निर्जला एकादशी 2021: जानें पूजा विधि और इस व्रत में पानी नहीं पीने का कारण!

हिन्दू पंचांग के अनुसार एक साल में कुल चौबीस एकादशी पड़ती हैं, जिनमें निर्जला एकादशी को सबसे श्रेष्ठ माना गया है। कोरोना काल में यह एकादशी का व्रत व्यक्ति को हर तरह के राजसी सुख प्रदान करेगा।

मेरी राशि क्या है ? क्लिक करें और अभी जानें

This image has an empty alt attribute; its file name is vedic-hi-1.gif

इस साल निर्जला एकादशी का व्रत 21 जून, सोमवार को रखा जाएगा यह व्रत बहुत ही कठिन होता है, क्योंकि इस व्रत में अनाज तो क्या पानी भी ग्रहण नहीं करते हैं, इसलिए इसे निर्जला एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-आराधना का विशेष महत्व होता है।  

क्या आपकी कुंडली में हैं शुभ योग? जानने के लिए अभी खरीदें एस्ट्रोसेज बृहत् कुंडली

माना जाता है कि जो भी श्रद्धालु साल की सभी 24 एकादशी का व्रत करने में सक्षम नहीं होता है, उसे निर्जला एकादशी का व्रत ज़रूर करना चाहिए। क्योंकि इस एक एकादशी का व्रत रखने से दूसरी सभी एकादशियों के व्रत का लाभ मिल जाता है। यह व्रत करने से व्यक्ति दीर्घायु होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। कोरोना काल में हर व्यक्ति यही चाहता है कि उसकी सेहत सही रहे, तो चलिए इस लेख के माध्यम से आपको बताते हैं कि कैसे इस पुण्यफलदायी व्रत को कर के आप बेहतर स्वास्थ्य और लंबी आयु पा सकते हैं।  

जीवन में चल रही है समस्या! समाधान जानने के लिए प्रश्न पूछे

निर्जला एकादशी शुभ मुहूर्त

   निर्जला एकादशी पारणा मुहूर्त

पारणा मुहूर्त 

05:23:49 से 08:11:28 तक, 22 जून, 2021    
अवधि 

2 घंटे 47 मिनट

महाभारत काल में भी मिलता है इस एकादशी का उल्लेख

निर्जला एकादशी के व्रत का उल्लेख हमें महाभारत काल में भी मिलता है। पौराणिक कथा के अनुसार पांडव पुत्र भीम अपने दूसरे भाइयों और पत्नी द्रौपदी की तरह हर महीने आने वाली एकादशी का व्रत नहीं रख पाते थे। अपने विशाल शरीर और खाने-पीने के शौक़ीन होने के चलते ऐसा कर पाना उनके लिए संभव नहीं था। भीम को ऐसा लगता था कि वह एकादशी व्रत न रखकर भगवान विष्णु का अनादर कर रहे हैं। अपनी इस समस्या का समाधान पाने के लिए भीम महर्षि वेदव्यास के पास गए। तब महर्षि व्यास ने भीम को निर्जला एकादशी व्रत का महत्व बताया और उसे करने कि सलाह दी। तभी से निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाने लगा।   

 करियर को लेकर हैं परेशान! तो अभी आर्डर करें कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट

आख़िर क्यों इस व्रत में नहीं पीते हैं पानी! 

निर्जला एकादशी व्रत ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आता है। ज्येष्ठ के महीने में गर्मी अधिक होती है और दिन भी बड़े होते हैं, इसलिए इन समय प्यास अधिक लगती है। ऐसे में यह व्रत रखना बहुत कठिन हो जाता है और यह व्यक्ति के संयम को भी दर्शाता है। इस व्रत में एकादशी के सूर्योदय से लेकर द्वादशी के सूर्योदय तक पानी नहीं पिया जाता है। ऐसे में इतना कठोर व्रत रखना ईश्वर के प्रति कड़ी साधना का काम है। हालाँकि इस साल जो स्थिति अभी चल रही है, उसे देखते हुए आपको पहले अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए। यह व्रत बेहद कठिन होता है और इसमें पानी नहीं पीते, जबकि बढ़ती गर्मी में और इस कोरोना के समय में अपनी इम्युनिटी को ठीक रखने के लिए आपके शरीर को पानी की बेहद आवश्यकता है। इसीलिए सेहत को प्राथमिकता दें। 

जानें अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता – हेल्थ इंडेक्स कैलकुलेटर  

निर्जला एकादशी व्रत पूजा विधि

निर्जला एकादशी व्रत की विधि बताने से पहले आपको बता दें कि इस व्रत में एकादशी तिथि के सूर्योदय से लेकर अगले दिन यानि द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक जल और भोजन ग्रहण नहीं किया जाता है। निर्जला एकादशी के दिन की पूजा विधि इस प्रकार है:-

  • एकादशी के दिन प्रात:काल स्नान आदि से निर्वृत हो जाए और साफ़ वस्त्र धारण कर लें। 
  • इसके बाद सबसे पहले भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करें और उन्हें पीले फल, पीले फूल, पीली मिठाई चढ़ाएं। 
  • अब भगवान का ध्यान करते हुए “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें।
  • इस दिन सच्चे मन से कथा सुनना और भगवान का कीर्तन करें। बढ़ती महामारी को देखते हुए इस समय जितना हो सके सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें। 
  • इस व्रत का विधान दान, पुण्य आदि कर पूर्ण होता है। 
  • इस व्रत को रखने से लंबी उम्र और बेहतर स्वास्थ्य मिलने के साथ-साथ सभी पापों का नाश होता है।

सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर

आशा करते हैं निर्जला एकादशी पर हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आयी होगी।

एस्ट्रोसेज से जुड़े रहने के लिए आप सभी का धन्यवाद ! 

Dharma

बजरंग बाण: पाठ करने के नियम, महत्वपूर्ण तथ्य और लाभ

बजरंग बाण की हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है। हनुमान जी को एक ऐसे देवता के रूप में ...

51 शक्तिपीठ जो माँ सती के शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों के हैं प्रतीक

भारतीय उप महाद्वीप में माँ सती के 51 शक्तिपीठ हैं। ये शक्तिपीठ माँ के भिन्न-भिन्न अंगों और उनके ...

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotram) से पाएँ दुर्गा जी की कृपा

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक ऐसा दुर्लभ उपाय है जिसके पाठ के द्वारा कोई भी व्यक्ति पराम्बा देवी भगवती ...

12 ज्योतिर्लिंग: शिव को समर्पित हिन्दू आस्था के प्रमुख धार्मिक केन्द्र

12 ज्योतिर्लिंग, हिन्दू आस्था के बड़े केन्द्र हैं, जो समूचे भारत में फैले हुए हैं। जहाँ उत्तर में ...

दुर्गा देवी की स्तुति से मिटते हैं सारे कष्ट और मिलता है माँ भगवती का आशीर्वाद

दुर्गा स्तुति, माँ दुर्गा की आराधना के लिए की जाती है। हिन्दू धर्म में दुर्गा जी की पूजा ...

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा.