जैसा की आप सभी जानते हैं कि बीते 13 सितंबर से पितृपक्ष की शुरुआत हो चुकी है। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विशेषरूप से पितृपक्ष की शुरुआत भादो माह की पूर्णिमा तिथि से होती है और इसकी समाप्ति आश्विन माह की अमावस्या तिथि को होती है। पितृपक्ष की अमवस्या तिथि को सर्वपितृ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। आज हम आपको खासतौर से पितृपक्ष के दौरान पंचबलि कर्म और इस दौरान उन पांच जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ श्राद्ध का भोजन रखा जाना आवश्यक माना जाता है।
पंचबलि कर्म का महत्व
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि श्राद्धपक्ष के दौरान विशेष रूप से पितरों के लिए पंचबलि कर्म किया जाता है। इस क्रिया को ख़ासा महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इसमें पूर्वजों के लिए भोजन तैयार किये जाते हैं और उसे पांच ख़ास जगहों पर रखा जाता है। श्राद्ध के दौरान दो प्रमुख कर्म किये जाते हैं, एक में ब्रह्मणों को भोजन करवाया जाता है और दूसरा पंचबलि कर्म में विशेष रूप गाय, कुत्ता और कौवा सहित पांच विभिन्न जगहों पर पितरों के लिए श्राद्ध का भोजन रखना जाना आवश्यक माना जाता है।
निम्नलिखित पांच स्थानों पर श्राद्ध का भोजन रखना अनिवार्य माना जाता है।
प्रथम स्थान
बता दें कि श्राद्ध का भोजन मुख्य रूप से सबसे पहले घर के पश्चिम दिशा में रखनी चाहिए। पश्चिम दिशा में श्राद्ध का भोजन लेकर गाय को खिलाने का विधान है। मान्यता है कि पंचबलि कर्म के बाद पलाश या महुआ के पत्ते पर श्राद्ध का भोजन लेकर उसे घर से पश्चिम दिशा में ले जाकर गाय को जरूर खिलाएं।
दूसरा स्थान
श्राद्ध का भोजन रखने के लिए दूसरा स्थान है घर का द्वार। ऐसी मान्यता है कि घर के द्वार पर श्राद्ध का खाना एक पत्ते पर रखकर उसे कुत्तों को खिलाने से पितरों का विशेष आशीर्वाद मिलता है।
तीसरा स्थान
पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध क्रिया के बाद भोजन रखने के लिए तीसरा स्थान घर का छत माना जाता है। छत पर श्राद्ध का भोजन कौवों के लिए रखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि पितर किसी भी रूप में आपके घर आ सकते हैं। इसलिए पांच ऐसे स्थान निश्चित किये गया हैं जहाँ खाना रखना विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है।
चौथा स्थान
चौथा स्थान घर में मौजूद पूजा घर को माना जाता है। जहां कुलदेवता को श्राध्द का भोजन चढ़ाया जाता है और बाद में उस भोजन को भी घर के मुख्य द्वार पर रख दिया जाता है। चूँकि हिन्दू धर्म में पितरों की तुलना देवताओं से की गयी गई है ,इसलिए देवताओं को पंचबलि कर्म के दौरान शामिल किया जाता है।
पांचवां स्थान
पितृपक्ष के दौरान किये जाने वाले पंचबलि कर्म के दौरान श्राद्ध का भोजन रखने का पांचवां स्थान चींटी या अन्य जमीन में रहने वाले जीवों के बिल के पास रखा जाता है। इन जगहों पर मुख्य रूप से भोजन थोड़ी-थोड़ी मात्रा में रखी जाती है।
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पितृपक्ष के दौरान आप भी उपरोक्त जगहों पर पंचबलि कर्म के बाद श्राद्ध का भोजन जरूर रखें। इससे पितरों को तृप्ति मिलती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।