ओणम पर्व आज, राजा महाबलि से जुड़ा है इस पर्व का संबंध

आज केरल में बड़ी धूमधाम के साथ ओणम का पर्व मनाया जा रहा है। और मनाए भी क्यों न, क्योंकि ओणम केरल राज्य का प्रमुख त्यौहार है। आज हम इस ख़बर के माध्यम से भारत के दक्षिणी राज्य में व्यापक तरीके से मनाए जाने वाले त्यौहार के बारे में जानेंगे। यह त्यौहार दस दिनों तक चलता है और इस दस दिवसीय पर्व में दसवें दिन को ओणम या फिर थिरुवोणम कहा जाता है। इस मौके पर केरल राज्य में चार दिनों का शासकीय अवकाश होता है। मलयालम भाषा में श्रावण नक्षत्र को थिरुवोणम कहते हैं। मलयालम कैलेंडर के अनुसार, चिंगम माह में श्रावण/थिरुवोणम नक्षत्र के प्रबल होने पर थिरु ओणम की पूजा की जाती है।  

ऐसे जुड़ा है राजा महाबलि से ओणम पर्व

ऐसा कहा जाता है कि पौराणिक काल में राजा महाबलि नाम के एक शक्तिशाली राजा हुए। उन्होंने बल से तीनों लोकों (भू, देव और पाताल) पर अपना आधिपत्य जमा लिया। राजा महाबलि राक्षस योनि में पैदा हुए थे लेकिन वे उदार चरित्र और दानवीर भी थे इसी वजह से राज्य की प्रजा उन्हें बहुत प्यार करती थी, परंतु देवता उनसे ख़ुश नहीं थे, क्योंकि महाबलि ने उन्हें युद्ध में परास्त करने के बाद देवलोक पर शासन किया था। युद्ध में परास्त सभी देवता त्राहि माम करते हुए भगवान विष्णु के द्वार पर पहुँचे और उनसे अपना साम्राज्य वापस दिलाने की प्रार्थना की। इस पर विष्णुजी ने देवताओं की मदद के लिए वामन अवतार का रूप धारण किया, जिसमें वे एक बौने ब्राह्मण बने।

भगवान विष्णु जी यह बात भलिभांति जानते थे कि महाबलि ब्राह्मणों को कभी अपने द्वार से ख़ाली हाथ नहीं लौटने देगा। इसलिए वे वामन का रुप धारण कर महाबलि के दरबार पर पहुँचे। राजा बलि ने जैसे ही ब्राह्मण यानि भगवान विष्णु से उनकी इच्छा पूछी तभी भगवान विष्णु ने उनसे केवल तीन क़दम ज़मीन मांगी। यह सुनते ही राजा महाबलि ने हाँ कह दिया और तभी भगवान विष्णु अपने असली रूप में आ गए। उन्होंने पहला कद़म देवलोक में रखा जबकि दूसरा भू लोक में और फिर तीसरे क़दम के लिए कोई जगह नहीं बची तो राजा ने अपना सिर उनके आगे कर दिया।

विष्णुजी जी ने उनके सिर पर पैर रखा और इस तरह महाबलि पाताल लोक पहुँच गए। राजा ने यह सब बड़े ही विनम्र भाव से किया। यह देखकर भगवान विष्णु उनसे प्रसन्न हो गए और उनसे वरदान मांगने के लिए कहा, तब महाबलि ने कहा कि, हे प्रभु! मेरी आपसे प्रार्थना है कि मुझे साल में एक बार लोगों से मिलने का मौक़ा दिया जाए। भगवान ने उनकी इस इच्छा को स्वीकार कर लिया, इसलिए थिरुवोणम के दिन राजा महाबलि लोगों से मिलने आते हैं। तभी से केरल में यह त्यौहार सांस्कृतिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि धार्मिक दृष्टि से बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है।

राजा के आगमन की ख़ुशी में होता है विशाल भोज का आयोजन

ओणम के मौके पर राज्य में राजा महाबलि के स्वागत के लिए जोश और उत्साह के साथ लोग तैयारी करते हैं। घर की सजावट की जाती है। लोग अपने-अपने आंगन या तरह-तरह की आकृतियाँ और रंगोली बनाते हैं। साथ ही इस मौके पर महाबलि के आगमन पर विशाल भोज का आयोजन किया जाता है। इस भोजन में राजा के लिए ना ना प्रकार के स्वादिष्ट पकवान को पकाया जाता है। लोगों का ऐसा मानना है कि राजा उनके इस आयोजन से प्रसन्न होंगे और उन्हें सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करेंगे।

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