चैत्र नवरात्रि 2021: जानिए माता के नौ रूपों का स्वरूप और उनकी सवारी

नवरात्रि के शुरू होते ही माता रानी के भक्त तन, मन और धन से माता की सेवा में जुट जाते हैं। उनकी पूरी कोशिश होती है कि इस पावन अवसर पर हर संभव तरीके से माता को प्रसन्न किया जा सके और वहीं हमारी कोशिश यह रहती है कि आप तक हर वह जानकारी पहुंचाना जो किसी भी तरह से आपकी आस्था या आपके आराध्य से जुड़ा हो। इसी कोशिश में आज हम इस लेख में आपको माता के नौ रूपों और उनकी सवारी की जानकारी देंगे क्योंकि माता के साथ-साथ माता की सवारी की भी पूजा होती है।

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माँ शैलपुत्री

माता शैलपुत्री को पर्वत की पुत्री माना जाता है। इसी वजह से इनका नाम शैलपुत्री है। माँ शैलपुत्री के माथे पर अर्धचन्द्र सुशोभित है। माँ शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल है। माता के इस रूप की सवारी नंदी बैल है।

माँ ब्रह्मचारिणी

माता ब्रह्मचारिणी सफ़ेद वस्त्र धारण किए हुए रहती हैं। माता ब्रह्मचारिणी को माता पार्वती का अविवाहित रूप माना गया है। माता के दायें हाथ में जप माला है और बायें हाथ में कमंडल है। माता ब्रह्मचारिणी की कोई भी सवारी नहीं है।

माँ चंद्रघंटा

माता चंद्रघंटा को माता पार्वती का रौद्र रूप माना गया है। माता चंद्रघंटा की दस भुजाएं हैं। जिसमें से बाएँ हिस्से की चार भुजाओं में त्रिशूल, गदा, तलवार और कमंडल है जबकि पांचवा हाथ आशीर्वाद देने की मुद्रा में है। वहीं दाहिने हिस्से के चार हाथों में कमल, तीर, धनुष और जप माला है जबकि पांचवा हाथ अभय मुद्रा में दिखाई देता है। माँ चंद्रघंटा शेरनी की सवारी करती हैं।

माँ कुष्मांडा

माँ कुष्मांडा को ही समस्त ब्रह्मांड की रचना करने वाली देवी का रूप माना जाता है। इन्होंने ही त्रिदेवों की रचना की थी। माँ कुष्मांडा की आठ भुजाएं हैं। माता की इन आठ भुजाओं में चक्र, गदा, धनुष, तीर, अमृत का कलश, कमण्डल और कमल सुशोभित है। माँ कुष्मांडा भी शेरनी की सवारी करती हैं।

माँ स्कंदमाता 

माँ स्कंदमाता ममता का प्रतीक हैं और बुध ग्रह का नियंत्रण करती हैं। माँ स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं। जिनमें से माता के दो हाथों में कमल का पुष्प है। एक हाथ अभय मुद्रा में है। जबकि एक और हाथ स्कन्द यानी कि भगवान कार्तिकेय/मुरुगन को गोद में लिए हुआ है। माँ स्कंदमाता शेर की सवारी करती हैं।

माँ कात्यायनी

माता कात्यायनी को युद्ध की देवी माना जाता है। माँ लाल वस्त्र धारण किए रहती हैं और इनकी चार भुजाएं हैं। माता के बाएं दो हाथ में कमल और तलवार मौजूद है जबकि दायें हाथ में से एक हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में है जबकि दूसरा हाथ अभय मुद्रा में है। माँ कात्यायनी भी शेर की सवारी करती हैं।

माँ कालरात्रि

माँ कालरात्रि श्याम वर्ण की हैं। माता की चार भुजाएं हैं। इन चार भुजाओं में से दायें हिस्से के दो हाथ अभय मुद्रा और आशीर्वाद देने की मुद्रा में हैं जबकि बाएं हिस्से के दोनों हाथों में खड़ग और तलवार मौजूद है। माता कालरात्रि गधे की सवारी करती हैं।

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माँ महागौरी

माँ महागौरी के गौर वर्ण होने की वजह से ही उन्हें महागौरी कहा गया है। माता महागौरी की चार भुजाएं हैं जिनमें से दाहिने हाथ की एक भुजा में त्रिशूल और के भुजा अभय मुद्रा में है। जबकि बाएं हिस्से की एक भुजा में डमरू और दूसरा हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में है। माँ महागौरी की सवारी बैल है।

माँ सिद्धिदात्री

माँ सिद्धिदात्री को ज्ञान देने वाली देवी माना जाता है। माता की चार भुजाएं हैं। बाएं हाथ की एक भुजा में शंख और एक हाथ में कमल का पुष्प है जबकि दाहिने हाथ की एक भुजा में गदा और दूसरे दाहिने हाथ में चक्र है। माँ सिद्धिदात्री सिंह यानी कि शेर की सवारी करती हैं।

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