हिंदू धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या के दिन का बेहद महत्व बताया गया है। जहां अमावस्या कृष्ण पक्ष का अंतिम दिन होता है, वहीं पूर्णिमा शुक्ल पक्ष का अंतिम दिन माना गया है। इन दोनों ही दिनों को लोग अपने-अपने तरीकों से मनाते हैं, क्योंकि जैसा हमने आपको पहले भी बताया इन दोनों ही दिनों का हिंदू धर्म में बेहद ही महत्व माना गया है। पूर्णिमा का मतलब होता है जिस दिन चंद्रमा का आकार पूरा होता है वहीं, जिस रात आसमान में चांद बिल्कुल भी ना दिखाई दे उसे अमावस्या कहते हैं। हर महीने की पूर्णिमा पर कोई ना कोई त्यौहार अवश्य होता है।
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साल में यूं तो कई पूर्णिमा तिथियाँ पड़ती हैं लेकिन इनमें से पौष पूर्णिमा और माघ पूर्णिमा का सबसे अधिक महत्व माना गया है। पौष पूर्णिमा और माघ पूर्णिमा का यह दिन विशेष रूप से उत्तर भारत में हिंदुओं के लिए बेहद खास दिन होता है।
वर्ष 2021 में कब है पौष पूर्णिमा
28 जनवरी, 2021 दिन गुरुवार
पौष पूर्णिमा मुहूर्त
जनवरी 28, 2021 को 01:18:48 से पूर्णिमा आरम्भ
जनवरी 29, 2021 को 00:47:17 पर पूर्णिमा समाप्त
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पौष पूर्णिमा का महत्व
पौष महीने के बाद माघ महीने की शुरुआत हो जाती है और माघ महीने में किए जाने वाले स्नान की शुरुआत भी पौष पूर्णिमा के दिन से ही हो जाती है। ऐसे में जो कोई भी इंसान मोक्ष की कामना रखते हैं उनके लिए पौष पूर्णिमा का यह दिन बेहद ही शुभ होता है। लोगों के बीच ऐसी मान्यता है कि, जो कोई भी व्यक्ति पौष पूर्णिमा के दिन विधि पूर्वक प्रात काल उठकर स्नान आदि करता है, उसे मोक्ष प्राप्त होता है। अर्थात उसे जीवन मृत्यु के चक्कर से छुटकारा मिल जाता है। इसके अलावा क्योंकि, माघ महीने को बेहद ही शुभ कहा जाता है और माघ महीने के प्रत्येक दिन को मंगलकारी कहा जाता है इसलिए पौष पूर्णिमा के दिन जो कोई भी कार्य शुरू किया जाए उसे बेहद ही फलदाई माना गया है।
इस दिन लोग स्नान आदि करके अपने सामर्थ्य अनुसार दान पुण्य भी करते हैं। इसके अलावा कहा जाता है कि, क्योंकि पौष का महीना सूर्य देव का महीना होता है और पूर्णिमा चंद्रमा की तिथि होती है, ऐसे में सूर्य और चंद्रमा का यह संगम इंसान की सभी मनोकामना को पूरा करता है और उसके जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करता है।
पौष पूर्णिमा व्रत और पूजा की विधि
पौष पूर्णिमा के दिन बहुत से लोग स्नान, दान, पूजा, व्रत आदि करते हैं। ऐसा करने से उन्हें शुभ फल की प्राप्ति होती है और मोक्ष प्राप्त होता है। इसके अलावा इस दिन सूर्य देव की आराधना का विशेष महत्व बताया गया है। आइए अब जानते हैं पौष पूर्णिमा की व्रत और पूजा विधि।
- पौष पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान से पहले व्रत का संकल्प लें।
- इसके बाद किसी पवित्र नदी या कुंड में स्नान करें और स्नान करने से पहले वरुण देवता को प्रणाम करें।
- स्नान के बाद सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करें।
- स्नान करने के बाद इस दिन भगवान मधुसूदन की पूजा करने का विधान बताया गया है। पूजा में उन्हें नैवेद्य अर्पित करें।
- इसके बाद किसी जरूरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराएं और उन्हें अपने सामर्थ्य अनुसार दान दक्षिणा दें।
- आप चाहे तो इस दिन के दान में तिल, गुड़, कंबल, और ऊनी वस्त्र दान कर सकते हैं।
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पौष पूर्णिमा के दिन करें माँ लक्ष्मी की भी पूजा
कहा जाता है कि, पूर्णिमा की रात को माँ लक्ष्मी साक्षात् पृथ्वी पर आती हैं और अपने भक्तजनों को सुख-समृद्धि और धन का आशीर्वाद देती हैं। ऐसे में पौष पूर्णिमा के दिन माँ लक्ष्मी की पूजा कर के आप उनकी भी कृपा हासिल कर सकते हैं।
- इस दिन की पूजा में भगवान गणेश और देवराज इंद्र के साथ-साथ माँ लक्ष्मी के समक्ष भी घी का दीपक प्रज्वलित करें।
- मान्यता है कि, माँ लक्ष्मी को खुशबूदार और सुगन्धित वस्तुएं बेहद प्रिय होती हैं। ऐसे में आप उन्हें कमल का फूल और गुलाब का इत्र आदि चढ़ाएं।
- सुगन्धित अगरबत्ती जलाएं।
- फिर माँ लक्ष्मी को प्रसाद के रूप में खीर चढ़ाएं और पूजा के बाद उसे प्रसाद रूप से ग्रहण करें।
रात को देवी लक्ष्मी के भाई चंद्रमा को अर्घ्य दें और इस मंत्र का जाप करें-
ज्योत्सनापते नमस्तुभ्यं नमस्ते ज्योतिषामपतेः नमस्ते रोहिणिकांतं अर्ध्यं मे प्रतिग्रह्यताम
ॐ सोमाय नम:
ॐ रोहिणिकांताय नम:
ॐ चन्द्रमसे नम:
क्षीरोदार्णव सम्भूतम अत्रिनेत्र समुद्भव ग्रहाणार्ध्यंग शशांकेमं रोहिण्यांसहितोमम्
ॐ सोमाय नम:
ॐ रोहिणिकांताय नम:
संभव न हो तो केवल ॐ सोमाय नमः: मंत्र का जाप करें। इसके अलावा इस दिन जगराता भी करें।
पौष पूर्णिमा के दिन अवश्य करें ये काम
- इस दिन सरसों के तेल या सुगंधित द्रव्य से स्नान अवश्य करें।
- लड्डू गोपाल की प्रतिमा या मूर्ति को शुद्ध देसी घी से स्नान कराएं।
- श्री हरि विष्णु, देवराज और बृहस्पति के मंत्रों का जाप करें।
पौष पूर्णिमा के दिन कहां करें स्नान
पौष पूर्णिमा के दिन वाराणसी के दशाश्वमेध घाट और प्रयाग के त्रिवेणी संगम पर डुबकी लगाना बेहद ही शुभ माना जाता है। प्रयाग में कल्पवास कर लोग माघ माह की पूर्णिमा तक स्नान करते हैं लेकिन जो लोग वाराणसी नहीं जा सकते वह इस दिन किसी भी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करते हुए प्रयागराज का ध्यान कर सकते हैं।
पौष पूर्णिमा पर होने वाले आयोजन
पौष पूर्णिमा के दिन विभिन्न तीर्थ स्थलों पर स्नान और धार्मिक आयोजन किए जाते हैं। इस दिन तीर्थराज प्रयाग में माघ मेले का आयोजन शुरू हो जाता है। इस धार्मिक उत्सव में स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। धार्मिक विद्वानों के अनुसार माघ माह के स्नान का संकल्प पौष पूर्णिमा पर ही कर लेना चाहिए। पौष पूर्णिमा के दिन ही शाकंभरी जयंती भी मनाई जाती है। इसके अलावा जैन धर्म के लोग पुष्याभिषेक यात्रा की शुरुआत पौष पूर्णिमा के दिन से ही करते हैं। इसके अलावा छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले आदिवासी इस दिन छेरता पर्व मनाते हैं।
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