हो जाएं सावधान! फाल्गुन अमावस्या के दिन हो रही है पंचक की शुरुआत!

फाल्गुन अमावस्या 2023: एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम पंचक के बारे में भी बात करेंगे जो कि 20 फरवरी 2023 से शुरू हो रहे हैं। इस ब्लॉग के माध्यम से हम जानेंगे कि पंचक क्या होते हैं और हमारे जीवन को ये कैसे प्रभावित करते हैं। साथ ही, राशि अनुसार किये जाने वाले दान के बारे में भी आपको जानकारी प्रदान करेंगे जिससे आप इस अवसर का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठा सकें।

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वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा को अत्यधिक महत्व दिया गया है और चंद्रमा की स्थिति एवं गति के आधार पर ही सभी राशियों, नक्षत्रों, मुहूर्त, पक्षों आदि की गणना की जाती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को फाल्गुन अमावस्या के नाम से जाना जाता है। 

अब आप में से ज़्यादातर लोगों के मन में ये सवाल उठ रहा होगा कि किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा की घटती-बढ़ती स्थिति के बारे में कैसे जाना जा सकता है? इसका सीधा सा तरीका है कि यदि किसी की लग्न कुंडली में चंद्रमा सूर्य से सात भावों में एंटी-क्लॉकवाइज स्थिति में मौजूद हो तो चंद्रमा का आकार बढ़ता है। लेकिन इसके विपरीत, यदि चंद्रमा सूर्य से 7 या अन्य भावों में मौजूद हो तो चंद्रमा घटता है।              

अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि फाल्गुन अमावस्या 2023 को क्यों शुभ माना जाता है। हिंदू धर्म में अमावस्या के दिन पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म किये जाते हैं। इस तिथि पर लोग अपने जीवन में सुख-समृद्धि और शांति बनाए रखने के लिए उपवास भी करते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या का आरंभ 19 फरवरी 2023 को दोपहर 04 बजकर 21 मिनट पर होगा और इसका अंत 20 फरवरी 2023 को दोपहर 12 बजकर 38 मिनट पर होगा। ऐसे में, फाल्गुन अमावस्या को 20 फरवरी 2023 के दिन मनाया जाएगा। 

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फाल्गुन अमावस्या पर किये जाने वाले धार्मिक अनुष्ठान  

फाल्गुन अमावस्या का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है और इस दिन किये जाने वाले धार्मिक अनुष्ठान इस प्रकार हैं: 

  • फाल्गुन अमावस्या के दिन नदी में स्नान करें और यदि ऐसा संभव न हो, तो नहाने के पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं। स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य ज़रूर दें।  
  • इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का अत्यंत महत्व होता है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि फाल्गुन अमावस्या के दिन सभी देवी-देवता नदियों में निवास करते हैं, विशेष रूप से गंगा नदी में।   
  • गायों को हरा चारा एवं अनाज खिलाएं और गरीबों को वस्त्र, आंवला, तिल, कंबल और घी आदि का दान करें।   
  • आप अपने सामर्थ्य अनुसार गौ दान या सोना आदि भी दान कर सकते हैं, या फिर किसी मंदिर या मंदिर के पुजारी को भूमि दान में दे सकते हैं।    
  • प्रत्येक अमावस्या की तरह फाल्गुन अमावस्या पर भी अपने पूर्वजों का स्मरण करें। 

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फाल्गुन अमावस्या का महत्व 

जैसे कि हम सभी जानते हैं कि अमावस्या के दिन चांद आसमान से अदृश्य होता है और ज्योतिष में चंद्रमा को मन का कारक माना गया है। फाल्गुन अमावस्या के अवसर पर गरीबों और जरूरतमंदों को दान करना विशेष रूप से फलदायी होता है। साथ ही, इस दिन भगवान विष्णु और शिव जी की पूजा लाभदायक सिद्ध होती है। पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इस दिन श्राद्ध और तर्पण करना श्रेष्ठ माना गया है।   

अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि फाल्गुन अमावस्या को शुभ बनाने के लिए इस दिन राशि अनुसार क्या दान करें।  

फाल्गुन अमावस्या 2023 पर राशि अनुसार करें इन चीज़ों का दान 

मेष राशि: मेष राशि वालों को प्रातःकाल स्नान के बाद तांबे के बर्तन में जल लेकर उसमें एक चुटकी कुमकुम डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें और चंद्रमा को प्रसन्न करने के लिए दूध या घी का दान करें।    

वृषभ राशि: निर्धन लोगों को वस्त्र एवं भोजन का दान करें। साथ ही, आप जल में एक चम्मच दूध मिलाकर चंद्र देव को अर्पित करें। 

मिथुन राशि: गाय का दान करें या फिर गाय को खिलाने के लिए चारे का दान करें। साथ ही, चंद्रमा के बीज मंत्र “ऊँ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः”का जाप करें। 

कर्क राशि: कर्क राशि वालों के लिए मंदिर में शंख और दूध का दान करना सर्वश्रेष्ठ रहेगा और चंद्रमा को अर्घ्य दें। 

सिंह राशि: सूर्य देव को अर्घ्य दें। साथ ही, वृद्धाश्रम या मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों में क्षमता अनुसार दान करें।  

कन्या राशि: कन्या राशि के जातक मंदिर में चांदी का कोई आभूषण अर्पित करें। शिवलिंग पर सफ़ेद फूल चढ़ाएं। 

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तुला राशि: तुला राशि के लोगों को माता लक्ष्मी को मोती चढ़ाना चाहिए। मंदिर में दही या चावल भी अर्पित करना श्रेष्ठ रहेगा।  

वृश्चिक राशि: इस राशि के जातक चंद्रमा को शांत करने के लिए रुद्राष्टकम का पाठ करें। साथ ही, गरीबों को दूध से बनी मिठाई का दान करें। 

धनु राशि: धनु राशि के जातक निर्धन लोगों को चावल, घी और दूध आदि का दान करें और बुजुर्गों की सेवा करें।  

मकर राशि: मकर राशि वाले निर्धन कन्याओं को वस्त्र और भोजन का दान करें। साथ ही, भगवान शिव से प्रार्थना करें। 

कुंभ राशि: कुंभ राशि के जातकों के लिए चांदी, मोती या सफ़ेद रंग की मिठाई आदि का मंदिर में दान करना फलदायी साबित होगा। 

मीन राशि: मीन राशि के जातकों के लिए मंदिर में लंगर आयोजित करें। यदि आप चाहे तो भगवान शंकर और चंद्रमा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए हवन भी कर सकते हैं। 

फाल्गुन अमावस्या के मौके पर एक विशेष संयोग बन रहा है। फरवरी 2023 का पंचक इसी अमावस्या से शुरू हो रहा है। इस बारे में हम विस्तार से बात करेंगे लेकिन सबसे पहले जानते हैं कि पंचक क्या है? यह सभी राशियों को कैसे प्रभावित करेगा? साथ ही जानेंगे, इससे बचने के राशि अनुसार उपायों के बारे में।  

पंचक क्या है?

वैदिक ज्योतिष में पंचक पांच दिनों की वह अवधि होती है जब चंद्रमा धनिष्ठा नक्षत्र के तीसरे चरण में प्रवेश करता है और इसके पश्चात, चंद्रमा शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती इन नक्षत्रों के चारों पदों पर गोचर करता है तो इसे पंचक कहा जाता है। सरल शब्दों में कहें तो, जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशि में गोचर करते हैं तो इस “पंचक” कहते हैं। 

भारतीय वैदिक ज्योतिष के अनुसार, पंचक की अवधि को अशुभ माना जाता है। मान्यता है कि पंचक काल के दौरान यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसकी मृत्यु के बाद उस घर-परिवार के सदस्यों या फिर उस क्षेत्र के लोगों पर मृत्यु का संकट मंडराने लगता है। इसलिए पंचक को महीने का सबसे अशुभ काल माना जाता है। हालांकि, आपको बता दें कि सारे पंचक अशुभ नहीं होते हैं। अब हम पंचक के प्रकार और पंचक के दौरान किये जाने वाले कार्यों के बारे में जानेंगे।

साथ ही, हम आपको पंचक के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए राशिचक्र की 12 राशियों के लिए सरल उपाय भी प्रदान करेंगे। 20 फरवरी 2023 से शुरू होने वाले पंचक, राज पंचक होंगे और इस समय को अशुभ नहीं माना जाता है। चलिए नज़र डालते हैं पंचक के प्रकार पर:

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पंचक के प्रकार

  • रोग पंचक: रोग पंचक का आरंभ रविवार को होता है और इस पंचक को काफ़ी अशुभ माना जाता है। रोग पंचक के तहत जन्मे लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर होती है और इन्हें मानसिक और शारीरिक समस्याओं से जूझना पड़ता है।  
  • राज पंचक: राज पंचक की शुरुआत सोमवार से होती है और इस पंचक को उन सभी कार्यों के लिए बेहद शुभ माना जाता है जो कि हमारे दैनिक जीवन में होते हैं। यह समय व्यापार के लिए अच्छा होता है। 
  • अग्नि पंचक: अग्नि पंचक का आरंभ किसी भी महीने के मंगलवार से होता है। इस समय को कानून से जुड़े मामलों के लिए शुभ माना जाता है।     
  • मृत्यु पंचक: शनिवार के दिन आरंभ होने वाले पंचक को मृत्यु पंचक के नाम से जाना जाता है और यह पंचक मृत्यु एवं दुर्घटना लेकर आता है।  
  • चोर पंचक: शुक्रवार को शुरू होने वाले पंचक को चोर पंचक कहते है। इस दौरान कुछ विशेष कार्यों को करने से धन-धान्य में कमी आती है। 

पंचक के दौरान क्या करें और क्या न करें?

पंचक के दौरान कुछ विशेष कार्यों को कर सकते हैं जबकि कुछ ख़ास कार्यों को करने की मनाही होती है इसलिए हमने आपके लिए उन कार्यों की सूची तैयार की है। 

क्या करें?

  • गृह प्रवेश समारोह, भाई दूज और रक्षाबंधन का पर्व किसी भी पंचक के दौरान मनाया जा सकता है। 

क्या न करें?

  • पंचक के दौरान विवाह, मुंडन और नामकरण संस्कार आदि समारोह को करना वर्जित माना गया है।  
  • पंचक काल में व्यापार के लिए पैसे उधार लेने या देने से बचना चाहिए। लेकिन अगर ऐसा करना जरूरी हो तो कार्य के आरंभ से पहले माता लक्ष्मी की पूजा करें। 
  • यदि पंचक के दौरान किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो परिवार के दूसरे सदस्यों की रक्षा के लिए दाह संस्कार के समय आटे, बेसन और कुश (घास) से 5 पुतले बनाकर मृतक के साथ उनका भी अंतिम संस्कार करना चाहिए। 
  • पंचक के दौरान अगर किसी व्यक्ति को दक्षिण दिशा में शनिवार के दिन यात्रा करनी हो, तो सर्वप्रथम हनुमान जी की पूजा करें। उन्हें प्रसाद के रूप में फलों का भोग लगाएं और इसके बाद ही अपनी यात्रा की शुरुआत करें। 

अब हम जानेंगे राशि अनुसार उन सरल उपायों के बारे में जिन्हें अपनाने से पंचक के बुरे प्रभावों से बचा जा सकता है।  

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पंचक के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए राशि अनुसार करें ये उपाय

मेष 

हनुमान जी की पूजा करें और पंचक के दौरान अपने दिन की शुरुआत करने से पूर्व बजरंगबली को चमेली का तेल और फूल अर्पित करें, विशेष रूप से जब आपको यात्रा पर जाना हो। 

वृषभ

गायत्री माता की पूजा करें और घर पर छोटा सा हवन करें। 

मिथुन

मजदूरों को मिठाई खिलाएं और जरूरतमंद लोगों को भोजन का दान करें। 

कर्क

वृद्धाश्रम में भोजन और कपड़ों का दान करें। साथ ही, भगवान शिव का पूजन करें और दूध का दान करें। 

सिंह 

घर पर घी का दीपक जलाएं और पंचक के दौरान दक्षिण दिशा में यात्रा से बचें। 

कन्या

स्वास्थ्य लाभ वाले पौधों को घर पर लगाएं और गायत्री मंत्र का जाप करें। 

तुला 

माता लक्ष्मी और देवी गायत्री की पूजा करें। उन्हें 5-5 लाल और सफ़ेद रंग के फूल अर्पित करें।  

वृश्चिक 

5 छोटे बच्चों को बूंदी या बेसन के लड्डू खिलाए और हनुमान चालीसा का पाठ करें। दूध मिश्रित जल चंद्र देव को अर्पित करें। 

धनु 

भगवान विष्णु की पूजा करें और विष्णु सहस्रनाम का जाप करें।  

मकर 

दिव्यांगों को कपड़े और भोजन का दान करें और 5 कन्याओं को भोजन कराएं। 

कुंभ 

भगवान शिव की आराधना करें और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।  

मीन 

पंचक के दौरान किसी भी तरह की नकारात्मकता से बचने के लिए माँ लक्ष्मी, देवी सरस्वती और मां पार्वती की पूजा करें। साथ ही, घर पर घी का दीपक जलाएं।   

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

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