ये है पंचमुखी हनुमान मंदिर जहाँ पाण्डवों ने ली थी शरण

हिन्दू सनातन परंपरा का इतिहास सबसे प्राचीन है। यहाँ सदियों से टिके रहने वाले आस्था के केन्द्र इस बात के साक्षी भी रहे हैं। इन्हीं सैकड़ों आस्था के केन्द्रों में हरियाणा के यमुना नगर में स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर भी आता है। हनुमान जी का यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है। इस मंदिर के प्रति लोगों की अगाध श्रद्धा है।

इसलिए यहाँ श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। यदि आप यहाँ शुक्ल पक्ष में भंडारा करने जाएंगे। तो आपको इसके लिए तकरीबन दो से ढ़ाई वर्षों तक का लंबा इंतज़ार करना पड़ता है। भगवान राम जी के भक्त हनुमान जी के मंदिरों में ख़ास पंचमुखी मंदिर यमुना नगर से क़रीब 15 किलोमीटर दूर स्थित है। 

मंदिर में स्थित हनुमान जी की प्रतिमा में हैं शंकर जी के पाँच मुख

मंदिर में हनुमान जी की पाँख मुख वाली मूर्ति स्थापित है। वैदिक शास्त्रों के अनुसार, अंजनी के लाल हनुमान जी स्वयं भगवान शिव के अवतार हैं। हनुमान जी की पाँच मुख वाली प्रतिमा में शंकर जी के पाँच मुख होते हैं। इन पाँच मुखों में तत्पुरुष, सद्योजात, वामदेव, अघोर व ईशान हैं। शास्त्रों में वर्णित है कि मार्गशीर्ष मास की कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को, पुष्य नक्षत्र में, सिंहलग्न तथा मंगल के दिन पंचमुखी हनुमानजी ने अवतार धारण किया। 

पांडवों ने ली थी यमुना नगर स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर में शरण

कहा जाता है कि इस मंदिर में महाभारत काल के समय पांडवों ने शरण ली थी। इसी दौरान इस मंदिर में पांडवों को हनुमान जी ने दर्शन दिये थे। यहाँ पवनपुत्र हनुमान जी के दर्शन पाकर पांडवों का जीवन धन्य हो गया था। उस काल खंड में यह क्षेत्र वीरान था और चारों तरफ़ जंगल ही जंगल था। वर्तमान में यह मंदिर पाँच एकड़ की भूमि में बना हुआ है। यहाँ मंदिर के अलावा जानकी कुंड भी है। इसके प्रति भी लोगों की अपार श्रद्धा है। मान्यता के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर से मांगी मुरादें पूरी होने पर लोग यहाँ प्रतिमाह शुक्ल पक्ष में भंडारा करवाते हैं। 

हनुमानजी के पंचमुख की आराधना से मिलते हैं पांच वरदान

यहाँ आने वाले हज़ारों श्रद्धालुओं का मानना है कि मंदिर में स्थित हनुमानजी के पंचमुखी विग्रह की आराधना से पांच प्रकार के वरदान प्राप्त होते हैं। नरसिंहमुख की सहायता से शत्रु पर विजय, गरुड़मुख की आराधना से सभी दोषों पर विजय, वराहमुख की सहायता से समस्त प्रकार की समृद्धि तथा हयग्रीवमुख की सहायता से ज्ञान की प्राप्ति होती है। 

जबकि हनुमानमुख से साधक को साहस एवं आत्मविश्वास की प्राप्ति होती है। यहाँ भूत-प्रेत और बुरी आत्माएँ भी दूर होती हैं। अगर आप हनुमान जी के भक्त हैं तो हमारी सलाह है आपको एकबार इस मंदिर के दर्शन करने अवश्य ही जाना चाहिए।

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