हिन्दू पंचांग के अनुसार एक साल में कुल चौबीस एकादशी पड़ती हैं, जिनमें निर्जला एकादशी को सबसे श्रेष्ठ माना गया है। कोरोना काल में यह एकादशी का व्रत व्यक्ति को हर तरह के राजसी सुख प्रदान करेगा।
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इस साल निर्जला एकादशी का व्रत 21 जून, सोमवार को रखा जाएगा। यह व्रत बहुत ही कठिन होता है, क्योंकि इस व्रत में अनाज तो क्या पानी भी ग्रहण नहीं करते हैं, इसलिए इसे निर्जला एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-आराधना का विशेष महत्व होता है।
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माना जाता है कि जो भी श्रद्धालु साल की सभी 24 एकादशी का व्रत करने में सक्षम नहीं होता है, उसे निर्जला एकादशी का व्रत ज़रूर करना चाहिए। क्योंकि इस एक एकादशी का व्रत रखने से दूसरी सभी एकादशियों के व्रत का लाभ मिल जाता है। यह व्रत करने से व्यक्ति दीर्घायु होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। कोरोना काल में हर व्यक्ति यही चाहता है कि उसकी सेहत सही रहे, तो चलिए इस लेख के माध्यम से आपको बताते हैं कि कैसे इस पुण्यफलदायी व्रत को कर के आप बेहतर स्वास्थ्य और लंबी आयु पा सकते हैं।
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निर्जला एकादशी शुभ मुहूर्त
निर्जला एकादशी पारणा मुहूर्त |
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पारणा मुहूर्त |
05:23:49 से 08:11:28 तक, 22 जून, 2021 |
अवधि |
2 घंटे 47 मिनट |
महाभारत काल में भी मिलता है इस एकादशी का उल्लेख
निर्जला एकादशी के व्रत का उल्लेख हमें महाभारत काल में भी मिलता है। पौराणिक कथा के अनुसार पांडव पुत्र भीम अपने दूसरे भाइयों और पत्नी द्रौपदी की तरह हर महीने आने वाली एकादशी का व्रत नहीं रख पाते थे। अपने विशाल शरीर और खाने-पीने के शौक़ीन होने के चलते ऐसा कर पाना उनके लिए संभव नहीं था। भीम को ऐसा लगता था कि वह एकादशी व्रत न रखकर भगवान विष्णु का अनादर कर रहे हैं। अपनी इस समस्या का समाधान पाने के लिए भीम महर्षि वेदव्यास के पास गए। तब महर्षि व्यास ने भीम को निर्जला एकादशी व्रत का महत्व बताया और उसे करने कि सलाह दी। तभी से निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाने लगा।
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आख़िर क्यों इस व्रत में नहीं पीते हैं पानी!
निर्जला एकादशी व्रत ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आता है। ज्येष्ठ के महीने में गर्मी अधिक होती है और दिन भी बड़े होते हैं, इसलिए इन समय प्यास अधिक लगती है। ऐसे में यह व्रत रखना बहुत कठिन हो जाता है और यह व्यक्ति के संयम को भी दर्शाता है। इस व्रत में एकादशी के सूर्योदय से लेकर द्वादशी के सूर्योदय तक पानी नहीं पिया जाता है। ऐसे में इतना कठोर व्रत रखना ईश्वर के प्रति कड़ी साधना का काम है। हालाँकि इस साल जो स्थिति अभी चल रही है, उसे देखते हुए आपको पहले अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए। यह व्रत बेहद कठिन होता है और इसमें पानी नहीं पीते, जबकि बढ़ती गर्मी में और इस कोरोना के समय में अपनी इम्युनिटी को ठीक रखने के लिए आपके शरीर को पानी की बेहद आवश्यकता है। इसीलिए सेहत को प्राथमिकता दें।
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निर्जला एकादशी व्रत पूजा विधि
निर्जला एकादशी व्रत की विधि बताने से पहले आपको बता दें कि इस व्रत में एकादशी तिथि के सूर्योदय से लेकर अगले दिन यानि द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक जल और भोजन ग्रहण नहीं किया जाता है। निर्जला एकादशी के दिन की पूजा विधि इस प्रकार है:-
- एकादशी के दिन प्रात:काल स्नान आदि से निर्वृत हो जाए और साफ़ वस्त्र धारण कर लें।
- इसके बाद सबसे पहले भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करें और उन्हें पीले फल, पीले फूल, पीली मिठाई चढ़ाएं।
- अब भगवान का ध्यान करते हुए “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें।
- इस दिन सच्चे मन से कथा सुनना और भगवान का कीर्तन करें। बढ़ती महामारी को देखते हुए इस समय जितना हो सके सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें।
- इस व्रत का विधान दान, पुण्य आदि कर पूर्ण होता है।
- इस व्रत को रखने से लंबी उम्र और बेहतर स्वास्थ्य मिलने के साथ-साथ सभी पापों का नाश होता है।
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आशा करते हैं निर्जला एकादशी पर हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आयी होगी।
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