साल 2019 में 9 सितंबर को पदमा एकादशी का पर्व मानाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पदमा एकादशी कहा जाता है। इस दिन हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लोग भगवान की पूजा-अर्चना और व्रत रखते हैं। ऐसा माना जाता है कि माता यशोदा द्वारा इस दिन पहली बार भगवान श्री कृष्ण के कपड़े धोए गए थे। वहीं एक मान्यता यह भी है कि पदमा एकादशी के दिन ही बाल कृष्ण की पालना रस्म हुई थी। इसलिये इस दिन को जलझूलनी एकादशी भी कहा जाता है। चूंकि इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार को भी पूजा जाता है और भगवान कृष्ण को भी पूजा जाता है इसलिये हिंदुओं द्वारा इस दिन को धार्मिक रुप से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
इस दिन निकाली जाती है भगवान कृष्ण की शोभा यात्रा
पदमा एकादशी के दिन लोगों द्वारा व्रत तो लिया ही जाता है साथ ही साथ इस दिन भगवान कृष्ण को पालकी में बिठाकर शोभा यात्राएं भी कई जगह निकाली जाती हैं। भगवान कृष्ण के भक्त इस दिन मंदिरों में कीर्तन भजन करते हैं और भगवान का आशीर्वाद पाने के लिये जरुरतमंदों की सहायता करते हैं। व्रत रखने वालों द्वारा इस दिन विष्णु भगवान की पूजा भी की जाती है।
कैसे करें इस दिन पूजा
इस दिन पूजा करते समय पुष्प, दीप, धूप और नैवेद्य पूजा स्थल में होने चाहिये। इसके बाद सात कुंभ यानि घड़ों में सात प्रकार के अनाज रखे जाने चाहिये। इन सात प्रकार के अनाजों में मूंग, चना, चावल, मसूर, गेहूं और उड़द हैं। एकादशी के दिन से पहले यानि दशमी के दिन इन अनाजों में से किसी का भी सेवन एकादशी के दिन व्रत रखने वाले को नहीं करना चाहिये। अगर आप इनमें से किसी भी अनाज का सेवन दशमी के दिन करते हैं तो आपको शुभ फलों की प्राप्ति में बाधा आ सकती है। पूरे दिन व्रत रखने के बाद भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण के बाल अवतार की पूजा रात को की जानी चाहिये, एकादशी की रात को जो जातक जागरण करते हैं और भगवान का भजन कीर्तन करते हैं उन्हें अच्छे फलों की प्राप्ति अवश्य होती है।
एकादशी को व्रत रखने के बाद द्वादशी तिथि को सुबह अन्न से भरे कुंभ किसी ब्राह्मण को दान दिये जाने चाहिये। शुक्ल पक्ष की एकादशी को भारत के अलग-अलग राज्य़ों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है कहीं इसे जलझूलनी एकादशी कहा जाता है, कहीं पदमा एकादशी और कहीं डोल ग्यारस एकादशी। डोल ग्यारस एकादशी मुख्य रुप से राजस्थान में मनायी जाती है और इस दिन भक्तों द्वारा माता गौरी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है।