शुभ योग में रखा जाएगा पापमोचनी एकादशी का व्रत, इन उपायों से मिलेगी दोगुना फल

एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको पापमोचनी एकादशी 2024 के बारे में बताएंगे और साथ ही इस बारे में भी चर्चा करेंगे कि इस दिन व्यक्ति को किस प्रकार के उपाय करने चाहिए ताकि आप इन उपायों को अपनाकर सभी पापों से मुक्ति पा सके। तो आइए बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि विस्तार से पापमोचनी एकादशी व्रत के बारे में।

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सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। इस विशेष दिन पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की उपासना का विधान है। शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन भगवान विष्णु की उपासना करने से सभी दुख दूर हो जाते हैं। इसी क्रम में चैत्र मास के कृष्णपक्ष में पड़ने वाली तिथि को पापमोचनी एकादशी कहते हैं। इस सभी एकादशियों में इसे सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। पापमोचनी एकादशी का अर्थ है पाप को नष्ट करने वाली एकादशी। इस दिन भगवान विष्णु की पूरी विधि-विधान से पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति घोर पापों के दोष से मुक्ति पा लेता है। पापमोचनी एकादशी व्रत को करने से भक्त तन और मन से शुद्ध हो जाता है। इस व्रत के दौरान कोई भी गलत कार्य करने से बचना चाहिए, इससे जीवन के सभी दुख दूर हो जाते हैं। 

ख़ास बात यह है कि इस बार पापमोचनी एकादशी के दिन बेहद शुभ योग का निर्माण हो रहा है। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते है पापमोचनी एकादशी व्रत के महत्व और इसके नियम के बारे में।

पापमोचनी एकादशी 2024: तिथि व समय

पापमोचनी एकादशी का व्रत शुक्रवार, 5 अप्रैल 2024 को रखा जाएगा।

एकादशी तिथि प्रारम्भ : 04 अप्रैल 2024 की शाम 04 बजकर 17 मिनट से

एकादशी तिथि समाप्त : 05 अप्रैल, 2024 की दोपहर 01 बजकर 31 मिनट तक

पापमोचनी एकादशी पारण मुहूर्त : 06 अप्रैल 2024 की सुबह 06 बजकर 05 मिनट से 08 बजकर 36 मिनट तक। 

अवधि : 2 घंटे 31 मिनट

पापमोचनी एकादशी पर शुभ योग

पापमोचनी एकादशी के दिन बेहद शुभ योग साध्य योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में विधि-विधान से पूजा करना बहुत अधिक शुभ माना जाता है। यदि आपको किसी से विद्या या कोई विधि सीखनी हो तो यह योग उसके लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इस योग में कार्य सीखने या करने में खूब मन लगता है और व्यक्ति को खूब सफलता मिलती है। किसी भी प्रकार का महान या कोई अन्य कार्य करना इस योग में शुभ फलदायी होता है।

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पापमोचनी एकादशी का महत्व

शास्त्रों के अनुसार, मनुष्य जाने-अनजाने में कुछ ऐसे गलत कार्य या पाप कर बैठता है, जिसके कारण उसे इस जीवन में व अगले जीवन में उसका दंड भोगना पड़ता है। ऐसे में, इन समस्त पापों से बचने के लिए पापमोचनी एकादशी का व्रत बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। पुराणों में इस बात का जिक्र करते हुए बताया गया है की एकादशी व्रत रखने से व्यक्ति के सभी कष्ट और दुख दूर हो जाते हैं और व्यक्ति को सहस्त्र गोदान यानी एक हजार गोदान के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। जिस तरह भगवान श्री राम पर रावण का वध करने के बाद ब्रह्म हत्या का दोष लग गया था और उन्होंने इस दोष की मुक्ति के लिए कपाल मोचन तीर्थ में स्नान और तप किया था। ठीक उसी प्रकार पापमोचनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने से व्यक्ति सभी प्रकार के पापों से मुक्ति पा लेता है।

पापमोचनी एकादशी पूजा विधि

पापमोचनी एकादशी के दिन विधि-विधान से पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है। इसकी पूजी विधि इस प्रकार है:

  • पापमोचनी एकादशी के दिन सूर्योदय में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि कर लें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें। फिर पूजा आरंभ करें।
  • फिर भगवान विष्णु को जल, पीला फूल, माला, पीला चंदन, अक्षत आदि चढ़ाएं। 
  • इसके बाद केला सहित अन्य भोग लगाएं और भोग में तुलसी जरूर चढ़ाएं क्योंकि तुलसी भगवान विष्णु को अति प्रिय है। 
  • इसके बाद घी का दीपक और धूप जला लें। फिर मंत्र के साथ एकादशी व्रत कथा पढ़ लें। कथा जरूर पढ़ें क्योंकि कथा के बिना व्रत अधूरा माना जाता है। 
  • व्रत के अगले दिन यानी द्वादशी के दिन पुन: पूजा करने के साथ ब्राह्मणों को दान देने के बाद पारण मुहूर्त पर व्रत तोड़े।

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पापमोचनी एकादशी व्रत नियम

पापों से मुक्ति प्राप्त करने के लिए साधक को पापमोचनी एकादशी के दिन निर्जला व्रत रखना चाहिए। यदि व्यक्ति किसी स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहा है तो वह पापमोचनी एकादशी का व्रत फलाहारी या जलीय रख सकता है। निर्जला उपवास रखने से पहले दशमी तिथि के दिन बिना प्याज-लहसुन वाला भोजन ग्रहण करना चाहिए और एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु की उपासना विधि-विधान से करनी चाहिए। शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि पापमोचनी एकादशी के दिन सोना नहीं चाहिए और पूरी रात जागरण कर भगवान विष्णु की उपासना करनी चाहिए। ऐसा करने से पिछले कई जन्मों के पापों से व्यक्ति को मुक्ति मिलती है।

पापमोचनी एकादशी के दिन इन बातों का रखें ध्यान

  • एकादशी व्रत के दिन अनाज का सेवन नहीं करना चाहिए। 
  • इस दिन फलाहार भोजन ही करना चाहिए जैसे- फल, दूध, सूखे मेवे आदि। 
  • इस दिन तामसिक भोजन और नशा करने वाले पदार्थों से दूर रहना चाहिए।
  • इस दौरान क्रोध, ईर्ष्या और नकारात्मक विचारों से खुद को दूर रखें और सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखें। 
  • इस दिन पूरी रात भजन-कीर्तन और ध्यान का अभ्यास करने से आत्मिक शांति मिलती है। इसके अलावा, असहायों की सहायता करें और दान-पुण्य के कार्य करें।

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पापमोचनी एकादशी की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार,  प्राचीन काल में चैत्ररथ नामक एक बहुत सुंदर जंगल था जिसमें च्यवन ऋषि के पुत्र मेधावी ऋषि तपस्या करते थे। इसी वन में देवराज इंद्र गंधर्व कन्याओं, अप्सराओं और देवताओं के साथ विचरण करते थे। मेधावी ऋषि शिव भक्त का तो वहीं अप्सराएं शिवद्रोही कामदेव का अनुसरण करती थीं। एक बार कामदेव ने मेधावी ऋषि की तपस्या भंग करने की योजना बनाई। इसके लिए उन्होंने मंजू घोषा नाम की अप्सरा को उनकी तपस्या भंग करने के लिए भेजा। मंजू ने अपने नृत्य, गान और सौंदर्य से मेधावी मुनि का ध्यान भंग कर दिया। वहीं मुनि मेधावी भी मंजू घोषा पर पूरी तरह मोहित हो गए। इसके बाद दोनों ने एक साथ कई वर्ष गुजार दिए। एक दिन जब मंजू घोषा ने वापस जाने के लिए अनुमति मांगी तो मेधावी ऋषि को अपनी भूल और तपस्या भंग होने का आत्मज्ञान हुआ और उन्होंने उसी वक्त क्रोधित होकर मंजू घोषा को पिशाचिनी होने का श्राप दे दिया। इसके बाद अप्सरा ने ऋषि से अपने द्वारा किए गए गलत कार्य के लिए माफी मांगी और श्राप से मुक्ति का उपाय पूछा। 

मंजू घोषा के बार- बार विनती करने पर मेधावी ऋषि ने उसे पापमोचनी एकादशी का व्रत करने को कहा और इस एकादशी के लाभ के बारे में उसे बताया। कहा कि इस व्रत को करने से तुम्हारे पापों का नाश हो जाएगा और तुम पूरी तरह पाप मुक्त हो जाओगी। मेधावी ऋषि ने कहा कि ये व्रत ही तुम्हारे पूर्व रूप को प्राप्त कराएगा। अप्सरा को मुक्ति का मार्ग बताकर मेधावी ऋषि अपने पिता महर्षि च्यवन के पास पहुंचे। श्राप की बात सुनकर च्यवन ऋषि ने कहा, पुत्र यह तुमने अच्छा नहीं किया, ऐसा कर तुमने भी पाप कमाया है इसलिए तुम भी पापमोचनी एकादशी का व्रत करो। ताकि तुम भी अपने द्वारा जाने अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति पा सको। इस प्रकार पापमोचनी एकादशी का व्रत करके अप्सरा मंजू घोषा ने श्राप से और मेधावी ऋषि ने पाप से मुक्ति पा ली। इसके बाद से इस व्रत का महत्व बहुत अधिक बढ़ गया।

