ दोष से जुड़ी हर प्रकार की समस्या के निवारण और पितरों की आत्मा की शांति के लिए ज्योतिष विशेषज्ञों द्वारा कुछ महाउपाय बताए गए हैं, जिन्हे इस पितृपक्ष अपनाकर आप अपने पूर्वजों की आत्मा को शांति दिलाने के साथ ही सबसे बड़े दान के हक़दार भी बन जाएंगे। चलिए जानते हैं श्राद्ध के दिनों किये जाने वाले कुछ उपाय:

  • श्राद्ध के दौरान प्रतिदिन भोजन करने से पहले अपनी थाली से थोड़ा सा भोजन गौ माता और किसी कुत्ते के लिए अवश्य निकालें। 
  • 16 दिन तक चलने वाले श्राद्ध के दौरान रोज़ाना अपनी इष्ट देवी या देवता की पूजा करना न भूले। 
  • विशेषतौर से रविवार के दिन गौ माता को गुड़ खिलाएं और साथ ही स्वयं भी घर से निकलने से पहले गुड़ खाकर ही बाहर जाएं। 
  • इस पर्व के दौरान संभव हो तो किसी ब्राह्मण की मदद से घर में भागवत का पाठ करवाए।
  • इस दौरान षोडश पिंड दान करना बेहद शुभ रहता है। 
  • तर्पण के दौरान अगर मुमकिन हो तो सर्प पूजा करें और ब्राह्मण को भेट में गौ -दान करें। 
  • इसके साथ ही ज़रूरत के स्थान पर कुआ,बावड़ी, तालाब आदि का निर्माण कराए या यदि कोई इसका निर्माण कर रहा हो तो आप उसमें सहयोग भी अपनी श्रद्धानुसार दे सकते हैं। 
  • मंदिर प्रांगण में श्राद्ध पर्व के दौरान पीपल, बड़ यानी बरगद आदि देव वृक्ष लगाएँ। 
  • यदि आपको या आपके परिवार को किसी भी प्रकार का कोई प्रेत श्राप सता रहा है या आपको कभी-कभी अपने पूर्वज नज़र आते हैं तो अपने घर में श्रीमद्द्भागवत का पाठ ज़रूर करना चाहिए। 
  • पितृ पक्ष के दौरान पिंडदान करते हुए विष्णु मन्त्रों का जाप करें। 
  • अपने पितरों को हमेशा आदर-सम्मान देना न भूले। इसके लिए जब भी घर में कोई शुभ कार्य, मांगलिक कार्य, पूजा पाठ करें तो उन्हें ज़रूर स्मरण करें। 
  • ये देखा गया है कि पितृदोष से पीड़ित जातक को जीवनभर अप्रत्याशित बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए पितृपक्ष के दौरान अपने पूर्वजों का श्राद्ध कर्म संपन्न करें। इसके लिए भले ही आप कितने भी व्यस्त क्यों न हो लेकिन अश्विन कृष्ण अमावस्या को अपने पितरों के लिए परंपरा अनुसार श्राद्ध अवश्य करना चाहिए।
  • इसके साथ ही मान्यता अनुसार भगवान विष्णु की पूजा करने से भी हर प्रकार के पितृ दोष से निजात पाई जा सकती है। क्योंकि कहा जाता है कि मृत्यु के बाद सभी आत्माएं भगवान विष्णु में विलीन हो जाती हैं। ऐसे में आत्मा का परमात्मा से ये मिलन ही मोक्ष कहलाता है। ।
  • पौराणिक शास्त्रों में भी पितृपक्ष को बेहद अहम पर्व बताया गया है, जिसमें पितरों की संतुष्टि व शांति के लिए मंत्र ,स्तोत्र एवं सूक्तों का वर्णन भी किया गया है। ऐसे में पितृपक्ष के दौरान विशेषतौर से नित्य पाठ करने से किसी भी प्रकार की पितृ बाधा को समाप्त व पूर्वजों को शांत किया जा सकता है। 
  • यूँ तो हर व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष के प्रकार के मुताबिक़ ही उस दोष से मुक्ति पाई जाती है। लेकिन इसके बावजूद पितृपक्ष में पिंडदान इन दोषों से निवारण का सबसे आसान तरीका होता है। 
  • पितरों को पिंडदान करते वक़्त एक कलश में कच्चा दूध, दो लौंग, दो बताशे, काले तील लेकर संध्या के समय पर पीपल के पेड़ को अर्पित करें। इसके बाद उन्हें एक पवित्र जनेऊ चढ़ाएं। माना जाता है कि ऐसा करने से आपके पितृ आपसे प्रसन्न होते हैं। 
  • यूँ तो पितृपक्ष के दौरान 16 दिनों तक कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है, लेकिन मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति इन दिनों किसी गरीब कन्या के विवाह की ज़िम्मेदारी लेने का संकल्प लेता है तो उस पर पड़ने वाला हर प्रकार का पितृ दोष का प्रभाव शून्य हो जाता है। 
  • इसके साथ ही जब वो व्यक्ति पितृ पक्ष के समापन के बाद अपने संकल्प के अनुसार कन्या का विवाह कराता हैं तो उसे भगवान तथा अपने पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • पितृपक्ष पर्व के दौरान हर बृहस्पतिवार के दिन शाम के समय पीपल के पेड़ की जड़ को बिना छुएँ जल अर्पित करें। इसके बाद उसकी सात बार परिक्रमा करें। इससे पितरों को शांति मिलती है। 

ये भी पढ़ें: 

पितृपक्ष के दौरान पितरों की याद में इस पेड़ का रोपण ज़रूर करें !

पितृ पक्ष में श्राद्ध और पिंडदान का महत्व एवं तर्पण की विधि।

पितृपक्ष  के दौरान गयाजी में पिंडदान करने का महत्व !

हनुमान जी के 108 नाम, जिनको जपने से मिलते हैं मनोवांछित फल। 

रुद्राक्ष की इन खूबियों से दूर हो सकती हैं जीवन की परेशानियां !

कुंडली का ये दोष दे सकता है टी.बी का रोग !

Dharma

बजरंग बाण: पाठ करने के नियम, महत्वपूर्ण तथ्य और लाभ

बजरंग बाण की हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है। हनुमान जी को एक ऐसे देवता के रूप में ...

51 शक्तिपीठ जो माँ सती के शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों के हैं प्रतीक

भारतीय उप महाद्वीप में माँ सती के 51 शक्तिपीठ हैं। ये शक्तिपीठ माँ के भिन्न-भिन्न अंगों और उनके ...

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotram) से पाएँ दुर्गा जी की कृपा

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक ऐसा दुर्लभ उपाय है जिसके पाठ के द्वारा कोई भी व्यक्ति पराम्बा देवी भगवती ...

12 ज्योतिर्लिंग: शिव को समर्पित हिन्दू आस्था के प्रमुख धार्मिक केन्द्र

12 ज्योतिर्लिंग, हिन्दू आस्था के बड़े केन्द्र हैं, जो समूचे भारत में फैले हुए हैं। जहाँ उत्तर में ...

दुर्गा देवी की स्तुति से मिटते हैं सारे कष्ट और मिलता है माँ भगवती का आशीर्वाद

दुर्गा स्तुति, माँ दुर्गा की आराधना के लिए की जाती है। हिन्दू धर्म में दुर्गा जी की पूजा ...

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा.