नीच भंग राजयोग दिलाए अपार सफलता!

नीच भंग राज योग ज्योतिष के अनुसार एक ऐसा प्रबल राजयोग है जो यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में उपस्थित हो तो उसे मुश्किल से मुश्किल परिस्थिति से निकालकर राजा के समान अतुलनीय धनसंपदा देने में सक्षम होता है। वर्तमान समय में नीच भंग राजयोग काफी प्रभावित करने वाला माना जाता है और इसका प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।

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अक्सर ऐसा होता है कि जिस व्यक्ति की कुंडली में नीच राशि में कोई ग्रह विद्यमान हो तो उसे बुरा फल देने वाला ग्रह मान लिया जाता है, जबकि इतना जल्दबाजी करना उचित नहीं होता बल्कि पूरी कुंडली का विश्लेषण करके कई बार यह स्थिति जानी जा सकती है कि उस कुंडली में वह ग्रह नीच अवस्था के फल दे ही नहीं रहा अपितु राजयोग का निर्माण कर रहा है। ऐसा उसी स्थिति में सम्भव हो सकता है, जब उस ग्रह का प्रभाव  नीच भंग राजयोग की स्थिति में परिवर्तित हो चुका हो।

नीच भंग राजयोग क्या है

नीच भंग राजयोग वैदिक ज्योतिष के अनुसार एक प्रबल राजयोग है जो व्यक्ति को सक्षम और समर्थ बनाता है तथा अपने कर्मों के द्वारा व्यक्ति जीवन में सभी प्रकार की चुनौतियों को पीछे छोड़कर जीवन में सफलता के मार्ग पर अग्रसर होता है। जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि नीच भंग राजयोग के लिए कुंडली में किसी ग्रह का नीच होना पहली अनिवार्य शर्त है। 

नीचस्थितो जन्मनि यो ग्रहः स्यात्तद्राशिनाथोऽपि तदुच्चनाथः।

स चन्द्रलग्नाद्यदि केन्द्रवर्ती राजा भवेद्धार्मिकचकर्वर्ती ।।२६।।

नीच भंग राजयोग तब बनता ,है जब कुंडली में कोई नीच ग्रह इस प्रकार विराजमान हो कि उसकी नीच अवस्था समाप्त अर्थात् भंग हो जाए और वह प्रबल रूप से राजयोग कारक ग्रह बन जाए तो वह नीच भंग राजयोग कहलाने लगता है।

प्रत्येक ग्रह की कुछ अवस्थाएं होती हैं, इसलिए नीच भंग राज योग को समझने से पूर्व हमें समझ लेना आवश्यक होता है कि कोई ग्रह नीच अवस्था का कब होता है। ज्योतिष के अनुसार प्रत्येक ग्रह की अवस्थाएं होती हैं जिनमें वह उच्च राशि में, मूल त्रिकोण राशि में, स्वराशि में, मित्र राशि में, सम राशि में, शत्रु राशि में और नीच राशि में स्थित होता है। प्रत्येक ग्रह के लिए यह राशियां अलग-अलग होती हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार कोई भी ग्रह उच्च राशि में स्थित होने पर बहुत शक्तिशाली होता है, मूल त्रिकोण राशि में उसके उससे थोड़ा कम शक्तिशाली होता है, अपनी राशि में उससे कम शक्तिशाली होता है और इस प्रकार इसी क्रम में नीच राशि में आकर वह कमजोर हो जाता है और उसके सुफल की जगह कुफल प्रदान करने की संभावना बढ़ जाती है। 

उच्च राशि का तात्पर्य यह होता है कि वह ग्रह उच्च बिंदु पर स्थित है जहां से उसका प्रभाव मानव जीवन पर सर्वाधिक रूप से पड़ता है और नीच राशि का तात्पर्य यह है कि वह बिंदु जहां से उस ग्रह का मानव जीवन पर सबसे कम प्रभाव पड़ता है। इस प्रकार एक ग्रह एक राशि में जितने भोगांश पर परम उच्च अवस्था में होता है, उससे ठीक सप्तम भाव की राशि में उतने ही भोगांश पर स्थित होने पर वह अपनी परम नीच अवस्था में माना जाता है।

ग्रहों का उच्च एवं नीच राशि क्रम समझने के लिये आप निम्नलिखित तालिका का अध्ययन कर सकते हैं:

ग्रह उच्च राशि नीच राशि
सूर्य मेष तुला
चन्द्रमा वृषभ वृश्चिक
मंगल मकर कर्क
बुध कन्या मीन
बृहस्पति कर्क मकर
शुक्र मीन कन्या
शनि तुला मेष

इस प्रकार उपरोक्त तालिका के अनुसार यह सरलता से समझा जा सकता है कि कोई ग्रह किस राशि में उच्च का और किस राशि में नीच अवस्था में होगा। उदाहरण के लिए यदि सूर्य मेष राशि में उच्च अवस्था में माना जाता है तो उससे ठीक सप्तम राशि अर्थात् तुला राशि में वह नीच अवस्था में माना जाता है। इसी प्रकार अन्य ग्रह भी एक विशेष राशि में उच्च अवस्था में और एक अन्य विशेष राशि में नीच अवस्था में होते हैं। नीच भंग राजयोग के लिए किसी ग्रह का नीच राशि में स्थित होना परम आवश्यक होता है क्योंकि कोई ग्रह जब नीच अवस्था में होगा तभी उसका भंग होना संभव हो सकता है।

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कैसे बनता है नीच भंग राजयोग

प्रत्येक राज योग के निर्मित होने की कुछ विशेष शर्तें होती हैं जैसा कि ऊपर बताया गया है कि नीच भंग राजयोग की पहली शर्त यह होती है कि कोई ग्रह नीच राशि में स्थित होना चाहिए अर्थात् ग्रह जब नीच राशि में होगा, तभी हम इस राज योग के बारे में विचार कर सकते हैं। लेकिन किसी ग्रह का नीच राशि में होना सदैव भंग नहीं हो सकता, इसलिए नीच भंग होने के लिए कुछ आवश्यक शर्तों का होना भी जरूरी है, जिनकी उपस्थिति किसी भी ग्रह की नीच अवस्था को समाप्त या निष्फल कर देती है और वह ग्रह नीच स्थिति से बाहर निकलकर नीच भंग राजयोग के परिणाम देने लगता है। ये विशेष नियम जिनमें नीच भंग राजयोग का निर्माण होता है, आप निम्नलिखित विवरण के आधार पर आसानी से समझ सकते हैं:

  • नीच भंग राजयोग के लिए एक नियम यह है कि यदि किसी जन्म कुंडली में कोई ग्रह अपनी नीच राशि में स्थित है और उस राशि का स्वामी यदि चंद्रमा द्वारा अधिष्ठित राशि से केंद्र भाव में स्थित हो तो नीच भंग राजयोग का निर्माण होता है। अर्थात् वह ग्रह नीच अवस्था से बाहर निकल जाता है और अच्छे परिणाम देने लग जाता है।
  • एक अन्य नियम के अनुसार जब कोई ग्रह कुंडली में नीच राशि में स्थित हो तो उस नीच राशि का उच्च नाथ (जो ग्रह उच्च राशि में उच्च स्थिति में माना जाता हो) चंद्रमा से केंद्र भाव की राशि में स्थित हो तो नीच भंग राजयोग का निर्माण होता है।
  • एक अन्य नियम के अनुसार यदि कोई ग्रह नीच राशि में स्थित है लेकिन उस राशि का स्वामी ग्रह, जिसमें वह ग्रह नीच अवस्था में है, कुंडली के लग्न से केंद्र भाव में अर्थात् प्रथम, चतुर्थ, सप्तम या दशम भाव में विराजमान हो तो नीच भंग राजयोग बन जाता है।
  • एक नियम यह भी कहता है कि ग्रह जिस राशि में नीच अवस्था में है, उस नीच राशि का उच्च नाथ कुंडली के लग्न से केंद्र भाव में स्थित हो तो भी नीच भंग राज योग निर्मित होता है।
  • एक ग्रह अपनी नीच राशि में स्थित है और उस नीच राशि का स्वामी ग्रह अपनी उच्च राशि को देख रहा हो अर्थात् दृष्टि दे रहा हो तो नीच भंग राज योग निर्मित होता है।
  • वैदिक ज्योतिष के अनुसार जिस राशि में नीच अवस्था में कोई ग्रह बैठा हो, उस राशि में उच्च अवस्था में माने जाने वाला ग्रह चंद्रमा द्वारा अधिष्ठित राशि से केंद्र भाव में हो तो नीच भंग राज योग निर्मित होता है।
  • नीच भंग राजयोग के निर्माण की एक स्थिति यह भी है कि जिस राशि में नीच अवस्था में कोई ग्रह बैठा है, उस राशि में उच्च स्थिति वाला ग्रह कुंडली में लग्न से केंद्र भावों में स्थित हो तो ऐसी स्थिति में नीच भंग राजयोग बन जाता है और उस ग्रह का नीचत्त्व समाप्त हो जाता है।
  • नीच भंग राजयोग के निर्माण की एक स्थिति यह भी है कि जिस राशि में कोई ग्रह नीच अवस्था में स्थित है, उसी राशि में कोई ग्रह अपनी उच्च अवस्था में स्थित हो तो स्वतः ही नीच भंग राजयोग निर्मित हो जाता है।
  • वैदिक ज्योतिष में जन्म कुंडली के साथ-साथ नवमांश कुंडली उनको भी अत्यंत महत्व दिया गया है। इसी को ध्यान में रखते हुए एक अन्य नियम यह भी है कि यदि कोई ग्रह जन्म कुंडली में अपनी नीच राशि में स्थित है लेकिन नवमांश कुंडली में यदि वही ग्रह अपनी उच्च राशि में स्थित होता है तो नीच भंग राजयोग बन जाता है और उस ग्रह के नीच स्थिति के फलों की स्थिति में परिवर्तन आ जाता है और वह अच्छे परिणाम देने लगता है। 
  • उपरोक्त के अतिरिक्त एक अन्य नियम यह भी है कि यदि कोई ग्रह नीच राशि में स्थित है और उस नीच राशि में जो ग्रह उच्च अवस्था में माना जाता हो, वे दोनों ग्रह एक दूसरे से केंद्र में हों तो नीच भंग राज योग निर्मित होता है।

कुंडली में कोई ग्रह अपनी नीच राशि में स्थित हो तो वह अशुभ परिणाम देने वाला माना जाता है लेकिन यदि उस ग्रह का नीचत्व समाप्त अथवा भंग हो जाए अर्थात् नीच भंग राजयोग का निर्माण हो जाए तो वह ग्रह अपनी नीच अवस्था के फल ना देकर शुभ फल देने में सक्षम हो जाता है। यही इस नीच भंग राजयोग की प्रमुख विशेषता है। ऐसा किन परिस्थितियों में हो सकता है, वह हम ऊपर दी गई जानकारी और नियमों के आधार पर पता लगा सकते हैं और उपरोक्त तरीकों से हम यह जान सकते हैं कि आपकी कुंडली में क्या नीच भंग राजयोग का निर्माण हो रहा है अथवा नहीं। राज योग रिपोर्ट की मदद से आप जान सकते हैं की आपकी कुंडली में नीच भंगा राज योग है की नहीं

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नीच-भंग राज योग दिलाए जीवन में अपार सफलता

वर्तमान समय में नीच भंग राजयोग एक प्रमुख योग माना जाता है क्योंकि वर्तमान समय में देश, काल और परिस्थितियों के अनुसार व्यक्तियों के जीवन में संघर्ष बढ़ता जा रहा है और उन्हें समाज में आगे बढ़ने के लिए कई मुसीबतों का सामना करना पड़ता है लेकिन जिनकी कुंडली में नीच भंग राज योग निर्मित होता है, उन्हें संघर्षों को पीछे हटाते हुए आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक पाता और वह अपने जीवन में सभी ऊंचाइयां प्राप्त कर लेते हैं। इस योग का होना यह भी बताता है कि व्यक्ति को जीवन में कुछ संघर्ष अवश्य मिलेंगे क्योंकि नीच भंग राजयोग में जब कोई ग्रह नीच अवस्था में होता है तो शुरुआत में उसके नीच अवस्था वाले फल मिल सकते हैं लेकिन नीच भंग होने की स्थिति में धीरे-धीरे वह उन समस्याओं को दूर करते हुए आपको समृद्ध बनाता है और जीवन में सफलता प्रदान करता है।

नीच भंग राजयोग का फल

किसी की कुंडली में राजयोग का निर्माण होना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि  किसी भी कुंडली में राजयोग जितने अधिक संख्या में विराजमान होते हैं अथवा ज्यादा मजबूत होते हैं तो वह व्यक्ति के जीवन स्तर को उतना ही उत्तम बना देते हैं और उसे जीवन में यश, महान सफलता, कीर्ति, लक्ष्मी सभी कुछ प्रदान करते हैं। यदि हम नीच भंग राजयोग के फलों की बात करें तो इस योग में जन्म लेने से आपको अनेक प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है और आप जीवन में कुछ समस्याओं के उपरांत प्रगति अवश्य करते हैं। आप किसी राजा के समान सुखों का भोग करते हैं और आपको अखंड लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। नीच भंग राज योग के कारण आपके जीवन में धीरे धीरे सफलता आनी शुरू हो जाती है और आप काफी मजबूत स्थिति में खड़े होते हैं। यदि जन्म कुंडली में उचित समय पर नीच भंग राज योग निर्मित करने वाले ग्रह की महादशा अथवा अंतर्दशा आती है तो वह व्यक्ति को परिणाम देने में देर नहीं लगाती और व्यक्ति जीवन में सभी सफलताओं को प्राप्त करता है।

आप यह बात समझ सकते हैं कि वर्तमान समय में नीच भंग राजयोग सामान्य राज योगों के मुकाबले अधिक फल प्रदान करते हैं लेकिन ऐसे लोगों का शुरुआती जीवन सामान्य नहीं होता। अर्थात् उन्हें सब कुछ आसानी से नहीं मिल जाता बल्कि उन्हें अपने कर्मों से ही शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। नीच भंग होने की स्थिति से तात्पर्य है कि कोई ग्रह नीच अवस्था में जरूर है इसका भंग हो रहा है अर्थात् व्यक्ति के जीवन में संघर्ष आएंगे लेकिन वह उन संघर्षों में निखर कर सामने आएगा और जीवन मूल्यों को पहचानेगा। इस प्रकार यही संघर्ष उसे जीवन में राजयोग प्रदान करेंगे।

वस्तुतः यह समझा जा सकता है कि नीच भंग राजयोग जिन व्यक्तियों की कुंडली में उपस्थित होता है, वह जीवन में अपने दम पर अपना अलग मुकाम बनाते हैं। वह जिस स्थान पर भी जाते हैं अपनी अमिट छाप बनाते हैं और इसके पीछे उनके महान कर्म और कभी ना पीछे हटने की क्षमता होती है। चाहे समय इनके साथ हो अथवा उनके विरुद्ध खड़ा हो ,इनको सफलता मिलना तय हो जाता है।

ऐसा व्यक्ति अपने परिवार और समाज में भरपूर मान और सम्मान प्राप्त करता है। उसके जीवन में संघर्ष भी आता है लेकिन वह संघर्षों से सीख कर आगे बढ़ जाता है और उससे बाहर निकल कर वह अपनी अलग पहचान बनाता है। वह अपने विरोधियों को परास्त करता है और उसमें संघर्ष करने की गजब शक्ति पाई जाती है। ऐसे व्यक्ति को सभी प्रकार की सुख सुविधाएं प्राप्त होती है और वह अपने जीवन काल में कभी ना कभी इन लोकप्रिय अवश्य होता है।

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नीच भंग राजयोग उदाहरण कुंडली

वैदिक ज्योतिष के किसी भी योग को समझने के लिए यदि उदाहरण उपलब्ध हो तो आप उसे शीघ्रता से समझ सकते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए हम आपको नीचे कुछ उदाहरण कुंडलियाँ दिखाने जा रहे हैं जिन्हें देखकर आप नीच भंग राजयोग के निर्माण की स्थिति को भली भाँति समझ सकते हैं:

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(उदाहरण कुण्डली -1)

उपरोक्त कुंडली पर ध्यान से देखने पर आप यह समझ पाएंगे कि यह कुण्डली मेष लग्न की कुंडली है जिसके दशम भाव में बृहस्पति अपनी नीच राशि मकर में विद्यमान है। इस प्रकार बृहस्पति नीच राशि में स्थित हुआ लेकिन उसी राशि में मंगल भी स्थित है जो कि मंगल की उच्च राशि है क्योंकि मकर राशि में मंगल उच्च राशि में माना जाता है। इस प्रकार इस कुंडली के दशम भाव में मकर राशि में बृहस्पति नीच राशि में तथा मंगल उच्च राशि में स्थित माना जाएगा। चूँकि उच्च अवस्था का ग्रह नीच अवस्था के ग्रह के साथ विराजमान है, इसलिए इस कुंडली में बृहस्पति का नीच भंग हो रहा है और इसलिए इस कुंडली में नीच भंग राजयोग का निर्माण हो रहा है।

नीच भंग राजयोग की सामर्थ्य जानने के लिए एक और कुंडली का अवलोकन कीजिए:

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(उदाहरण कुण्डली -2)

उदाहरण कुंडली – 2 में आप देखेंगे कि यह वृश्चिक लग्न की कुंडली है, जिसमें चंद्रमा अपनी नीच राशि वृश्चिक में विराजमान है लेकिन चंद्रमा जिस राशि में नीच अवस्था में है, उस राशि का स्वामी मंगल चंद्रमा से केंद्र भाव अर्थात् प्रथम भाव में स्थित है। इस प्रकार यह नीच भंग राजयोग का निर्माण हो रहा है। यह कुंडली हमारे देश के वर्तमान प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी की कुंडली है और आप अवश्य ही जानते हैं कि उन्होंने अपना जीवन कितने संघर्षों में व्यतीत किया है और आज वह इस मुकाम पर हैं कि एक विशाल देश के प्रधानमंत्री होने के साथ-साथ समस्त संसार के नेताओं में अग्रणी बनते जा रहे हैं। यह सब नीच भंग राजयोग का ही कमाल है।

इसी क्रम में आगे बढ़ते हैं और नीच भंग राज योग के संदर्भ में एक और कुंडली पर दृष्टिपात करते हैं:

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(उदाहरण कुण्डली -3)

उपरोक्त कुंडली कुंभ लग्न की है जिसके अष्टम भाव में नीच राशि कन्या में शुक्र ग्रह विराजमान है लेकिन उसी भाव में अर्थात् अष्टम भाव में अपनी उच्च राशि कन्या में बुध देव विराजमान हैं। इस प्रकार एक ही राशि में एक ग्रह नीच अवस्था में तथा दूसरा ग्रह उच्च अवस्था में है जिसकी वजह से इस कुंडली में नीच भंग राजयोग का निर्माण हो रहा है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यह कुंडली हमारे देश के महानतम अभिनेता और सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की कुंडली है। उनका जीवन भी सामान्य नहीं रहा है। उन्होंने भी कठिन संघर्ष किया है और स्वास्थ्य समस्याओं का भी सामना किया है लेकिन अपने कर्म और मेहनत के बल पर वे सभी विपरीत परिस्थितियों को पीछे छोड़कर जीवन में सफलता के जिस मुकाम पर आज स्थित हैं, वहां कोई विरला व्यक्ति ही पहुंच पाता है।

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इस प्रकार आप कुंडली में बनने वाले नीच भंग राज योग की शक्ति और उसकी फल देने की क्षमता का आकलन कर सकते हैं। वास्तव में नीच भंग राजयोग हमें जीवन जीने का सही तरीका दिखाता है और कुछ समस्याओं के बाद हमें सही रास्ता दिखाते हुए राज योग के फल प्रदान करता है।

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