पापमोचनी एकादशी के दिन करें ये ख़ास उपाय

पापमोचनी एकादशी के दिन कुछ ख़ास उपाय है जो हर किसी को जरूर अपनाने चाहिए। ऐसा करने से आप कई समस्याओं से निजात पा सकते हैं। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में:

आर्थिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए

एकादशी के दिन शाम के समय भगवान विष्णु के समक्ष घी का दीपक जलाएं। साथ ही, भगवान को बेसन के लड्डू तुलसी डालकर भोग लगाएं और भोग लगाने के कुछ देर बाद उन लड्डूओं को प्रसाद के रूप बांटे। ऐसा करने से आपको कभी भी आर्थिक तंगी से नहीं गुजरना पड़ेगा और न ही धन को लेकर कोई समस्या आएगी।

फंसा पैसा निकलवाने के लिए

पापमोचनी एकादशी के दिन एक गोमती चक्र लेकर उसे घर के आसपास किसी खाली जगह पर एक गड्ढे में खोदकर डाल दें। इस दौरान भगवान विष्णु का मान जपते रहें और प्रार्थना करें की आपका फंसा पैसा जल्द ही आ जाए।

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जीवनसाथी की लंबी उम्र के लिए

अपने पार्टनर की लंबी उम्र के लिए और अच्छे स्वास्थ्य के लिए एकादशी के दिन 5 सुहागिन महिलाओं को घर पर बुलाकर दूध की बनी खीर खिलाएं। ऐसा करने से आपके जीवनसाथी की सारी समस्या दूर हो जाएगी।

बच्चों की तरक्की के लिए

पापमोचनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करते समय अपने बच्चों को साथ बैठाएं और इस दिन से रोजाना 12 दिनों तक चंदन घिसकर उनके मस्तक पर लगाएं। ऐसा करने से आपके बच्चों का ध्यान पढ़ाई पर लगेगा भविष्य में आपके बच्चे की तरक्की सुनिश्चित होगी।

सुखी वैवाहिक जीवन के लिए

यदि आप अपने वैवाहिक जीवन को सुखद बनाना चाहते हैं और रिश्ते में बेहतर तालमेल स्थापित करना चाहते हैं तो एकादशी के दिन एक लोटे में जल डालकर, उसमें थोड़ी-सी पिसी हुई हल्दी मिलाएं और उसमें एक सिक्का डाल कर अपने ऊपर से सात बार वारकर बहते पानी में बहा दें। 

नए कार्य की शुरुआत के लिए

यदि आप किसी नए काम की शुरुआत करने जा रहे हैं, तो उसे शुरू करने से पहले गाय को गेहूं के आटे से बनी रोटी पर गुड़ रखकर खिलाएं। पापमोचनी एकादशी के दिन ऐसा करने से आपके काम की शुरुआत अच्छी होगी और साथ ही आने वाले समय में उसकी तरक्की भी सुनिश्चित होगी।

अच्छे स्वास्थ्य के लिए

अपने और अपने परिवार के अच्छे स्वास्थ्य और सुखी जीवन के लिए पापमोचनी एकादशी के दिन शाम के समय तुलसी के पौधे के नीचे गाय के घी का दीपक जलाएं और भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए तुलसी के पौधे की सात या 21 बार परिक्रमा करें।

अलग पहचान बनाने के लिए

दूसरों की भीड़ में अपनी एक अलग पहचान कायम करने के लिए और समाज में अपना मान-सम्मान बढ़ाने के लिए पापमोचनी एकादशी के दिन मंदिर में जाकर श्री विष्णु को अच्छी खुशबू वाला इत्र अर्पित करें। अर्पित करने के बाद भगवान के चरण स्पर्श करके उसी इत्र में से थोड़ा-सा इत्र खुद भी लगा लें।

नकारात्मक विचारों को दूर करने के लिए

यदि आप नकारात्मक विचारों को दूर करना चाहते हैं और सकारात्मक विचारों से घिरा रहना चाहते हैं तो पापमोचनी एकादशी के दिन भगवान नारायण को केसर मिले दूध का भोग लगाएं और शाम के समय मंदिर में घी का दीपक जलाकर श्री विष्णु की आरती करें।

कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए

पापमोचनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा के समय एक हल्दी की गांठ पूजा स्थल पर रख लें और अगले दिन जब भी अपने काम के लिए घर से निकले तो उस हल्दी की गांठ को पीले कपड़े में लपेटकर अपने पास रख लें। ऐसा करने से आपको हर कार्य में सफलता प्राप्त होगी।

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