जानें माघ गुप्त नवरात्रि पर कैसे करें माता को प्रसन्न

माघ महीने में पड़ने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि के नाम से जाना जाता है, हिन्दू धर्म में माघ के महीने को बेहद खास माना गया है और इस महीने में पड़ने वाली नवरात्रि का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। सालभर में पांच नवरात्रि होती हैं लेकिन आमतौर पर लोग चैत्र और शारदीय नवरात्रि को ही जानते हैं, लेकिन इन दो नवरात्रि के अलावा साल में तीन गुप्त नवरात्रि भी होती है। गुप्त नवरात्रि को तंत्र-मंत्र और ध्यान-साधना के लिए बेहद खास माना गया है।

यह गुप्त नवरात्रि पहली माघ महीने में, दूसरी आषाढ़ महीने में और तीसरी पौष महीने में मनाई जाती है। इस साल माघ महीने में होने वाली माघ गुप्त नवरात्रि 12 फरवरी से शुरू होकर 9 दिन तक रहेगी। माघ महीने में मनाई जाने वाली गुप्त नवरात्रि को शिशिर नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। इस पावन पर्व पर भक्त मां दुर्गा की उपासना करते हैं और नौ दिनों तक उनके सभी नौ रूपों की पूरे विधि-विधान के साथ पूर्जा-अर्चना करते हैं। तो आइए नीचे दिए गए लेख में जानते हैं, मां के सभी नौ रुपों के नाम और उनके स्वरूप के बारे में। 

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पहला दिन – मां शैलपुत्री की पूजा

मां शैलपुत्री को मां पार्वती का स्वरूप माना जाता है, क्योंकि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां शैलपुत्री हिमालय राज की पुत्री हैं। मां शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल है। माता पार्वती को लाल रंग बेहद प्रिय है, इसलिए नवरात्रि के दिन भक्त लाल रंग के वस्त्र धारण करें, और मां को लाल फल का भोग लगाएं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार लाल रंग को साहस, शक्ति और कर्म का भी प्रतीक माना जाता है। पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने से साथ-साथ इस दिन घटस्थापना भी की जाती है।

दूसरा दिन- मां ब्रह्मचारिणी की पूजा

नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। माता पार्वती के अविवाहित रूप को  मां ब्रह्मचारिणी के रूप की संज्ञा दी गई है। मां ब्रह्मचारिणी का स्वरुप बेहद ज्योतिर्मय है, मां ने एक हाथ में कमंडल और दूसरे हाथ में जपमाला लिया हुआ है, ऐसी मान्यता है, कि जो भक्त मां के इस स्वरूप की पूजा करते हैं, उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन भक्त को नीले रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए, जो शांति और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है।  

तीसरा दिन- मां चंद्रघंटा की पूजा

नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है, पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव और पार्वती के विवाह के वक्त मां पार्वती का ये नाम पड़ा था। नवरात्रि के तीसरे दिन भक्तों को पीले रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए। पीला रंग साहस का प्रतीक माना जाता है। 

चौथा दिन- मां कुष्मांडा की पूजा

नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा करने का विधान है। पौराणिक कथाओं के अनुसार धरती पर जो हरियाली है, वो मां कुष्मांडा के रूप के कारण है, इसलिए मां के भक्तों को चौथे दिन हरे रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए। मां कुष्मांडा के स्वरूप की बात करें, तो मां शेर की सवारी करती हैं, और उनकी आठ भुजाएं हैं । 

पांचवा दिन- मां स्कंदमाता की पूजा

नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है।  पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान कार्तिकेय का नाम स्कंद भी है, और स्कंद की माता होने के कारण ही 

नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। इस दिन भक्तों को ग्रे रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए । 

छठा दिन- मां कात्यायनी की पूजा

नवरात्रि के छठवें दिन मां कात्यायनी की पूजा होती है, मां दुर्गा के इस रूप को बेहद उग्र रूप की संज्ञा दी गई है । मां कात्यायनी साहस का प्रतीक हैं, और वह शेर की सवारी करती हैं, मां के भक्तों को छठे दिन केसरिया रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए। 

सातवां दिन – मां कालरात्रि की पूजा

नवरात्रि के सातवें दिन दुर्गा जी के उग्र रूप मां कालरात्रि की आराधना की जाती है । पौराणिक मान्यता के अनुसार मां पार्वती ने बेहद उग्र रूप धारण कर शुंभ-निशुंभ  नाम के दो राक्षसों का वध किया था, और उस वक्त उनका रंग काला पड़ गया था । 

आठवां दिन – मां महागौरी की पूजा 

नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा-अर्चना की जाती है । मां दुर्गा का यह रूप बेहद शांत और ज्ञान का प्रतीक है । भक्तों को नवरात्रि के आठवें दिन गुलाबी रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए, इससे जीवन में सकारात्मकता आती है । 

नौवां दिन – मां सिद्धिदात्री की पूजा

नवरात्रि के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है । मां सिद्धिदात्री कमल के फूल पर विराजमान है, और उनकी चार भुजाएं हैं।  हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है, कि जो भक्त पूरे विधि-विधान के साथ सच्चे मन से  मां सिद्धिदात्री की पूजा करता है, उसका हर काम बन जाते हैं। 

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